विपक्ष में फिर फूट धनखड़ आसानी से जीते उप राष्ट्रपति का चुनाव

Edited By ,Updated: 07 Aug, 2022 04:50 AM

again split in opposition dhankhar easily won the election of vice president

देश के 14वें उप-राष्ट्रपति के लिए 6 अगस्त को मतदान में भाजपा नीत राजग के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ और विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मार्ग्रेट अल्वा के बीच मुकाबला...

देश के 14वें उप-राष्ट्रपति के लिए 6 अगस्त को मतदान में भाजपा नीत राजग के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ और विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मार्ग्रेट अल्वा के बीच मुकाबला हुआ, जिसमें जगदीप धनखड़ विजयी रहे। 18 मई, 1951 को राजस्थान के छोटे से गांव ‘किठाना’ के एक साधारण किसान परिवार में जन्मे श्री जगदीप धनखड़ ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव में तथा स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल, चित्तौडग़ढ़ में पूरी करने के बाद राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और वकालत का व्यवसाय चुनने के बाद राजस्थान हाईकोर्ट में वकालत भी करते रहे। 

समाजवादी पृष्ठभूमि के 71 वर्षीय जगदीप धनखड़ ने अपनी राजनीतिक पारी राजस्थान की झुंझनूं लोकसभा सीट जनता दल के टिकट पर जीत कर शुरू की और सांसद बनने के बाद 1989-91 के दौरान केंद्र में वी.पी. सिंह तथा चंद्रशेखर की सरकारों में मंत्री रहे। 1991 के चुनाव में जनता दल से टिकट न मिलने पर जगदीप धनखड़ कांग्रेस में चले गए तथा 1993 में किशनगढ़ सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ कर विधायक बने और फिर 2003 में कांग्रेस से मुंह मोड़ कर भाजपा में शामिल हो गए। 

जगदीप धनखड़ को 30 जुलाई, 2019 को तत्कालीन राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया था और यह पद संभालने के बाद से ही उनका मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ ‘36’ का आंकड़ा रहा जो उनके इस पद पर बने रहने तक जारी रहा। आंकड़ों के लिहाज से धनखड़ की जीत पहले ही पक्की नजर आ रही थी। 

जिस प्रकार राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान के समय विपक्षी दलों में अपने उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के पक्ष में एकता न बन सकी और उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा, उसी प्रकार उप-राष्ट्रपति के चुनाव में भी विरोधी दल एक न हो सके। यहां तक कि तृणमूल कांग्रेस ने भी मतदान से दूर रह कर एक प्रकार से जगदीप धनखड़ का ही समर्थन कर डाला। ममता बनर्जी ने कहा कि विरोधी दलों ने मार्ग्रेट अल्वा के नाम पर फैसला करते हुए तृणमूल कांग्रेस को विश्वास में नहीं लिया जिस पर मार्ग्रेट अल्वा ने ममता के फैसले पर कहा था कि यह समय अहंकार या क्रोध का नहीं है परंतु ममता अपने फैसले पर कायम रहीं। 

उल्लेखनीय है कि राकांपा सुप्रीमो शरद पवार के आवास पर हुई बैठक में मारगे्रट अल्वा की उम्मीदवारी की घोषणा करते हुए शरद पवार ने कहा था कि ‘‘17 विपक्षी दलों ने सर्वसम्मति से मार्ग्रेट अल्वा के नाम पर फैसला किया है।’’   परंतु उनका यह कथन सही सिद्ध न हुआ। जगदीप धनखड़ को राजग के सहयोगी दलों के अलावा बीजू जनता दल, वाई.एस.आर. कांग्रेस, अन्ना द्रमुक, तेलगू देशम, शिवसेना, आप तथा बसपा का भी समर्थन प्राप्त था। 

राष्ट्रपति के चुनाव की भांति ही उप-राष्ट्रपति के चुनाव में भी क्रास वोटिंग हुई। ममता बनर्जी ने अपने 36 सांसदों को वोटिंग से दूर रहने की बात कही थी, परंतु तृणमूल सांसदों शिशिर अधिकारी और दिव्येंदु अधिकारी ने ममता के फैसले के विरुद्ध वोट किया। सपा और शिवसेना के 2 जबकि बसपा के एक सांसद ने वोट नहीं किया। भाजपा सांसद सन्नी देओल और संजय धोत्रे ने मतदान ही नहीं किया। बहरहाल अब जबकि श्री जगदीप धनखड़ देश के दूसरे सर्वोच्च नेता चुन लिए गए हैं, यह भाजपा की रणनीति की सफलता और विपक्ष की फूट का परिणाम है, जो बार-बार मुंह की खाने के बावजूद अपनी पराजयों से सबक लेने को तैयार नहीं है। 

मार्ग्रेट अल्वा की हार में आश्चर्य की कोई बात नहीं है क्योंकि दोनों में से किसी एक को तो हारना ही था परंतु यदि वह जीत जातीं तो यह विश्व में एक अनोखा कीर्तिमान होता जब किसी देश के 2 सर्वोच्च पदों पर एक साथ 2 महिलाएं विराजमान होतीं। एक दल से दूसरे दल में जाने के बावजूद श्री धनखड़ किसानों में अत्यधिक लोकप्रिय रहे हैं और समय-समय पर तथा किसान आंदोलन के दौरान भी किसानों के पक्ष में आवाज उठाते रहे हैं। अत: भाजपा को किसान हिमायती श्री धनखड़ को उप-राष्ट्रपति बनाने का कुछ लाभ आने वाले चुनावों में अवश्य मिलेगा। वर्तमान उप-राष्ट्रपति श्री एम. वैंकेया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो जाएगा और नए उप-राष्ट्रपति के रूप में श्री जगदीप धनखड़ 11 अगस्त को शपथ ग्रहण कर लेंगे।—विजय कुमार 

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