अनुच्छेद-370 हटाने के बाद कश्मीर और पाकिस्तान में भारत के बारे में अब आना शुरू हुआ बदलाव

Edited By ,Updated: 05 Sep, 2019 12:33 AM

after the removal of article 370 change in india started in kashmir

केंद्र सरकार द्वारा 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला संविधान का अनुच्छेद-370 समाप्त करने और जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित क्षेत्र बनाने की घोषणा के बाद भारत और पाकिस्तान के संबंधों में कटुता चरम पर पहुंच गई।...

केंद्र सरकार द्वारा 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला संविधान का अनुच्छेद-370 समाप्त करने और जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित क्षेत्र बनाने की घोषणा के बाद भारत और पाकिस्तान के संबंधों में कटुता चरम पर पहुंच गई। इसके विरुद्ध पाकिस्तान के कुछ नेताओं ने भारत विरोधी बयानबाजी की सारी हदें लांघ दीं और यहां तक कि भारत को परमाणु हमले की धमकियां भी देने लगे। 

इसके लिए सर्वाधिक जिम्मेदार जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह थे जिन्होंने आजाद रहने की इच्छा के चलते कश्मीर के भारत में विलय का निर्णय 20 अक्तूबर 1947 को कबायलियों के वेश में जम्मू-कश्मीर में घुस आए पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा लूटमार शुरू कर देने के बाद लिया और 26 अक्तूबर, 1947 को भारत में शामिल होने संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर किए। उस समय भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर के मामले में जो भी किया जा सकता था वह हुआ। हालांकि पंडित नेहरू ने कहा था कि अनुच्छेद 370 अस्थायी है जो समय के साथ समाप्त हो जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। 

शायद इसके लिए मुख्य रूप से शेख अब्दुल्ला और मुफ्ती मोहम्मद सईद का परिवार जिम्मेदार है। मुफ्ती की छोटी बेटी रूबिया का 7 दिसम्बर, 1989 को जे.के.एल.एफ. के आतंकवादियों ने उस समय अपहरण कर लिया था जब वह वी.पी. सिंह की केंद्रीय संयुक्त मोर्चा सरकार में गृह मंत्री थे। रूबिया को छुड़ाने के लिए केंद्र सरकार ने 5 खूंखार आतंकवादी भी रिहा कर दिए थे। घाटी में हालात भी तभी से तेजी से खराब होने लगे। यदि उस समय सरकार आतंकियों की मांग न मानती तो कश्मीर में हालात ऐसे न होते जिन्हें बिगाडऩे में घाटी में सक्रिय पाकिस्तान के पाले हुए अलगाववादियों का बड़ा हाथ रहा है। कुछ लोग सरकार से घाटी का माहौल खराब करने और युवाओं को पत्थरबाजी के लिए भड़काने वाले अलगाववादियों की सुरक्षा वापस लेने की मांग भी करते रहे हैं परंतु सभी सरकारों ने इस भय से उनकी सुरक्षा वापस नहीं ली कि यदि उन्हें कुछ हो गया तो इसका आरोप उन पर आ जाएगा। 

वर्तमान राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने प्रदेश की बागडोर संभालते ही न सिर्फ अलगाववादियों की सुरक्षा वापस ली बल्कि उन पर शिकंजा कसने के लिए एन.आई.ए. के माध्यम से टैरर फडिंग पर रोक लगाई, कई लोगों को गिरफ्तार करवाया और उनके विरुद्ध जांच भी शुरू करवाई। बहरहाल, भारत से वर्षों की शत्रुता के बाद भी जब पाकिस्तान कुछ न कर सका तो तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने श्री वाजपेयी को लाहौर आमंत्रित करके 21 फरवरी, 1999 को दोनों देशों में मैत्री और शांति के लिए लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए पर इसके कुछ ही समय बाद मुशर्रफ ने नवाज का तख्ता पलट कर इन प्रयासों को नाकाम कर दिया।

