संकट की इस घड़ी में भी जारी नेताओं द्वारा बेतुके बयानों का सिलसिला

Edited By ,Updated: 30 Apr, 2021 02:43 AM

a series of absurd statements by leaders in this hour of crisis

इस समय जबकि देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, पश्चिम बंगाल, बिहार और हरियाणा के अनेक वरिष्ठ नेताओं के ऐसे बयान आए हैं जिनके लिए उनकी भारी आलोचना हो रही है।

इस समय जबकि देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, पश्चिम बंगाल, बिहार और हरियाणा के अनेक वरिष्ठ नेताओं के ऐसे बयान आए हैं जिनके लिए उनकी भारी आलोचना हो रही है। 

* 14 अप्रैल को कोरोना से हो रही मौतों को लेकर मध्यप्रदेश के पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह ने कहा, ‘‘जिनकी उम्र हो जाती है, उन्हें मरना ही पड़ता है।’’
* 18 अप्रैल को महाराष्ट्र में बुलढाणा से विधायक संजय गायकवाड़ (शिव सेना) बोले, ‘‘यदि मुझे कोरोना वायरस मिल जाता तो मैं उसे महाराष्ट्र के पूर्व मु यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस के मुंह में डाल देता।’’ गायकवाड़ के इस बयान के विरुद्ध रोषस्वरूप कई स्थानों पर उनके पुतले जलाए गए। 

* 20 अप्रैल को तृणमूल कांग्रेस के नेता फिरहाद हाकिम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें वह कह रहा है, ‘‘भाजपा सूअर का बच्चा है। उनको पीटो।’’  
* 21 अप्रैल को पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिद्धू (कांग्रेस) ने कहा, ‘‘पंजाब में यदि 30 लाख वैक्सीन डोज में से 1 लाख या 1 लाख 60 हजार खराब भी हो गईं तो कोई बड़ी बात नहीं है।’’
* 22 अप्रैल को पश्चिम बंगाल की मु यमंत्री ममता बनर्जी बोलीं, ‘‘मैं बंगाल को दिल्ली के दो गुंडों के हाथों में नहीं जाने दूंगी। मैं कोई खिलाड़ी नहीं हूं लेकिन अच्छी तरह जानती हूं कि कैसे खेलना चाहिए। मैं इससे पहले लोकसभा में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी थी।’’ 

* 22 अप्रैल को बिहार के भाजपा नेता मिथिलेश कुमार तिवारी ने वरिष्ठ माकपा नेता सीताराम येचुरी के बड़े बेटे आशीष येचुरी के कोरोना से निधन पर अत्यंत शर्मनाक ट्वीट करते हुए लिखा, ‘‘चीन के समर्थक माकपा महासचिव सीताराम येचुरी के बेटे आशीष का चाइनीज कोरोना से निधन।’’ तिवारी के इस ट्वीट से बवाल मच गया और उन्हें आनन-फानन में इसे डिलीट करना पड़ा। इसके जवाब में राजद ने हमला बोलते हुए कहा, ‘‘ट्वीट डिलीट करने से संघी संस्कारों की दुर्र्गंध नहीं मिटती। कूड़ेदान के कूड़ेदान भरे पड़े हैं इनके बदबूदार बयानों से।’’ 

* 23 अप्रैल को मु बई के विरार में एक कोविड अस्पताल में आग लगने से हुई 14 मरीजों की मौत पर महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे (शिवसेना) ने कहा, ‘‘यह जो घटना घटी है यह कोई नैशनल न्यूज नहीं है। बाबा जिस तरह से घटना घटी है उसी तरह से मदद करेंगे।’’
* 27 अप्रैल को हरियाणा के मु यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (भाजपा) ने देश में कोरोना महामारी से मौतों के सरकारी आंकड़े को लेकर उठ रहे सवालों के बीच कहा, ‘‘हमारे शोर मचाने से मरे हुए आदमी जिंदा नहीं हो जाएंगे। इसलिए इस समय कोरोना से होने वाली मौतों पर बहस करने का कोई मतलब नहीं बनता।’’ कांग्रेस नेता रणदीप सुर्जेवाला ने इस पर टिप्पणी की, ‘‘ये एक बेरहम शासक के शब्द ही हो सकते हैं। हर मौत, जो सरकार के निक मेपन का नतीजा है, पर शोर मचाने की जरूरत है ताकि बहरी भाजपा सरकार को गूंज सुनाई दे।’’ 

* 28 अप्रैल को जब एक किसान ने फोन पर कर्नाटक के खाद्य और आपूॢत मंत्री उमेश कट्टी (भाजपा) से जन वितरण प्रणाली के अंतर्गत दिए जाने वाले चावल की मात्रा बढ़ाने का अनुरोध करते हुए यह कहा कि लोग जिंदा रहें या मर जाएं? तो उन्होंने जवाब दिया, ‘‘तुम मर ही जाओ तो बेहतर है और मुझे दोबारा फोन भी मत करना।’’ इस बयान पर मचे बवाल के बाद उमेश कट्टी ने अजीब सफाई देते हुए कहा, ‘‘किसी को भी इस तरह के सवाल ही नहीं पूछने चाहिएं।’’ इस बयान को लेकर प्रदेश में तेज हुई राजनीतिक हलचल के बीच मु यमंत्री येद्दियुरप्पा ने माफी मांगी तथा कहा कि कट्टी को ऐसे नहीं बोलना चाहिए था। 

कोरोना महामारी के इस दौर में जबकि लोगों को सांत्वना देने और उनके घावों पर सहानुभूति का मरहम लगाने की जरूरत है, इस प्रकार के संवेदनाहीन और बेतुके बयान देकर लोगों के घावों को कुरेदना तथा अनावश्यक विवाद पैदा करना कदापि उचित नहीं है। ऐसा करने की बजाय हमारे नेताओं को इस गंभीर संकट काल में अपने सारे राजनीतिक और वैचारिक मतभेद भुला कर लोगों की पीड़ा दूर करने का प्रयास करना चाहिए।—विजय कुमार  

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