आखिर ‘एयर इंडिया’ बिकी फिर ‘टाटा संस’ ने खरीदी

Edited By ,Updated: 09 Oct, 2021 05:08 AM

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1932 में विमान सेवा ‘एयर इंडिया’ को ‘टाटा संस’ के जे.आर.डी. टाटा ने शुरू किया था और तब इसका नाम ‘टाटा एयरसॢवसेज’ था। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान रोकी गई विमान सेवाएं दोबारा बहाल होने पर 29 जुलाई, 1946 को ‘टाटा सन्स’ के विमानन विभाग को ‘एयर इंडिया’ के...

1932 में विमान सेवा ‘एयर इंडिया’ को ‘टाटा संस’ के जे.आर.डी. टाटा ने शुरू किया था और तब इसका नाम ‘टाटा एयरसॢवसेज’ था। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान रोकी गई विमान सेवाएं दोबारा बहाल होने पर 29 जुलाई, 1946 को ‘टाटा सन्स’ के विमानन विभाग को ‘एयर इंडिया’ के रूप में लिमिटेड कम्पनी बनाकर 1948 में ‘एयर इंडिया इंटरनैशनल’ ने यूरोप के लिए उड़ानें शुरू कीं। 

अगस्त, 1953 में सरकार द्वारा ‘एयर कार्पोरेशन्स एक्ट’ पास करके सभी प्राइवेट एयरलाइन्स का राष्ट्रीयकरण कर देने के बाद यह भी सरकार के अधीन आ गई और सभी कम्पनियों को मिला कर ‘इंडियन एयरलाइन्स’ तथा ‘एयर इंडिया’ बनाई गईं। ‘एयर इंडिया’ को अंतर्राष्ट्रीय तथा ‘इंडियन एयरलाइन्स’ को घरेलू उड़ानों का नाम दिया गया। 89 वर्ष पुरानी ‘एयर इंडिया’ भारत की राष्ट्रीय विमान सेवा है परंतु परिचालन की अनियमितताओं आदि के कारण यह ‘राष्ट्रीय गौरव’ का दर्जा खो चुकी है और 2007 से लगातार घाटे में चलने के कारण अंतत: विवश होकर भारत सरकार ने इसे प्राइवेट हाथों में देने का फैसला किया है। 

सरकार ने 2018 में इसकी 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए बोली आमंत्रित करके उस समय इसकी मैनेजमैंट अपने पास रखने की बात कही पर जब इसमें किसी ने रुचि नहीं दिखाई तो सरकार ने मैनेजमैंट के नियंत्रण सहित इसकी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया जिसके लिए बोली प्रक्रिया पूरी करने की अंतिम तिथि 15 सितम्बर, 2021 तय की गई। इसे खरीदने के इच्छुकों में ‘टाटा संस’ के अलावा ‘स्पाइस जैट’ आदि भी शामिल थी जिसमें ‘टाटा संस’ के सफल रहने की घोषणा फाइनैंस मिनिस्ट्री के ‘डिपार्टमैंट ऑफ इन्वैस्टमैंट एंड पब्लिक एसैट मैनेजमैंट’ (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडे ने 8 अक्तूबर को करते हुए कहा कि अब ‘टाटा ग्रुप’ के अधीन ‘एयर इंडिया’ तथा ‘एयर इंडिया एक्सप्रैस’ का नियंत्रण आ जाएगा। 

इसमें ‘एयर इंडिया’ तथा ‘ए.आई. एक्सप्रैस लिमिटेड’ में 100 प्रतिशत और एस.ए.टी.एस. एयरपोर्ट सॢवसेज में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना शामिल है। यह सौदा दिसम्बर तक पूरा करने की योजना है जब ‘टाटा संस’ को इसका परिचालन सौंप दिया जाएगा। ‘टाटा’ को एयर इंडिया के सभी कर्मचारियों को एक वर्ष के लिए रखना होगा और अगले वर्ष वह स्वैच्छिक रिटायरमैंट की योजना की पेशकश कर सकती है। ‘टाटा संस’ ने ‘एयर इंडिया’ के लिए 18,000 करोड़ रुपए की तथा ‘स्पाइस जैट’ के संजय सिंह ने 15,000 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी जबकि सरकार ने इसका रिजर्व मूल्य 12,906 करोड़ रुपए तय किया था। 

‘एयर इंडिया’ को चालू रखने के लिए केंद्र सरकार ने 2009 के बाद इसे  1,10,276 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता दी है और प्रतिवर्ष औसतन इस पर 9,000 करोड़ रुपए से अधिक दिए जाते रहे हैं। अब इस कम्पनी को ‘टाटा’ द्वारा खरीद लिए जाने के बाद बचने वाले धन से स्कूल और अस्पताल बनाए जा सकेंगे और देश की सुरक्षा बढ़ाई जा सकेगी। अत: ‘एयर इंडिया’ को फिर टाटा समूह को सौंप कर केंद्र सरकार ने सही कदम उठाया है और इसके लिए हम सरकार को बधाई देते हैं क्योंकि सरकारों का काम व्यापार करना नहीं बल्कि जनता को अच्छा शासन, अधिकतम सुविधाएं उपलब्ध करवाना तथा इस बात पर नजर रखना है कि विभिन्न सेवा प्रदाता लोगों को संतोषजनक सेवा प्रदान कर रहे हैं या नहीं। 

निजी प्रबंधन में आ जाने से जहां इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण पैदा त्रुटियां दूर हो सकेंगी बल्कि इसकी उड़ानों की संख्या में भी वृद्धि होगी और स्पर्धा के कारण यात्रियों को सस्ती दर पर टिकट भी उपलब्ध हो सकेंगे। एयर इंडिया की घर वापसी पर समूह के प्रमुख रतन टाटा ने भावुक होकर ‘वैल्कम बैक एयर इंडिया का’ ट्वीट किया है और इसके साथ ही बिल्कुल सही लिखा है, ‘‘टाटा ग्रुप का ‘एयर इंडिया’ की बोली जीतना अत्यंत अच्छी खबर है परंतु इसे दोबारा खड़ा करने में मेहनत लगेगी।’’—विजय कुमार

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