नवाज शरीफ जब 2013 में तीसरी बार प्रधानमंत्री बने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिना किसी कार्यक्रम के 25 दिसम्बर, 2015 को काबुल से आते हुए लाहौर में उनके परिवार में आयोजित एक विवाह समारोह में पहुंच कर उनसे मिले परंतु इससे पूर्व कि दोनों नेता और आगे बढ़ते, इस बार भी नवाज को सत्ता से हाथ धोना पड़ा। फिर 18 अगस्त, 2018 को नवजोत सिंह सिद्धू जब इमरान के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान गए तो वहां उन्होंने पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा से भी मुलाकात की और उस दौरान बाजवा ने उनसे पाकिस्तान द्वारा करतारपुर कॉरीडोर खोलने की घोषणा की। और अब अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर समर्थन न मिलने और अपने ही देश में विरोधी दलों की भारी आलोचना के बीच इमरान और जनरल बाजवा ने भारत के प्रति अपने तेवर ढीले करने के संकेत दिए हैं। 

जहां पाकिस्तान ने भारत के साथ ‘सशर्त वार्ता’ पर सहमति व्यक्त की है वहीं इमरान खान ने 2 सितम्बर को कहा कि ‘‘युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है। पाकिस्तान और भारत दोनों परमाणु शक्तियां हैं और यदि तनाव बढ़ा तो दुनिया खतरे का सामना करेगी।’’ यही नहीं पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरीडोर का काम पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार पूरा करने का वायदा दोहराया है तथा पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख रशीद अहमद ने पाकिस्तान के ‘ननकाना साहिब’ रेलवे स्टेशन का नाम ‘बाबा गुरु नानक रेलवे स्टेशन’ रखने की घोषणा की है। इसके अलावा जहां पाकिस्तान ने भारत के साथ आंशिक व्यापार बहाल करते हुए दवाओं के आयात को भी स्वीकृति दे दी है वहीं करतारपुर साहिब आने वाले सिख श्रद्धालुओं को ‘ऑन अराइवल वीजा’ देने की घोषणा भी की है। 

कुल मिलाकर आज लद्दाख में जश्न का माहौल है, जम्मू के लोग खुश हैं और कश्मीर घाटी में भी माहौल धीरे-धीरे खुल रहा है। लोग सड़कों पर अपने वाहनों आदि के साथ निकल आए हैं। शादी-विवाह होने लगे हैं, कुछ शिक्षा संस्थान खुल गए हैं। घाटी में पिछले महीने के दौरान हिंसा और पत्थरबाजी की नाममात्र घटनाएं हुई हैं तथा आशा करनी चाहिए कि जो कमी है वह धीरे-धीरे ढर्रे पर आ जाएगी। उपमहाद्वीप के दोनों ही देश अनेक समस्याओं से जूझ रहे हैं। जहां पाकिस्तान में बेरोजगारी, गरीबी, आतंकवाद, महंगाई और बीमारियों का जोर है तो भारत भी आॢथक मंदी, बेरोजगारी, आतंकवाद से जूझ रहा है। भारत की जी.डी.पी. 6 वर्षों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच कर 5 प्रतिशत रह गई है और 3 सितम्बर को शेयर बाजार में भारी गिरावट के कारण निवेशकों के 2.55 लाख करोड़ रुपए डूब गए हैं।

वैसे तो किसी भी समय कुछ भी हो सकता है परंतु कुल मिला कर वर्तमान घटनाक्रम का संदेश यही है कि जो कुछ हुआ सो हुआ परंतु अब पाकिस्तानी शासकों में आ रहे सकारात्मक बदलाव के चलते धीरे-धीरे हालात बदल रहे हैं जो समय आने पर और ठीक हो जाएंगे। यदि भारत-पाक आपस में मिल कर शांतिपूर्वक रहें तो दोनों ही देशों द्वारा अपनी प्रतिरक्षा पर खर्च की जाने वाली अरबों रुपए की राशि बचाकर दोनों देशों की जनता की भलाई पर खर्च की जा सकती है जिससे दोनों देशों में खुशहाली नजर आने लगेगी और आपसी मित्रता बढ़ेगी।—विजय कुमार

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!