‘उत्तर प्रदेश की दुर्दशा’ की कहानी ‘मुलायम सिंह यादव की जुबानी’

Edited By ,Updated: 24 Jan, 2015 05:11 AM

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15 मार्च, 2012 को उत्तर प्रदेश के सबसे छोटी आयु के मुख्यमंत्री बने अखिलेश यादव से प्रदेश की जनता तथा उनके पिता सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को बहुत आशाएं थीं

15 मार्च, 2012 को उत्तर प्रदेश के सबसे छोटी आयु के मुख्यमंत्री बने अखिलेश यादव से प्रदेश की जनता तथा उनके पिता सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को बहुत आशाएं थीं जो धीरे-धीरे टूटती जा रही हैं। प्रदेश में अपराध बढ़ रहे हैं और ‘सपा’ विरोधियों का यह कथन सत्य सिद्ध हो रहा है कि ‘‘सपा के सत्ता में आने पर प्रदेश में गुंडाराज भी वापस आ जाएगा।’’ 

वास्तव में इसकी शुरुआत तो उसी दिन हो गई थी जब प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर सपा प्रत्याशियों के विजयी जलूसों में भारी हिंसा हुई। अखिलेश के शपथ ग्रहण समारोह में भी सपा वर्करों ने जमकर उत्पात मचाया और फिर मायावती के शासन में लगाई गई मूर्तियां तोडऩे का सिलसिला शुरू हो गया। 
 
इस पर नाराज मुलायम सिंह ने अखिलेश सरकार को दिए 100 दिनों के ‘ग्रेस पीरियड’ के बाद 31 जुलाई, 2012 को सपा के मंत्रियों और विधायकों को पहली बार फटकार लगाते हुए साफ-साफ चेतावनी दी कि वह सरकार के कामकाज से खुश नहीं हैं। फिर 9 अक्तूबर, 2012 को मुलायम सिंह यादव ने फिर कह दिया कि ‘‘उत्तर प्रदेश में गुंडों का राज हो गया है।’’ 
 
तब से अब तक लगभग 1 दर्जन बार वह अपने बेटे की सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठा चुके हैं लेकिन हालात नहीं सुधरे। अखिलेश को नसीहत देते हुए गत वर्ष 8 अक्तूबर को मुलायम सिंह ने यहां तक कहा था कि, ‘‘याद रखो, जनता ही सर्वोपरि है। जनता यदि सरकार बना सकती है तो गिरा भी सकती है। तुम लोग उसे मूर्ख नहीं बना सकते। तुम सभी ने जनविश्वास खो दिया है।’’
 
अब 21 जनवरी को लखनऊ स्थित पार्टी के मुख्यालय पर अखिलेश की उपस्थिति में राज्य सरकार के मंत्रियों और विधायकों को मुलायम सिंह ने एक बार फिर कहा कि ‘‘अखिलेश की सरकार के अनेक मंत्री अवैध तरीकों से पैसा बनाने में जुटे हुए हैं परंतु मेरे द्वारा बार-बार अखिलेश यादव को यह बात याद दिलवाने के बावजूद वह इस ओर ध्यान नहीं दे रहे।’’
 
उन्होंने आगे कहा, ‘‘अनेक मंत्री पार्टी की छवि की कीमत पर पैसा बना रहे हैं। इन्होंने 2014 के चुनावों में हमारे उम्मीदवारों को जिताने के लिए काम नहीं किया और मुझे यह भी पता है कि ये विधानसभा के चुनाव भी हार जाएंगे। मैंने अखिलेश को इनके बारे में सचेत किया था लेकिन उन्होंने न जाने क्यों उनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं की।’’  
 
पार्टी की लोकप्रियता में गिरावट के लिए मुलायम सिंह ने राज्य सरकार के अधिकारियों को भी जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, ‘‘ये लोग सपा सरकार की छवि बिगाड़ रहे हैं और पार्टी वर्करों तक की समस्याएं भी नहीं सुनते।’’
 
‘‘मुझे सब मालूम है। एक ओर तो ये अधिकारी पार्टी के हितों के विरुद्ध काम कर रहे हैं तथा दूसरी ओर मंत्री प्रदेश की जनता को लूटने में लगे हैं। उन्हें तो ‘किक बैक’ प्राप्त करने से ही फुर्सत नहीं। यदि मुख्यमंत्री ने इनको दंडित न किया तो इससे अगले चुनावों में पार्टी के लिए समस्या खड़ी हो जाएगी।’’ 
 
पार्टी के विधायकों की उपेक्षा करने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की भी खिंचाई की तथा उनकी ओर मुंह घुमाकर कहा, ‘‘विधायकों ने मुझे बताया है कि आप उनसे मिलना पसंद नहीं करते। यह बात मेरी समझ से बाहर है कि आखिर आपकी नीति क्या है!’’ 
 
मुलायम सिंह द्वारा बार-बार की जाने वाली उक्त टिप्पणियों से स्पष्ट है कि वह अपने बेटे की सरकार के कामकाज से कतई संतुष्ट नहीं हैं और इस संबंध में विरोधियों का कहना है कि स्वयं मुलायम सिंह ने अपने बेटे की सरकार की आलोचना करके विपक्ष के हाथों से यह मुद्दा छीन लिया है।
 
अब भी यदि अखिलेश ने अपनी सरकार की कार्यशैली न सुधारी तो विपक्षी दलों द्वारा उनकी सरकार पर लगाए जाने वाले आरोप सत्य सिद्ध हो जाएंगे। आगामी चुनावों में सपा को अपने कुशासन की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी और उन्हीं की सरकार के वरिष्ठ मंत्री आजम खान के इस कथन की भी पुष्टि हो जाएगी कि ‘‘प्रदेश में कानून व्यवस्था पर काबू पाना कठिन होता जा रहा है तथा हालात में कोई सुधार नहीं हुआ।’’

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