Edited By Pardeep,Updated: 30 Dec, 2018 03:33 AM
दिल्ली देश की राजनीतिक राजधानी होने के साथ-साथ अपराधों और बलात्कारों के बाद अब अवैध हथियारों की राजधानी भी बनती जा रही है। और यहां अवैध हथियारों की बरामदगी में लगातार वृद्धि हो रही है। बरामद किए गए हथियारों की बड़ी मात्रा को देखते हुए हाल ही में...
दिल्ली देश की राजनीतिक राजधानी होने के साथ-साथ अपराधों और बलात्कारों के बाद अब अवैध हथियारों की राजधानी भी बनती जा रही है। और यहां अवैध हथियारों की बरामदगी में लगातार वृद्धि हो रही है।
बरामद किए गए हथियारों की बड़ी मात्रा को देखते हुए हाल ही में राष्ट्रीय जांच एजैंसी एवं दिल्ली पुलिस द्वारा जब्त किए गए 7 पिस्तौल और एक देसी राकेट लांचर की बरामदगी तो कुछ भी नहीं है। जहां 2015 में दिल्ली में सिर्फ 421 अवैध पिस्तौल पकड़े गए थे वहीं 2016 में 738, 2017 में 1108 और इस वर्ष इन पंक्तियों के लिखे जाने तक 1200 से भी अधिक अवैध पिस्तौलों की बरामदगी हो चुकी थी।
इनमें से अधिकांश अवैध हथियार मध्य प्रदेश के बुरहानपुर, सेंधवा, खरगौन और खंडवा इलाकों से तथा कुछ हथियार बिहार के मुंगेर से दिल्ली लाए गए। पिछले कुछ समय के दौरान दिल्ली एवं एन.सी.आर. में अवैध हथियारों की मांग में 2 से 3 गुणा वृद्धि हुई है। इन्हें खरीदने वाले अधिकतर तो अपराधी तत्व एवं बदमाश ही हैं। फाइनैंस का बिजनैस करने वाले, कुछ फार्म हाऊसों के मालिक और बिल्डर भी अवैध हथियार खरीद रहे हैं। इस वर्ष के शुरू में दिल्ली पुलिस की सभी इकाइयों को दिल्ली और आसपास अवैध हथियार बनाने वाली इकाइयों के विरुद्ध कार्रवाई करने को कहा गया था और 8 अक्तूबर को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठï तथा आतंकरोधी इकाई ने 5 व्यक्तियों से अवैध हथियारों की इस वर्ष की सबसे बड़ी खेप जब्त की जिसमें 82 पिस्तौल तथा 124 आग्नेयास्त्रों के मैगजीन शामिल थे।
राजधानी के अपराधियों द्वारा पिस्तौलों की मांग बढ़ जाने के कारण अवैध हथियारों के निर्माण के पारंपरिक केंद्रों में मुंगेर (बिहार) और खरगौन (मध्य प्रदेश) के अनेक हथियार निर्माताओं ने अपना कार्य क्षेत्र पश्चिम उत्तर प्रदेश में तबदील कर लिया है ताकि हथियार उन्हें जल्दी और आसानी से मिल सकें। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार इस वर्ष एक नया रुझान सामने आया है और दिल्ली एवं पड़ोसी राज्यों के निकटवर्ती जिलों में अवैध हथियारों के कारखानों का पता लग रहा है। इस महीने के शुरू में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के करावल नगर में हथियारों का एक कारखाना पकड़ा जहां एक व्यक्ति मकान में हथियार बना रहा था। उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार हाल ही के वर्षों में जुलाई, 2013 में दिल्ली में हथियारों की सबसे बड़ी खेप पकड़ी गई थी जब पुलिस ने एक एम्बैसेडर कार में छिपाकर लाए जा रहे 126 पिस्तौल जब्त किए थे।
इस महीने करावल नगर में हथियार बरामदगी से पहले पुलिस ने गत 8 वर्षों में दिल्ली में 2 हथियार बनाने वाले कारखाने पकड़े थे। दिसम्बर, 2010 में पूर्वी विनोद नगर में मो. हाशिम नामक साइकिल मिस्त्री को गिरफ्तार करके चालू हालत में 113 सैमीफिनिश्ड पिस्तौल जब्त किए गए थे। यह साइकिल मुरम्मत करने की दुकान की आड़ में अवैध हथियार बना रहा था। इसके एक वर्ष बाद नांगलोई में एक अन्य अवैध हथियार बनाने का कारखाना पकड़ा गया जहां से विस्फोटकों के अलावा 70 सैमीफिनिश्ड पिस्तौल बरामद किए गए। बाद में जांच से पता चला कि यह कारखाना एक चोटी के मुजाहिदीन सरगना यासीन भटकल द्वारा चलाया जा रहा था।
दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठï के उपायुक्त रह चुके श्री एल.एन. राव (अवकाशप्राप्त) के अनुसार दिल्ली में अवैध हथियारों की संख्या की केवल कल्पना ही की जा सकती है। उनके अनुसार दिल्ली में हथियारों के कारखाने कम होंगे लेकिन उत्तर प्रदेश और हरियाणा में काफी हैं और दिल्ली की खुली सीमाएं होने के कारण यह समस्या बढ़ती चली जा रही है। राजधानी दिल्ली में लगातार अवैध हथियारों का पकड़ा जाना गंभीर चिंता का विषय है और ऐसा माना जा रहा है कि दिल्ली हथियार तस्करों का केंद्र बन गई है जहां बिहार और मध्य प्रदेश आदि में निर्मित अवैध हथियार लाकर कई राज्यों में सप्लाई किए जाते हैं। यह एक ऐसा दुष्चक्र है जिसे समाप्त करने के लिए दिल्ली तथा अन्य संबंधित पड़ोसी राज्यों की सरकारों को आपसी तालमेल के साथ जल्दी और सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है वर्ना तस्कर कहीं भी कुछ भी कर गुजर सकते हैं।—विजय कुमार