Edited By ,Updated: 09 Sep, 2015 01:05 PM
पूज्य पिता लाला जगत नारायण जी को हमसे बिछुड़े आज 33 वर्ष हो गए हैं। भले ही वह आज हमारे बीच सशरीर उपस्थित नहीं हैं परन्तु सूक्ष्म रूप में ‘पंजाब केसरी समूह’ पर उनका वरदहस्त आज भी बना हुआ है।
पूज्य पिता लाला जगत नारायण जी को हमसे बिछुड़े आज 33 वर्ष हो गए हैं। भले ही वह आज हमारे बीच सशरीर उपस्थित नहीं हैं परन्तु सूक्ष्म रूप में ‘पंजाब केसरी समूह’ पर उनका वरदहस्त आज भी बना हुआ है। उन्होंने अपने संपादकीय लेखों में देश की समस्याओं, राजनीतिक एवं सामाजिक विषयों पर जो कुछ लिखा, वह आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना तब था। आज उनके बलिदान दिवस पर हम 1 अप्रैल, 1979 के अंक में प्रकाशित उनका संपादकीय निम्न में प्रकाशित कर रहे हैं:
‘शराब पीने में पंजाब पहले नंबर पर’
* पंजाब में हरी-क्रांति के बाद मदिरापान तेजी से बढ़ता जा रहा है। पंजाब सरकार ने केंद्र की नशाबंदी नीति के अनुसार चार वर्ष में पूर्ण नशाबंदी लागू करने की घोषणा की है। इसके दृष्टिगत हर वर्ष शराब का कोटा भी कम किया जा रहा है व ‘खुश्क दिनों’ की संख्या भी बढ़ाई जा रही है पर जब ठेके बंद होने के दिन आते हैं तो लोग पहले ही ‘खुश्क दिनों’ का राशन जमा कर लेते हैं। अवैध शराब का धंधा भी जोर-शोर से चल रहा है।
* राजस्थान-हरियाणा से भी पंजाब में शराब की तस्करी बढ़ गई है। लगता है कि शराब के प्यासे लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं हालांकि नशाबंदी आंदोलन भी पूरे जोर से चल रहा है।
* पहले सरकार का विचार यह था कि नशाबंदी की नीति पर अमल करने से सरकार को चालू वर्ष में लगभग 57 करोड़ रुपए का घाटा होगा परन्तु अब यह बात स्पष्ट हो गई है कि सरकार को नशाबंदी लागू करने से कोई हानि तो क्या होनी है, इससे उलटा उसे कुछ लाभ ही होगा।
* यहां यह लिख देना भी अरुचिकर न होगा कि ठेकेदारों ने ठेकों की बोलियां भी दिल खोल कर अधिक से अधिक रकम की दी हैं क्योंकि यह बात उनकी समझ में आ गई है कि यह सौदा घाटे का नहीं है।
* यह सब कुछ पंजाब सरकार और नशाबंदी कौंसिल को बहुत बड़ी चुनौती है। यदि गुजरात और तमिलनाडु में मद्य निषेध लागू हो सकता है तो कोई कारण नहीं कि पंजाब में भी पूर्ण नशाबंदी तुरन्त लागू न हो सके।
* मैं तो ईमानदारी से इस राय का हूं कि केंद्र सरकार को चार वर्ष की अवधि में पूर्ण नशाबंदी लागू करने के चक्कर में न पड़ कर पाकिस्तान की तरह भारत में भी तुरन्त पूर्ण नशाबंदी लागू कर देनी चाहिए।
* हमारे मुख्यमंत्री श्री प्रकाश सिंह बादल व आबकारी मंत्री श्री हिताभिलाषी कई बार घोषणा कर चुके हैं कि वे नशाबंदी लागू करने के पक्ष में हैं और पंजाब को इस बुराई से छुटकारा दिलाना चाहते हैं तो क्या कारण है कि पंजाब शराब की खपत के मामले में भारतवर्ष में पहले नंबर पर आए।
* मैं तो पंजाब की देवियों से प्रार्थना करूंगा कि जिस तरह तमिलनाडु की देवियां वहां दोबारा नशाबंदी लागू कराने के लिए मैदान में उतरीं और उन्होंने वहां की सरकार को इस मांग को मानने के लिए विवश कर दिया, उसी तरह पंजाब की देवियों को भी कर्म क्षेत्र में उतर कर पंजाब सरकार को तुरन्त नशाबंदी लागू करने के लिए विवश कर देना चाहिए।
* पंजाब सरकार को चाहिए कि जो मंत्री और विधायक शराब पीते हैं सबसे पहले उनसे शपथ ले और उनको विवश करे कि शराब को हाथ नहीं लगाएंगे, तभी वह नशाबंदी के मिशन में पूरी तरह सफल हो सकती है।
* यदि पंजाब में लोगों ने इसी तरह मदिरापान जारी रखा तो वह दिन दूर नहीं जब पंजाब में गुंडा तत्वों का ही राज होगा और सरकार को लॉ-एंड-आर्डर कायम रखना बहुत मुश्किल हो जाएगा। अत: जरूरी है कि जैसे पाकिस्तान में पूर्ण नशाबंदी लागू की गई है वैसे ही यहां भी लागू की जाए। यदि पंजाब सरकार ऐसा पग उठाए तो निश्चय ही पंजाब के अधिकांश लोग इस अभिशाप से बच जाएंगे तथा हमारी भावी पीढिय़ां विनाश के मुंह में जाने की बजाय प्रगति व समृद्धि के मार्ग पर बढ़ सकेंगी। —जगत नारायण
* चूंकि हमारे नेता शराब को नशा ही नहीं मानते और हमारी सरकारें इसकी बिक्री से होने वाली भारी-भरकम आय को खोना भी नहीं चाहतीं इसलिए शराब व अन्य नशों के सेवन से होने वाली भारी हानियों के बावजूद उन्होंने इस ओर से आंखें मूंद रखी हैं और इसीलिए शराब के उत्पादन में कमी की बजाय हर वर्ष इसकी वृद्धि को ही बढ़ावा दे रही हैं। वैसे तो ऊपरी तौर पर दिखावे के लिए हमारे नेतागण नशों पर रोक लगाने की बातें करते रहते हैं परन्तु क्रियात्मक रूप से इसे समाप्त करने के लिए उन्होंने कुछ भी नहीं किया। यही कारण है कि आज पंजाब शराब तथा अन्य नशों के दरिया में डूब रहा है और सभी तरह के अपराध काफी बढ़ गए हैं। —विजय कुमार