आखिर सरकार ने स्वीकार किया ‘नोटबंदी से लाखों किसानों को हानि पहुंची’

Edited By Pardeep,Updated: 23 Nov, 2018 03:42 AM

after all the government accepted the ban on  ban on lakhs of farmers

हालांकि मई, 2014 में केंद्र में भाजपा सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद लोगों को अच्छे दिनों की उम्मीद बंधी थी परंतु सरकार द्वारा उठाए गए कुछ पगों का अभी तक कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया। सरकार ने काला धन निकालने और नकली ...

हालांकि मई, 2014 में केंद्र में भाजपा सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद लोगों को अच्छे दिनों की उम्मीद बंधी थी परंतु सरकार द्वारा उठाए गए कुछ पगों का अभी तक कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया। 

सरकार ने काला धन निकालने और नकली करंसी एवं आतंकियों की आय का स्रोत समाप्त करने के लिए 8 नवम्बर, 2016 को 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बंद करके 500 और 2000 रुपए के नए नोट जारी किए थे। बिना तैयारी के लागू की गई नोटबंदी के पहले महीने में ही पैदा हुए धन के अभाव से ए.टी.एम्स की कतारों में खड़े 100 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई तथा जाली करंसी के धंधे और आतंकी घटनाओं में भी कमी नहीं आई। वर्ष 2016-17 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमलों में 54.81 प्रतिशत वृद्धि हुई और नए 500 व 2000 रुपए के नकली नोट भी बाजार में आ गए। 

यहां तक कि रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी कहा है कि नोटबंदी तथा जी.एस.टी. गत वर्ष देश की आॢथक प्रगति को रोकने वाले मुख्य कारक रहे हैं तथा 7 प्रतिशत की वर्तमान विकास दर देश की जरूरतें पूरी करने के लिए काफी नहीं है जबकि इससे पहले 2012 से 2016 तक भारत तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा था। बहरहाल, जहां केंद्र सरकार के फैसले को विरोधी दल हमेशा दुर्भाग्यपूर्ण बताते रहे तो सरकार इसे जनता के लिए लाभदायक सिद्ध करने के प्रयासों में लगी रही। अभी कुछ समय पूर्व ही जब केंद्र सरकार ने नोटबंदी की दूसरी वर्षगांठ मनाई तो इसने नोटबंदी से देश को हुए लाभों का खूब बखान किया। 

सरकार द्वारा नोटबंदी को देश के लिए लाभदायक साबित करने के प्रयासों के बावजूद अब केंद्र सरकार के ही कृषि मंत्रालय ने अपनी एक रिपोर्ट में कह दिया है कि किसानों पर नोटबंदी के फैसले का काफी बुरा प्रभाव पड़ा है। मंत्रालय से जुड़ी वित्तीय मामलों बारे संसद की एक स्थायी समिति की बैठक में कृषि मंत्रालय ने स्वीकार किया कि नकदी की कमी के कारण लाखों किसान रबी के सीजन में बुवाई के लिए बीज और खाद नहीं खरीद सके। मंत्रालय के अनुसार धन की तंगी के चलते उस वर्ष राष्ट्रीय बीज निगम द्वारा उत्पादित 17 प्रतिशत से अधिक अर्थात लगभग एक लाख 38 हजार किं्वटल गेहूं के बीज नहीं बिक पाए। हालांकि सरकार ने बाद में गेहूं के बीज खरीदने के लिए 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों के इस्तेमाल की छूट दे दी परंतु तब तक काफी देर हो चुकी थी तथा इससे बीजों और खादों की बिक्री बढ़ाने में सहायता नहीं मिल सकी। 

कृषि मंत्रालय ने नोटबंदी के प्रभाव पर एक रिपोर्ट भी संसदीय समिति को सौंपी है जिसमें कहा गया है कि भारत के लगभग 2.63 करोड़ किसान अधिकांशत: नकद अर्थव्यवस्था पर निर्भर करते हैं और नोटबंदी ऐसे समय पर हुई जब किसान एक ओर अपनी खरीफ की पैदावार मंडियों में बेच रहे थे तथा दूसरी ओर रबी की फसल की बुवाई की तैयारी कर रहे थे। ऐसे समय में किसानों को नकदी की अत्यधिक आवश्यकता होती है परंतु उस समय नकदी की किल्लत के कारण लाखों किसान बीज और खाद तक नहीं खरीद सके। यहां तक कि बड़े जमींदारों को भी कृषि मजदूरों आदि को दैनिक उजरत की अदायगी करने तथा फसल बीजने के लिए कृषि संबंधी अपनी दूसरी आवश्यकताएं पूरी करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा। 

किसानों पर नोटबंदी के दुष्प्रभाव संबंधी सरकार की यह स्वीकारोक्ति ऐसे समय पर आई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के झाबुआ में एक रैली में भाषण करते हुए यह कहा है कि उन्होंने काला धन वापस लाने और देश की जड़ों में गहरे समा चुके भ्रष्टïाचार का इलाज करने के लिए नोटबंदी को कड़वी दवा के रूप में इस्तेमाल किया है। पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने नोटबंदी के पग को ‘सुनियोजित लूट’ करार दिया है और राहुल गांधी ने कहा है कि ‘‘नोटबंदी ने करोड़ों किसानों को तबाह किया व उनके पास बीज खरीदने के लिए भी पर्याप्त पैसा नहीं है।’’ अत: इन चुनावों में जहां उक्त पांचों राज्यों की सरकारों की कारगुजारी कसौटी पर होगी वहीं नोटबंदी के परिणामस्वरूप किसानों पर पडऩे वाला प्रभाव भी चुनाव परिणामों में दिखाई देगा।—विजय कुमार

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!