‘सफल ऑप्रेशन म्यांमार का ढिंढोरा’ इस प्रकार पीटना उचित नहीं

Edited By ,Updated: 11 Jun, 2015 11:31 PM

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आज पाकिस्तान व चीन ने हमारे विरुद्ध छद्म युद्ध छेड़ रखा है। कश्मीर में सक्रिय अलगाववादियों तथा 250 से अधिक जिलों में सक्रिय माओवादियों के अलावा सुदूर उत्तर-पूर्व के 7 राज्य असम,

आज पाकिस्तान व चीन ने हमारे विरुद्ध छद्म युद्ध छेड़ रखा है। कश्मीर में सक्रिय अलगाववादियों तथा 250 से अधिक जिलों में सक्रिय माओवादियों के अलावा सुदूर उत्तर-पूर्व के 7 राज्य असम, मेघालय, त्रिपुरा, अरुणाचल, मिजोरम, मणिपुर व नागालैंड अनेक आतंकी गिरोहों के निशाने पर हैं। 

देश में सक्रिय आतंकी गिरोहों में से 57 आतंकी गिरोह उत्तर-पूर्व में व इनमें से केवल 34 तो मणिपुर में ही सक्रिय हैं। इनमें से अधिकांश गिरोह पड़ोसी म्यांमार से गतिविधियां चला रहे हैं और इन्हें चीन सरकार का समर्थन भी बताया जाता है।
 
4 जून को मणिपुर के ‘चालमोल’ में भारतीय सेना पर घात लगा कर हमला किया गया और हमारे 18 जवान शहीद कर दिए गए। म्यांमार की सीमा से मात्र 15 कि.मी. दूर घने जंगल में 20 वर्षों में किया गया यह सबसे बड़ा हमला था।
 
इसके जवाब में 9 जून को हमारी सेना ने म्यांमार की सेना के सहयोग से म्यांमार में घुस कर अपनी सीमा से बाहर पहली बार कार्रवाई द्वारा ‘नैशनल सोशलिस्ट कौंसिल ऑफ नागालैंड खपलांग’ (एन.एस.सी.एन.-के), जिसने भारतीय जवानों की हत्या की जिम्मेदारी ली थी, के 20 से अधिक उग्रवादी मार गिराए।
 
सेना के अतिरिक्त महानिदेशक (सैन्य अभियान) मेजर जनरल रणवीर सिंह के अनुसार यह अभियान मणिपुर व नागालैंड से लगती म्यांमार सीमा के अंदर म्यांमार सेना को विश्वास में लेकर चलाया गया तथा म्यांमार ने अपने जंगलों में छिपे भारत विरोधी गिरोहों को नष्ट करने की भारतीय सेना को छूट दी थी।
 
10 जून को अचानक इस कार्रवाई में भाग लेने वाले सैनिकों के चित्र सोशल मीडिया पर डाल देने से अनेक सैनिकों की पहचान उजागर हो गई और एक विवाद खड़ा हो गया। इन चित्रों को फेसबुक व ट्विटर समूहों ने शेयर किया जिनमें कमांडोज को मुस्कराते हुए और ‘वी’ चिन्ह बनाते दिखाया गया था। 
 
अनेक कमांडो कार्रवाइयों में भाग ले चुके कर्नल के.डी. पाठक (रिटा.) का कहना है कि ‘‘इस मामले की जांच करवाई जानी चाहिए कि जवानों के चित्र प्रसारित न करने के आदेशों के बावजूद ये सोशल मीडिया पर कैसे पहुंच गए। सोशल साइटों पर कमांडोज की पहचान उजागर करना बहुत बड़ी भूूल है। 
 
विश्व की कोई भी सेना ऐसी गलती नहीं करती। जिन सैनिकों के चित्र दिखाए गए हैं उनमें से अधिकांश उत्तर-पूर्व के हैं और उनका जीवन खतरे में पड़ सकता है।’’ 
 
सेना की उत्तरी और पूर्वी कमानों का नेतृत्व कर चुके लै.ज. (रिटा.) एच.एस. पनाग ने भी म्यांमार ऑप्रेशन को ‘हाईलाइट’ करने की आलोचना करते हुए कहा कि ‘‘फौरन ऐसा करने की क्या जल्दी और क्या मजबूरी थी?’’
 
उन्होंने केंद्रीय मंत्री आर.एस. राठौड़ का यह बयान बेहूदा व हास्यास्पद बताया कि ‘‘भारतीय सेना ने आतंकियों के गढ़ में घुस कर हमला किया। देश के दुश्मनों को करारा जवाब। कुशल नेतृत्व, मजबूत सरकार।’’ लै.ज. पनाग ने कहा कि यह बयान सिर्फ राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए दिया गया है। 
 
कर्नल पाठक व लै.ज. पनाग का यह कहना उचित है कि मणिपुर में भारतीय जवानों द्वारा म्यांमार प्रशासन की सहायता से की गई कार्रवाई का कदापि इस प्रकार ढिंढोरा नहीं पीटना चाहिए था। 
 
ऐसा करने से इस कार्रवाई में शामिल जवान चाहे वे भारत के हों या म्यांमार के, आतंकवादियों के निशाने पर आ गए हैं और प्रतिक्रिया स्वरूप वे पुन: हमले करके बदला लेने की कोशिश करेंगे। 
 
यही नहीं, म्यांमार सरकार ने भारत के इस दावे को झुठलाते हुए कह दिया है कि भारतीय सुरक्षा बलों ने भारत की सीमा में ही इन आतंकवादियों पर हमला किया था। 
 
यदि भारत सरकार ने म्यांमार सरकार के सहयोग से यह कार्रवाई की भी थी तब भी इसका प्रचार करने से संकोच ही करना चाहिए था। ऐसा करके भारत सरकार ने जहां म्यांमार सरकार की पोजीशन और म्यांमार सरकार की नजर में अपनी पोजीशन को खराब किया है, वहीं म्यांमार से भारत विरोधी गतिविधियां चला रहे गिरोहों को सावधान भी कर दिया है।
 
अब वे भारत ही नहीं बल्कि म्यांमार सरकार के विरुद्ध भी बदले की भावना से  कार्रवाई कर सकते हैं। सेना द्वारा आतंकवादियों के विरुद्ध भावी योजना को सार्वजनिक करना भी समान रूप से गलत और आतंकवादी गिरोहों को पहले ही अपने बचाव के लिए सतर्क कर देने के अनुरूप है। इससे आतंकवाद के विरुद्ध भारत के संघर्ष को आघात ही लगेगा। 
 

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