‘कोरोना महासंकट के बीच’‘सेवा भावना के चिराग रौशन हैं’

Edited By ,Updated: 21 Apr, 2021 04:30 AM

among the corona catastrophe are the lights of service spirit

संकट की इस घड़ी में जहां गुरुद्वारे, मंदिर तथा समाजसेवी जरूरतमंदों की सहायता के लिए आगे आ कर उन्हें भोजन तथा अन्य जरूरी चीजें पहुंचा रहे हैं, वहीं जान की परवाह न करते हुए पुलिस कर्मी व निजी स्तर पर भी कुछ लोग संकट की इस घड़ी में पीड़ित लोगों की...

संकट की इस घड़ी में जहां गुरुद्वारे, मंदिर तथा समाजसेवी जरूरतमंदों की सहायता के लिए आगे आ कर उन्हें भोजन तथा अन्य जरूरी चीजें पहुंचा रहे हैं, वहीं जान की परवाह न करते हुए पुलिस कर्मी व निजी स्तर पर भी कुछ लोग संकट की इस घड़ी में पीड़ित लोगों की यथासंभव सहायता कर रहे हैं जिनके चंद ताजा उदाहरण निम्र हैं : 

* दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने कोरोना पीड़ितों को तीन समय का लंगर भेजने तथा बाला साहिब अस्पताल के एक हिस्से सहित गुरुद्वारों की सराय, लंगर हाल और बड़े हाल आदि कोविड केयर सैंटर व एकांतवास केंद्र के रूप में इस्तेमाल करने को दिए हैं। 
* गुजरात में अहमदाबाद स्थित स्वामी नारायण मंदिर के प्रबंधकों ने अपने दरवाजे कोरोना पीड़ितों के लिए खोल कर मंदिर को अस्पताल में तबदील कर दिया है। मंदिर के कर्मचारी स्वयं कोरोना पीड़ितों की देखभाल कर रहे हैं। 
* गुजरात के वडोदरा में भी कोरोना संक्रमितों के लिए बैडों की कमी को देखते हुए जहांगीरपुरा मस्जिद के प्रबंधकों ने मस्जिद को एक कोविड सैंटर में बदलते हुए कहा है कि इससे बेहतर इबादत कोई और नहीं। मस्जिद के प्रबंधक इरफान शेख ने मस्जिद में ऑक्सीजन की व्यवस्था सहित 50 बैड लगवाए हैं। इसके अलावा दारूल उलूम में भी कोरोना पीड़ितों के लिए 120 बैड की व्यवस्था की गई है। 

* जहां कुछ अस्पतालों में कोरोना पीड़ितों से भारी फीस वसूल किए जाने की शिकायतें मिल रही हैं, वहीं ग्वालियर के 12 निजी अस्पतालों के प्रबंधक कोरोना संक्रमितों को मुफ्त इलाज और दवाएं दे रहे हैं। 
* नामधारी संगत से जुड़े हिमाचल प्रदेश में मंडी के हरदीप सिंह राजा लगातार 8 महीने नगर के विभिन्न चौराहों आदि पर लोगों की इम्युनिटी मजबूत करने के लिए उन्हें नि:शुल्क स्वास्थ्यवर्धक काढ़ा पिलाते रहे हैं।
* देश में कोरोना उपचार के लिए जरूरी ऑक्सीजन सिलैंडरों की कमी के दृष्टिïगत सूरत के उद्योगपति ‘महेन्द्र भाई रामोलिया’ अपने साथियों सहित शहर के जरूरतमंदों को मुफ्त ऑक्सीजन सिलैंडर उपलब्ध करवा रहे हैं। 

* मध्यप्रदेश सरकार के अनुरोध पर सेना ने चार शहरों में अपने अस्पतालों में कोरोना पीड़ित लोगों के इलाज की व्यवस्था की है। यही नहीं सेना अपने पैरामैडीकल स्टाफ की सेवाएं भी दे रही है।
* बिहार के बिहटा स्थित सेना के अस्पताल और कानपुर के वायुसेना अस्पताल में भी कोरोना पीड़ितों का इलाज किया जा रहा है। 
* दिल्ली पुलिस के ए.एस.आई. अंबरीष त्यागी गत वर्ष जून में कोरोना की चपेट में आ गए थे, जिसके दौरान उन्हें कोरोना पीड़ितों के प्राणों को जोखिम का एहसास हुआ। 
लिहाजा स्वस्थ होने के बाद उन्होंने स्वयं को कोरोना पीड़ितों की सेवा में ही समर्पित कर दिया है तथा वह कोरोना महामारी के दौरान बेरोजगार हुए लोगों को भोजन उपलब्ध करवाने के अलावा संक्रमितों को इलाज के लिए अस्पतालों में ले जाकर भर्ती करवा रहे हैं। 

* एक उदाहरण रायपुर के पांच युवक पी.पी.ई. किट पहन कर दिन-रात कोरोना पीड़ितों की सेवा करके पेश कर रहे हैं। ये युवक परिजनों द्वारा ठुकराए कोरोना से मरने वालों के अंतिम संस्कार भी करवा रहे हैं। 
* महाराष्ट्र में पुणे के ‘मंचर’ में रहने वाले पूर्व ग्राम प्रधान दत्ता गांजाले भी ऐसे ही एक मानव प्रेमी हैं जो उन कोरोना पीड़ितों के लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं जिन्हें उनके अपने ही छोड़ गए। 
* इसी प्रकार महाराष्ट्र में ‘बुलढाणा’ के रहने वाले आटो चालक पप्पू भी पिछले एक वर्ष से कोरोना संक्रमितों को ला और ले जा रहे हैं। यदि किसी कोरोना मृतक की लाश उसके परिवार वाले नहीं लेकर जाते तो वह स्वयं उसका अंतिम संस्कार भी करते हैं। 

ये तो ‘कोरोना योद्धाओं’ की सेवा भावना के चंद उदाहरण हैं जो अपने दम पर इस संकट के शिकार लोगों की सहायता में अपना योगदान दे रहे हैं परंतु इस संकट का मुकाबला करने के लिए और लोगों को भी आगे आना होगा।हम सबको एकजुट हो कर पीड़ितों की सहायता करने के साथ-साथ इस महामारी से बचाव के नियमों का कठोरतापूर्वक पालन करना होगा। तभी इस संकट का सामना किया जा सकेगा।—विजय कुमार 

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