‘महंगाई’ और तेल उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के विरुद्ध विरोधी दलों का ‘भारत बंद’

Edited By Pardeep,Updated: 11 Sep, 2018 03:09 AM

anti inflationary parties bharat bandh against rising inflation and oil prices

अनिवार्य जीवनोपयोगी वस्तुओं की महंगाई के अलावा पैट्रोल और डीजल की आकाश छूती कीमतें हमेशा राजनीतिज्ञों का प्रिय विषय रही हैं। यही कारण है कि 26 मई, 2014 से पहले जब कांग्रेस सत्ता में थी तो भाजपा एवं अन्य विपक्षी दल भाकपा, तेदेपा, शिवसेना आदि तेल की...

अनिवार्य जीवनोपयोगी वस्तुओं की महंगाई के अलावा पैट्रोल और डीजल की आकाश छूती कीमतें हमेशा राजनीतिज्ञों का प्रिय विषय रही हैं। यही कारण है कि 26 मई, 2014 से पहले जब कांग्रेस सत्ता में थी तो भाजपा एवं अन्य विपक्षी दल भाकपा, तेदेपा, शिवसेना आदि तेल की बढ़ती कीमतों के विरुद्ध खूब प्रदर्शन करते थे। अब यह मोर्चा कांग्रेस ने संभाल लिया है। 

पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी 1973 में इंदिरा के शासन में पैट्रोल व मिट्टी के तेल की कीमतों में वृद्धि के विरुद्ध बैलगाड़ी पर सवार होकर संसद में आए थे जबकि मनमोहन सिंह सरकार के दौरान प्रदर्शनों में वर्तमान केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद तथा भाजपा के ही रामेश्वर चौरसिया ने साइकिल थाम लिया था। भाजपा नेताओं नितिन गडकरी, अरुण जेतली, विजेंद्र गुप्ता, विजय कुमार मल्होत्रा, जगदीश मुखी, रमेश बिधूरी, सुषमा स्वराज तथा विजय गोयल आदि ने भी पैट्रोल-डीजल की कीमतों के विरुद्ध समय-समय पर धरना-प्रदर्शनों में भाग लेकर गिरफ्तारियां दीं तथा नारे लगाए जिनमें से चंद निम्र में दर्ज हैं : 

हाय महंगाई, महंगाई मार गई 
महंगाई का ‘हाथ’, हाय महंगाई -हाय महंगाई 
पैट्रोल कीमतों में वृद्धि वापस लो आदि। 

और अब जबकि केंद्र में भाजपा का शासन है, महंगाई, पैट्रोल व डीजल की आकाश छूती कीमतों और डालर के मुकाबले रुपए के अवमूल्यन आदि के विरुद्ध राहुल गांधी के नेतृत्व में समान विचारधारा वाले 20 से अधिक दलों ने 10 सितम्बर को राष्ट्रव्यापी बंद का आयोजन किया। इस अवसर पर प्रदर्शनकारियों द्वारा लगाए गए चंद नारे : 
गिरता रुपया महंगा तेल, मोदी सरकार हो गई फेल 
80 का पैट्रोल, 800 की गैस, जाने किस दुनिया में हैं पी.एम. मोदी 
देश परेशानियों से त्रस्त है, मोदी जी उद्योगपति दोस्तों के साथ मस्त हैं 

उल्लेखनीय है कि एक वर्ष में ही डीजल 17.65 रुपए और पैट्रोल 15.32 रुपए महंगा हो जाने से उपभोक्ताओं में हाहाकार मची हुई है जिस कारण इन पर वैट कम करके कीमतों में कमी करने की मांग की जाती रही है। इस बीच कांग्रेस द्वारा जारी ‘भारत बंद’ के विज्ञापन में पिछली कांग्रेस सरकार व मौजूदा भाजपा सरकारों के दौरान अनिवार्य वस्तुओं के भावों की तुलना की गई है। उसके अनुसार कांग्रेस राज में पैट्रोल 70 रुपए था जो भाजपा के राज में 80 रुपए हो गया, डीजल 55 से 70, एल.पी.जी. 400 से 754 रुपए हो गई। केंद्रीय भाजपा सरकार ने पिछले 52 महीनों में 11 लाख करोड़ रुपए से अधिक राशि तेल उत्पादों पर टैक्सों के रूप में वसूल की है। सरकार ने 4 साल में पैट्रोल पर 211 प्रतिशत व डीजल पर 443 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई है। 

बंद से देश में अनेक स्थानों पर जनजीवन प्रभावित हुआ। सड़क और रेल यातायात अवरुद्ध हुआ। लुधियाना में कांग्रेसी प्रदर्शनकारियों ने घोड़ागाड़ी का इस्तेमाल किया। कांग्रेसी महिलाओं ने रिक्शा चला कर तथा गोबर के उपलों से चूल्हा फूंक कर रोष व्यक्त किया। नि:संदेह आज मध्य वर्ग लगातार बढ़ रही महंगाई से बुरी तरह परेशान है और कांग्रेस तथा विरोधी दलों ने जनता की आवाज सरकार तक पहुंचाने की कोशिश की है। इस बीच राजस्थान सरकार ने कांग्रेस के बंद से एक दिन पहले 9 सितम्बर को पैट्रोल और डीजल पर 4 प्रतिशत वैट कम करने की घोषणा कर दी है जिससे वहां इसकी कीमतों में 2.50 रुपए प्रति लीटर तक की कमी आ गई है। आंध्र प्रदेश सरकार ने भी पैट्रोल व डीजल के दामों में 2 रुपए प्रति लीटर की कटोती कर दी है। यदि अन्य राज्य सरकारें भी ऐसा करें तो लोगों को कुछ राहत मिल सकती है।—विजय कुमार 

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