भारत के बाद अब पाकिस्तानी वकीलों का उपद्रव

Edited By ,Updated: 16 Dec, 2019 01:40 AM

after india now pakistani lawyers are in trouble

भारतीयों और पाकिस्तानियों में बहुत कुछ एक समान है। यहां तक कि विदेशों में अक्सर भारतीयों का आमना-सामना पाकिस्तानियों से होता है तो उन्हें पता चलता है कि उनका खान-पान, संगीत, परिधान से लेकर फैशन की पसंद तक आपस में कितनी मेल खाती है। 12 दिसम्बर को...

भारतीयों और पाकिस्तानियों में बहुत कुछ एक समान है। यहां तक कि विदेशों में अक्सर भारतीयों का आमना-सामना पाकिस्तानियों से होता है तो उन्हें पता चलता है कि उनका खान-पान, संगीत, परिधान से लेकर फैशन की पसंद तक आपस में कितनी मेल खाती है।

12 दिसम्बर को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में घटित एक घटना 3 नवम्बर को भारत की राजधानी दिल्ली की उस निंदनीय घटना से काफी मेल खाती है जिसमें कार पार्किंग को लेकर छिड़े विवाद के बाद वकीलों ने पुलिस थाने पर हमला बोल दिया था। अब भला पाकिस्तानी वकील क्यों पीछे रहते तो काले सूट, सफेद कमीज और काली टाई पहने पाकिस्तानी वकीलों ने भी 12 दिसम्बर को लाहौर कार्डियोलॉजी अस्पताल पर धावा बोल कर खिड़कियों तथा उपकरणों को तोड़ते हुए जम कर उत्पात मचाया। डॉक्टर बचने के लिए छिपते फिरे तो बेहाल मरीज भी जान बचाने के लिए भागे। वकीलों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस तथा पानी की बौछारों का सहारा लेना पड़ा। घंटों तक चले इस उपद्रव में कम से कम 5 मरीजों की जान गई और सैंकड़ों की हालत गम्भीर हो गई। 

वकीलों के अनुसार नवम्बर में वकीलों द्वारा पहल के आधार पर उपचार की मांग करने पर डॉक्टरों तथा स्टाफ द्वारा उन पर किए हमले का यह इंतकाम है। किसी बॉलीवुड फिल्म की तरह प्रधानमंत्री इमरान खान का भतीजा हसन नियाजी भी हमला करने वाले वकीलों में शामिल था। रिपोर्ट के अनुसार नवम्बर के अंत में अस्पताल में दाखिल अपने एक मरीज को देखने के लिए वहां गए एक वकील से अस्पताल के स्टाफ की बहस हो गई थी। उसने अपने कुछ सहयोगियों को मदद के लिए बुला लिया। बढ़ते हुए बहस हिंसक हो गई और अस्पताल के स्टाफ तथा डॉक्टरों ने तीन वकीलों को घायल कर दिया।

वकीलों ने डॉक्टरों के खिलाफ आतंकवाद के आरोप दर्ज करवाने और उन्हें गिरफ्तार करवाने की कोशिश की परंतु उनके विरोध प्रदर्शन के बावजूद पुलिस ने डॉक्टरों को गिरफ्तार नहीं किया तो वकीलों ने खुद बदला लेने का फैसला कर लिया। पाकिस्तानी वकील 2007 के बाद से अधिक दबंग हो गए हैं जब तत्कालीन सैन्य तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ के विरुद्ध राजनीतिक विरोध का नेतृत्व वकीलों ने किया था। हाल के वर्षों में वे कई बार हिंसक हुए हैं और कानून को अपने हाथ में लिया है। अदालत की कार्रवाई के दौरान असहमति होने पर वकीलों ने जजों पर हमला तक किया है और पुलिस के साथ झड़पें तो आम हैं। भारत की बात करें तो एक अप्रत्याशित आदेश के तहत पंजाब तथा हरियाणा हाईकोर्ट ने वकीलों को फटकार लगाई है।

जस्टिस कुमार ने कहा, ‘‘यह नोट कर लिया जाए कि एक वकील न्यायालय की मर्यादा बनाए रखने के लिए जवाबदेह है।’’ उन्होंने कहा कि कानूनी पेशे से जुड़े सदस्यों से उच्च स्तर की पेशेवर नैतिकता तथा नीतियों के पालन की अपेक्षा तो की ही जाती है, उच्च शिक्षित होने के नाते उनसे ईमानदारीपूर्ण ढंग से कार्य करने भी अपेक्षा होती है। सीमा के दोनों ओर के ही वकीलों के लिए यह शायद कुछ ज्यादा ही उच्च स्तर का आदेश हो परंतु वक्त की जरूरत यही है कि जो वकील अपने मुवक्किल को न्याय दिलवाने के लिए अदालत में खड़े होते हैं, उन्हें स्वयं कानून के पालन का पता होना चाहिए।

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