पड़ोसी देशों से खटपट के चलते ‘तेल का अधिक स्टाक’ बनाना बहुत जरूरी

Edited By ,Updated: 12 Jun, 2020 10:51 AM

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भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इस वर्ष मार्च महीने से कच्चे तेल की कीमतों में 57 प्रतिशत तक आई भारी गिरावट का लाभ उठाते हुए 1 करोड़ 60 लाख बैरल कच्चा तेल खरीद कर लगभग 5000 करोड़ रुपए की बचत करने के साथ-साथ अपना ‘रणनीतिक तेल भंडार’ भर लिया जो...

भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इस वर्ष मार्च महीने से कच्चे तेल की कीमतों में 57 प्रतिशत तक आई भारी गिरावट का लाभ उठाते हुए 1 करोड़ 60 लाख बैरल कच्चा तेल खरीद कर लगभग 5000 करोड़ रुपए की बचत करने के साथ-साथ अपना ‘रणनीतिक तेल भंडार’ भर लिया जो विशाखापत्तनम, मैंगलोर और पाडूर में रखा गया है। इसके अलावा सरकार नियंत्रित कम्पनियों और प्राइवेट रिफाइनरियों ने लगभग 6 करोड़ 20 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदा है तथा उनके नियमित  भंडारों में भारी मात्रा में कच्चा तेल, शोधित पैट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल, कोलतार और विमानन ईंधन मौजूद है। 

उल्लेखनीय है कि अमरीका और चीन के बाद भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ईंधन का उपभोक्ता है और अपनी जरूरत का लगभग 80 प्रतिशत कच्चा तेल विदेशों से आयात करता है। इस बारे ‘तक्षशिला इंस्टीच्यूट’ के प्रोफैसर ‘अनुपम मानूर’ का कहना है कि, ‘‘हमने अपने ‘रणनीतिक पैट्रोलियम भंडार’ (एस.पी.आर.) को बढ़ा कर यह सफलता प्राप्त की है परंतु यदि हम इसे और बढ़ा लेते तो 12 अतिरिक्त दिनों की खपत की जरूरत को पूरा किया जा सकता था।’’ उन्होंने कहा कि ‘‘अभी भी हम भारत के भीतर भूमिगत टैंकर बनाकर या श्रीलंका, ओमान और यू.ए.ई. आदि में भंडारण सुविधाएं किराए पर लेकर अतिरिक्त तेल का भंडार बना सकते हैं तथा भविष्य में भी कभी ऐसा मौका आने पर हमें उसका लाभ उठाने के लिए पहले से ही तैयारी रखनी चाहिए।’’

इस समय जबकि भारत की अपने नजदीकी पड़ोसियों चीन, पाकिस्तान व नेपाल से विभिन्न मुद्दों पर तनाव और टकराव की स्थिति बनी हुई है, कच्चे तेल का अतिरिक्त भंडार तैयार करके सरकार ने सही पग उठाया है क्योंकि  उक्त देशों के साथ किसी प्रकार की अप्रिय स्थिति में सर्वाधिक आवश्यकता तेल की ही पडऩे वाली है और तब यह रणनीतिक भंडार बहुत काम आएगा। उल्लेखनीय है कि देश ने खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है और अब हम इसका निर्यात भी करने लगे हैं तथा देश में बिजली संकट के दौर में सरकार द्वारा निजी क्षेत्र को अपारम्परिक ऊर्जा स्रोतों से बिजली प्राप्त करने के लिए सबसिडी देने के परिणामस्वरूप बिना खर्च किए सौर ऊर्जा आदि के माध्यम से काफी बिजली प्राप्त होने लगी है।  उसी प्रकार यदि देश में निजी कम्पनियों को सबसिडी देकर ईंधन के उत्पादन और भंडारण की अतिरिक्त क्षमता कायम कर ली जाए तो यह हमारे लिए आपातकाल में बहुत सहायक सिद्ध हो सकती है और इससे विदेशी मुद्रा की बचत भी होगी।     —विजय कुमार 

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