जयंती नटराजन का त्यागपत्र कांग्रेस को एक और झटका

Edited By ,Updated: 31 Jan, 2015 05:34 AM

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राहुल गांधी और उनकी टीम के नेतृत्व में लड़े गए पिछले कई चुनावों में भारी हार के बाद कांग्रेस में राहुल के विरुद्ध क्रियात्मक रूप से विद्रोह हो रहा है

राहुल गांधी और उनकी टीम के नेतृत्व में लड़े गए पिछले कई चुनावों में भारी हार के बाद कांग्रेस में राहुल के विरुद्ध क्रियात्मक रूप से विद्रोह हो रहा है। इसी कारण जहां उनके स्थान पर प्रियंका गांधी को आगे लाने की मांग उठी, वहीं राहुल पर लगातार आरोप लगाए जा रहे हैं : 

* 14 जुलाई, 2014 को पूर्व कांग्रेसी सांसद गुफरान आजम ने कहा था कि ‘‘राहुल गांधी ने यूथ कांग्रेस को तरह-तरह के प्रयोग करके तबाह कर दिया है तथा अब कांग्रेस का भी यही हाल किया जा रहा है।’’
 
* पूर्व मंत्री शशि थरूर ने 23 जुलाई को कहा कि ‘‘कांग्रेस में सब कुछ सामान्य नहीं है और राहुल संगठन से बाहर अधिक उपयोगी सिद्ध होंगे।’’
 
* फिर पूर्व सांसद जगमीत सिंह बराड़ ने कहा कि ‘‘चुनावों में हार के दृष्टिगत यदि सोनिया व राहुल 2 वर्ष की छुट्टी ले लें तो इसमें कोई हानि नहीं। वर्षों से कांग्रेस में कुछ लोग आम वर्करों से गली के कुत्तों से भी बुरा व्यवहार कर रहे हैं और इससे नेतृत्व व वर्करों के बीच दीवार खड़ी हो गई है।’’
 
बराड़ के बयान से नाराज होकर उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया परंतु राहुल गांधी के विरुद्ध असंतोष लगातार जारी है। एक सांसद ने तो यहां तक कह दिया कि ‘‘राहुल राजनीति को लेकर गंभीर ही नहीं हैं।’’
 
कांग्रेस द्वारा अतीत की भूलों से सबक न सीखने के कारण ही वरिष्ठï नेता जनार्दन द्विवेदी को 21 जनवरी, 2015 को एक इंटरव्यू में यह कहना पड़ा कि ‘‘नरेंद्र मोदी ने एक नए युग की शुरूआत की है। मोदी लोगों को यह समझाने में सफल रहे हैं कि सामाजिक दृष्टिकोण से वह भारतीयों के अत्यंत करीब हैं और उनकी जीत भारतीयता की ही जीत है।’’
 
श्री द्विवेदी के कथन पर चिंतन करने की बजाय उनकी आलोचना शुरू हो गई। इसी तरह पी. चिदम्बरम के बेटे कार्ति चिदम्बरम भी 23 जनवरी को मोदी की राजनीतिक योग्यता और वोट खींचने की क्षमता की प्रशंसा करने पर आलोचना के घेरे में आ गए और उन्हें कारण बताओ नोटिस थमा दिया गया। 
 
एक ओर कांग्रेस नेतृत्व ऐसी असहिष्णुता दिखा रहा है तो दूसरी ओर इसके वरिष्ठ सदस्यों की उपेक्षा और पार्टी से पलायन के समाचार मिल रहे हैं। कांग्रेस सरकार में मंत्री रही कृष्णा तीरथ 19 जनवरी को पार्टी में नेतृत्व की कमी बताते हुए त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हो गईं।
 
और अब 30 जनवरी को पूर्व पर्यावरण राज्यमंत्री जयंती नटराजन जोकि तमिलनाडु में अंतिम कांग्रेसी मुख्यमंत्री और किसी समय कांग्रेस में किंग मेकर कहलाने वाले पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष स्व. के. कामराज की पोती हैं, ने भी पार्टी से त्यागपत्र दे दिया। इससे पूर्व उन्होंने नवम्बर, 2014 में सोनिया को कड़े शब्दों में लिखे अपने पत्र की कापी एक समाचारपत्र को प्रकाशन के लिए दे दी जिसमें राहुल पर गंभीर आरोप लगाए गए थे।
 
जयंती ने राहुल पर उनके कामकाज में दखल देने और कुछ पर्यावरण परियोजनाओं को मंजूरी देने के संबंध में विशेष अनुरोध करने का आरोप भी लगाया जो क्रियात्मक रूप से आदेश ही होते थे। उन्हें कई बड़े प्रोजैक्ट राहुल के कहने पर ही रोकने पड़े थे जबकि राहुल के कैबिनेट सहयोगी ही उन प्रोजैक्टों को मंजूरी देने की मांग कर रहे थे। 
 
जयंती नटराजन के अनुसार राहुल गांधी ने पत्र लिख कर उनसे अडानी से जुड़ी परियोजना को स्वीकृति नहीं देने को कहा और एक दिन उन्हें अडानी की फाइल बाथरूम में फैंकी हुई मिली। पार्टी ने उनसे ‘स्नूप गेट’(महिला जासूसी कांड) के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी पर तीखे हमले करने को भी कहा।
 
जयंती ने यह भी कहा कि उन्हें संगठन के काम में लगाने के बहाने उनसे त्यागपत्र लिया गया जबकि राहुल के कार्यालय के किसी व्यक्ति ने मीडिया को बताया था कि यह त्यागपत्र पार्टी कार्यों के लिए नहीं था। 
 
जब उन्होंने राहुल से बात करके इसका कारण जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि वह व्यस्त हैं, बाद में बात करेंगे। जयंती के अनुसार न ही कांग्रेस में अब लोकतंत्र बचा है, न सोनिया को लिखे पत्र का उत्तर मिला है और न ही सोनिया व राहुल से बार-बार भेंट करने का समय मांगने के बावजूद उन्हें समय दिया गया।
 
उक्त बातों से साफ है कि यदि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व द्वारा पार्टी के लोगों की इसी तरह उपेक्षा की जाती रही और इसमें पनप रहा असंतोष शांत न किया गया तो पार्टी से पलायन और बढ़ेगा जिसकी क्षतिपूर्ति करना कांग्रेस नेतृत्व के लिए कठिन होगा।  

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