प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा

Edited By ,Updated: 20 Nov, 2021 03:18 AM

announcement by prime minister to withdraw all three agricultural laws

19 नवम्बर को सुबह-सवेरे एक नाटकीय घटनाक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहते हुए तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा करके सबको हैरान कर दिया कि :  ‘‘सरकार नेक नियति से ये कानून लेकर

19 नवम्बर को सुबह-सवेरे एक नाटकीय घटनाक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहते हुए तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा करके सबको हैरान कर दिया कि : 

‘‘सरकार नेक नियति से ये कानून लेकर आई थी। मैं आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए और सच्चे दिल से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रही होगी जिसके कारण दीए के प्रकाश जैैसा सत्य कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए।’’

‘‘आज गुरु नानक देव जी का पवित्र प्रकाश पर्व है। यह समय किसी को भी दोष देने का नहीं है। आज मैं आपको, पूरे देश को, यह बताने आया हूं कि हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का, रिपील करने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, इसी महीने में हम तीनों कृषि कानूनों को रिपील (रद्द) करने की संवैधानिक प्रक्रिया प्रारंभ कर देंगे।’’
‘‘मैं आज अपने सभी आंदोलनरत साथियों से आग्रह कर रहा हूं कि आज गुरुपर्व का पवित्र दिन है अब आप अपने-अपने घर लौटें, अपने खेतों में लौटें, अपने परिवार के बीच लौटेें, आइए एक नई शुरूआत करते हैं।’’ 

जहां किसानों के एक वर्ग ने प्रधानमंत्री की उक्त घोषणा का स्वागत किया है और धरना एवं प्रदर्शन स्थलों व अन्य स्थानों पर भी मिठाई बांट कर और पटाखे फोड़ कर खुशी मनाई वहीं कुछ किसान नेताओं ने संसद द्वारा कानूनों को रद्द करने और एम.एस.पी. तथा बिजली कानून जैसे कुछ मुद्दों पर गारंटी न मिलने तक घरों को न जाने की बात कही है। 

‘भारतीय किसान यूनियन’ के नेता राकेश टिकैत ने एम.एस.पी. पर गारंटी काननू बनाने तथा अन्य मुद्दों पर बात करने की सरकार से मांग की है तथा कहा है कि ‘‘किसान आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा। हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब इन्हें संसद में रद्द किया जाएगा।’’ अधिकतर विपक्षी दलों ने इसे देर से लिया गया सही फैसला बताया है। राहुल गांधी बोले,‘‘देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सिर झुका दिया।’’ 

अरविंद केजरीवाल बोले,‘‘यह सिर्फ किसानों की नहीं लोकतंत्र की जीत है। किसानों ने सरकार को बता दिया कि जनतंत्र में जनता की ही मर्जी चलेगी।’’
हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा,‘‘सभी किसानों को इसका स्वागत करना और अपने धरने समाप्त कर देने चाहिएं।’’
कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कहा,‘‘प्रधानमंत्री ने किसानों से माफी मांगी। आज तक किसी प्रधानमंत्री ने ऐसा नहीं किया। अब किसानों को दिल्ली का बार्डर खाली कर देना चाहिए।’’ 

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा सितम्बर, 2020 में पारित तीनों विवादास्पद कृषि कानून लागू करने से पहले ही किसान संगठन 9 अगस्त, 2020 से इनका विरोध करने लगे थे तथा इन्हें वापस लेने की मांग को लेकर 26 नवम्बर, 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस समस्या को सुलझाने के लिए गठित चार सदस्यीय कमेटी भी किसानों ने यह कह कर अस्वीकार कर दी कि इन कानूनों से सरकार एम.एस.पी. समाप्त करके उन्हें उद्योगपतियों के रहम पर छोड़ देगी। समय-समय पर स्वयं भाजपा से जुड़े संगठन और अनेक नेता इन कानूनों को वापस लेने की सलाह दे चुके हैं।

भाजपा सरकार के प्रति नाराजगी के चलते जहां किसान संगठनों ने इस वर्ष देश के 5 चुनावी राज्यों में से एक पश्चिम बंगाल में भाजपा के विरुद्ध प्रचार भी किया वहीं अब किसान संगठनों की उत्तर प्रदेश तथा अन्य चुनावी राज्यों में भाजपा के विरुद्ध प्रचार करने की योजना थी। हम तो शुरू सेे ही लिखते रहे हैं कि सरकार इन विवादास्पद कानूनों को एक या डेढ़ वर्ष के लिए स्थगित करने तथा किसानों की समस्याओं का उचित समाधान करने के लिए संयुक्त समिति बनाने का प्रस्ताव पहले ही दे चुकी है। हमने यह भी लिखा था कि यदि चुनावों से पूर्व वे इस समस्या का हल तलाश कर लें तो चुनावों में उन्हें फायदा हो सकता है। भाजपा नेतृत्व ने आगामी चुनावों में हानि का खतरा भांप कर ऐसा किया है। इससे इनको चुनावों में कुछ लाभ हो सकता है। 

दो दिन पूर्व ही मोदी सरकार ने करतारपुर कारीडोर खोल कर सिख श्रद्धालुओं को गुरुपर्व का तोहफा दिया और अब किसानों की मांग पर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करके उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश की है। हालांकि चंद किसान नेताओं ने कहा है कि आंदोलन चलता रहेगा परंतु अब 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधि ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने नरेंद्र मोदी की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा है कि शनिवार और रविवार को कोर कमेटी की बैठकों के बाद भविष्य की कार्रवाई के बारे में फैसला किया जाएगा। अत: अब बदली हुई परिस्थितियां शांति की ओर अग्रसर हैं।—विजय कुमार

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