Edited By Pardeep,Updated: 14 Nov, 2018 03:49 AM
बेरोजगारी आज हमारे देश की बड़ी समस्या बन चुकी है। वर्ष 2014 में लोकसभा के चुनाव के समय नरेंद्र मोदी ने युवाओं के लिए 1 करोड़ नौकरियां सृजित करने का वादा किया था जो अभी तक पूरा नहीं हो सका। एक समाचार के अनुसार देश में 3 करोड़ से अधिक युवक बेरोजगार...
बेरोजगारी आज हमारे देश की बड़ी समस्या बन चुकी है। वर्ष 2014 में लोकसभा के चुनाव के समय नरेंद्र मोदी ने युवाओं के लिए 1 करोड़ नौकरियां सृजित करने का वादा किया था जो अभी तक पूरा नहीं हो सका। एक समाचार के अनुसार देश में 3 करोड़ से अधिक युवक बेरोजगार हैं।
बेरोजगारी की स्थिति का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि गत वर्ष राजस्थान विधानसभा सचिवालय द्वारा चपड़ासियों के 18 पदों के लिए आवेदन करने वाले 13,000 उम्मीदवारों में 129 इंजीनियर, 23 वकील, 1 चार्टर्ड अकाऊंटैंट और 393 आटर््स विधा में पोस्ट ग्रैजुएट थे। हाल ही में राजस्थान के दौसा में इतिहास में पोस्ट ग्रैजुएट एक युवक को सब्जी की रेहड़ी लगाते हुए देखा गया। उसका कहना है कि जब उसकी डिग्री और राज्य सरकार उसे नौकरी न दिलवा सकी तो उसने सब्जी बेचने का अपना खुद का धंधा शुरू कर दिया।
इस वर्ष जनवरी में मध्य प्रदेश में 8वीं पास योग्यता व 7500 रुपए मासिक मानदेय वाली चपड़ासी की नौकरी के 57 पदों के लिए प्राप्त होने वाले 60,000 आवेदन पत्रों में बड़ी संख्या में इंजीनियर, एम.बी.ए. व पी.एच.डी. की डिग्री वाले उम्मीदवारों के आवेदन पत्र शामिल थे। और अब इस तथ्य का रहस्योद्घाटन हुआ है कि कुछ समय पूर्व पंजाब और हरियाणा सरकारों द्वारा विज्ञापित ‘जेल वार्डर’ तथा चौथी श्रेणी की चपड़ासी, माली व बेलदार की असामियों के लिए आवेदन करने वालों में इंजीनियरों से लेकर अध्यापक व अन्य उच्च शिक्षा प्राप्त उम्मीदवार शामिल हैं।
पंजाब में जेल वार्डरों की 267 असामियों के लिए 57,000 आवेदकों में 20,000 ग्रैजुएट, 22,000 पोस्ट ग्रैजुएट, 1700 इंजीनियर एवं अन्य योग्यता प्राप्त उम्मीदवार शामिल हैं। पुलिस कांस्टेबल के समकक्ष इस पद पर तैनात कर्मचारियों की ड्यूटी में जेलों में बंद गुंडा तत्वों, गैंगस्टरों और शातिर अपराधियों को काबू में रखना शामिल है। इस असामी के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट (12वीं क्लास) उत्तीर्ण है परंतु इस पद के लिए बड़ी संख्या में उच्च योग्यता प्राप्त उम्मीदवारों द्वारा शारीरिक जांच परीक्षा उत्तीर्ण कर लेने के बाद संबंधित अधिकारी दुविधा में पड़ गए हैं। अधिकारियों का कहना है, ‘‘इस पद पर नियुक्त उच्च योग्यता प्राप्त उम्मीदवारों से जेलों में अनुशासन बनाए रखने के लिए बल प्रयोग करने की उम्मीद करना व्यर्थ ही होगा। पहले ही हम लोग कुछ समय पूर्व पंजाब पुलिस में भर्ती किए गए कांस्टेबलों के मामले में समस्याएं झेल रहे हैं।’’ इसी को देखते हुए अब नए रंगरूटों को जेल की ड्यूटी करने में सक्षम बनाने के लिए अधिकारियों ने उनके प्रशिक्षण की अवधि और 6 महीने बढ़ाने का निर्णय लिया है।
पड़ोसी हरियाणा में भी स्थिति कुछ इससे भिन्न नहीं है तथा वहां चपड़ासी, माली और बेलदार के ग्रुप डी में 20,000 रुपए मासिक वेतन वाले चतुर्थ श्रेणी के 18,216 पदों के लिए गत वर्ष नवम्बर में लिखित परीक्षा में बैठने वाले 9 लाख उम्मीदवारों में अध्यापकों सहित अनेक उच्च शिक्षा प्राप्त उम्मीदवार शामिल हैं। इनमें संस्कृत में पोस्ट ग्रैजुएट डिग्री के साथ एक बी.एड. टीचर भी शामिल है जो एक प्राइवेट स्कूल में 5,000 रुपए मासिक पर पढ़ा रहा है। उसका कहना है कि बी.एड. करने के 10 वर्ष बाद भी वह सरकारी स्कूल में नौकरी नहीं पा सका अत: उसने चपड़ासी के पद के लिए आवेदन किया है। इसी प्रकार मास कम्युनिकेशन में मास्टर्स डिग्रीधारी एवं सोश्योलॉजी में मास्टर्स डिग्री प्राप्त उम्मीदवारों के अलावा कालेजों और विश्वविद्यालयों में अध्यापन के लिए ली जाने वाली राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके उम्मीदवार भी आवेदन करने वालों में शामिल हैं।
हालांकि कोई भी काम छोटा नहीं होता परंतु कम योग्यता वाले पदों के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त उम्मीदवारों द्वारा आवेदन करने के लिए विवश होना कोई अच्छा संकेत नहीं है। अत: देश में रोजगार के अधिक से अधिक अवसर पैदा करना आवश्यक है ताकि यहां तैयार हो रही प्रतिभाओं का सही उपयोग हो सके और दूसरे देशों को हमारे यहां से प्रतिभाओं का पलायन रुके।—विजय कुमार