अरे ओ रोशनी वालो... ‘अंधेरे में जो बैठे हैं, नजर उन पर भी कुछ डालो’

Edited By ,Updated: 27 Mar, 2015 01:29 AM

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राजस्व का अधिकांश भाग वेतन और पैंशनों के खाते में चले जाने के कारण पंजाब सरकार अपने कर्मचारियों का वेतन नहीं बढ़ा रही। अभी कुछ ही दिन पहले उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने कहा था

राजस्व का अधिकांश भाग वेतन और पैंशनों के खाते में चले जाने के कारण पंजाब सरकार अपने कर्मचारियों का वेतन नहीं बढ़ा रही। अभी कुछ ही दिन पहले उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने कहा था कि वेतनों का बिल ही कुल राजस्व व्यय का 55 प्रतिशत हिस्सा खा जाता है परंतु उन्होंने अपने वेतन-भत्तों में 57 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक की वृद्धि चुपचाप ही कर दी है। 

18 मार्च को 6,394 करोड़ रुपए के भारी-भरकम राजस्व घाटे का बजट पेश करने के अगले ही दिन 19 मार्च को मंत्रिमंडल की बैठक में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री सहित मंत्रियों, स्पीकर, डिप्टी स्पीकर व विधायकों के वेतन-भत्ते बढ़ाने के विधेयक को मंजूरी दी गई और विधानसभा सत्र के अंतिम दिन 25 मार्च को इसे पारित करके कानूनी रूप भी दे दिया गया। 
 
अब मुख्यमंत्री का वेतन 50,000 रुपए से बढ़कर 1 लाख रुपए, उपमुख्यमंत्री और नेता विपक्ष सहित मंत्रियों का वेतन 30,000 रुपए से बढ़कर 50,000 रुपए प्रतिमास हो जाएगा। 19 मुख्य संसदीय सचिवों का वेतन 20,000 रुपए से बढ़कर 40,000 रुपए होगा। विधानसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर को 30,000 रुपए के स्थान पर 50,000 रुपए मासिक मिलेंगे। विधायकों का वेतन 15,000 रुपए से बढ़कर 25,000 रुपए हो गया है।
 
स्पीकर, डिप्टी स्पीकर, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता, मंत्रियों, मुख्य संसदीय सचिवों और विधायकों/पूर्व विधायकों के विशेष भत्तों में भी संशोधन किया गया है। अब विधायकों का महंगाई भत्ता 1000 रुपए से बढ़ाकर 1500 रुपए, कम्पैंसेटरी भत्ता अपरिवर्तित 50,000 रुपए, विधानसभा क्षेत्र भत्ता 15,000 से बढ़ाकर 25,000 रुपए, कार्यालय भत्ता 5000 से 10,000  रुपए, टैलीफोन भत्ता 10,000 रुपए से 15,000 रुपए, सचिवालय भत्ता 5000 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए मासिक तथा मुफ्त यात्रा भत्ता 2 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए वार्षिक कर दिया गया है। 
 
विधायकों की एक्सग्रेशिया 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दी गई है। विधायकों के सुरक्षा वाहनों के लिए डीजल और पैट्रोल की सीमा भी 500 लीटर से बढ़ाकर 700 लीटर कर दी गई है।
 
सिर्फ एक बार विधायक रहे जनप्रतिनिधि को 7500 रुपए मासिक पैंशन (महंगाई भत्ता अलग) के स्थान पर 10,000 रुपए मासिक और महंगाई भत्ता अलग से दिया जाएगा। दो बार विधायक रहे जनप्रतिनिधि को 12,500 रुपए मासिक के स्थान पर 17,500 रुपए मिलेंगे। 
 
पूर्व विधायकों का एक्सग्रेशिया 1.50 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दिया गया है। सरकार ने दलील दी है कि ताजा संशोधन के बावजूद हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के जनप्रतिनिधियों के मुकाबले वेतन व भत्ते अभी भी कम हैं।
 
इतना ही नहीं बजट अधिवेशन समाप्त होने के अंतिम मिनट में बिना पूर्व निर्धारित एजैंडे के कांग्रेस के लाल सिंह ने विधायकों के लिए मोहाली में मकानों के लिए जमीन का प्रस्ताव रखा जिसे न सिर्फ विधानसभा में एक मिनट में पारित कर दिया गया बल्कि विधानसभा अध्यक्ष चरणजीत अटवाल ने इसमें पूर्व विधायकों को भी शामिल कर दिया। वेतनों और भत्तों में हुई इस वृद्धि से राज्य के कोष पर लगभग 18.60 करोड़ रुपए वार्षिक का अतिरिक्त बोझ पड़ गया है।
 
राज्य के भारी वित्तीय संकट की लपेट में होने के बावजूद ये वृद्धियां की गई हैं जबकि राज्य के 19.50 लाख वृद्धों जिनमें विधवाओं तथा अन्य अक्षम लोगों की मासिक पैंशन 8 वर्षों से नहीं बढ़ाई गई जो 250 रुपए मासिक पर अटकी हुई है और हमारे माननीय विधायक आदि भारी-भरकम वेतन-भत्ते लेने के बावजूद इनमें लगातार वृद्धि करवा रहे हैं।
 
आम जनता की महत्वपूर्ण समस्याओं पर संसद एवं विधानसभाओं में कोई चर्चा ही नहीं हो पाती और इसी कारण अनेक महत्वपूर्ण मामले हंगामे तथा परस्पर आरोप-प्रत्यारोप की भेंट चढ़ जाते हैं परंतु अपने वेतन-भत्तों एवं अन्य सुविधाओं में वृद्धि की बात आने पर वे सारे मतभेद भुलाकर एकजुट हो जाते हैं। अत: अब तो यही कहा जा सकता है : लडऩ-भिडऩ नूं वक्खो-वक्ख, खान-पीन नूं इकठ्ठे

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