Edited By ,Updated: 16 Apr, 2019 03:44 AM
रामपुर से सपा टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ रहे आजम खां जयाप्रदा के बारे में अपने अमर्यादित बयानों को लेकर आलोचना का पात्र बने हुए हैं। आजम खां ने जयाप्रदा को एक ‘नाचने वाली’ बताते हुए 11 मार्च को कहा था कि ‘‘एक नाचने वाली ने मेरे बारे में टिप्पणी की...
रामपुर से सपा टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ रहे आजम खां जयाप्रदा के बारे में अपने अमर्यादित बयानों को लेकर आलोचना का पात्र बने हुए हैं। आजम खां ने जयाप्रदा को एक ‘नाचने वाली’ बताते हुए 11 मार्च को कहा था कि ‘‘एक नाचने वाली ने मेरे बारे में टिप्पणी की है। मैं नाचने-गाने वाली के मुंह नहीं लगता। अगर मैं उनके मुंह लगूंगा तो सियासत कैसे करूंगा।’’
फिर इसके बाद आजम खां 14 अप्रैल को रामपुर की एक जनसभा में रामपुर से भाजपा की टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ रही जयाप्रदा के बारे में अमर्यादित टिप्पणी करके चौतरफा घिर गए। उन्होंने लोगों से पूछा, ‘‘क्या राजनीति इतनी गिर जाएगी कि 10 साल जिसने रामपुर वालों का खून पिया, जिसे उंगली पकड़ कर हम राजनीति में लाए, उसने हमारे ऊपर क्या-क्या इल्जाम नहीं लगाए। क्या आप उसे वोट देंगे?’’ ‘‘आपने 10 साल जिनसे अपना प्रतिनिधित्व करवाया, उनकी असलियत समझने में आपको 17 साल लगे, मैं 17 दिन में पहचान गया कि इनका अंत:वस्त्र खाकी रंग का है।’’
आजम खां समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता हैं। वह समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य, राष्ट्रीय महासचिव तथा उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। वह 9 बार रामपुर से विधायक चुने गए हैं तथा अभिनेत्री से राजनीतिज्ञ बनी जयाप्रदा से उनकी पुरानी रंजिश है। 15वीं लोकसभा के चुनावों के दौरान आजम खां द्वारा उस समय सपा की टिकट पर चुनाव लड़ रही जयाप्रदा के विरोध के कारण पार्टी में संकट उत्पन्न हो गया था तथा आजम खां को 24 मई, 2009 को पार्टी से 6 वर्ष के लिए निष्कासित भी कर दिया गया परंतु बाद में उनका निष्कासन रद्द कर दिया गया और वह 4 दिसम्बर, 2010 को पुन: पार्टी में लौट आए। आजम खां द्वारा ऐसे बयान देने का यह कोई पहला मौका नहीं है। इसी वर्ष 15 फरवरी को उन्होंने यह आपत्तिजनक बयान दिया था कि ‘‘जवानों की शहादत के लिए 2 ही लोग-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्टï्रपति रामनाथ कोविंद जिम्मेदार हैं। ’’
‘‘हमारी जितनी भी गुप्तचर एजैंसियां हैं उनसे राजनीतिक काम लिया जा रहा है। इनसे कहीं ममता की जांच करवाई जा रही है, कहीं वाड्रा की व कुछ एजैंसियां अखिलेश की जांच में जुटी हैं।’’ इसी प्रकार आजम खां का एक अन्य विवादित बयान वायरल हो रहा है जिसमें वह कह रहे हैं कि ‘‘याद है न मायावती का फोटो जिसमें अफसर रूमाल निकाल कर उनके जूते साफ करते थे। इस बार बसपा से ही गठबंधन हुआ है और एक बार फिर अफसरों से मायावती के जूते साफ करवाऊंगा।’’ जयाप्रदा ने 13 अप्रैल को रामपुर में एक जनसभा में भाषण के दौरान कहा, ‘‘मैंने मुलायम सिंह जी को भी बताया कि मेरी अश्लील तस्वीरें रामपुर में घुमा रहे हैं। मुझे बचाइए। लेकिन रामपुर के किसी नेता ने मुझे बचाने की कोशिश नहीं की इसलिए मुझे मजबूरी में रामपुर छोड़ कर जाना पड़ा।’’
‘‘आजम खां साहब, मैंने आपको भाई कहा पर आपने मुझे बहन के नाम से बद्दुआ दी और मुझे जलील किया। क्या हमारे भाई कभी इस नजर से देखते हैं कि मैं नाचने वाली हूं? इसलिए मैं रामपुर छोड़ कर जाना चाहती थी।’’ जहां जयाप्रदा ने बसपा सुप्रीमो मायावती से अनुरोध किया है कि बसपा आजम खां के अमर्यादित बयान के चलते सपा से अपना समर्थन वापस ले ले, वहीं सुषमा स्वराज ने आजम खां के बयान की तुलना द्रौपदी के चीरहरण से करते हुए मुलायम सिंह को भीष्म बन कर मूकदर्शक न बने रहने की नसीहत दी है।
महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने इन टिप्पणियों को अत्यंत अमर्यादित बताते हुए आजम को कारण बताओ नोटिस जारी करने के अलावा चुनाव आयोग से उनके चुनाव लडऩे पर रोक लगाने का अनुरोध किया है। भारत जैसे देश में जहां महिलाओं को सम्मानजनक स्थान प्राप्त है, आजम खां जैसे नेताओं द्वारा इस प्रकार के बयान देना भारतीय संस्कृति के सर्वथा विपरीत है। अत: सरकार को चुनाव के दिनों में विभिन्न नेताओं को इस तरह के बयान देने से रोकने के लिए प्रभावशाली पग उठाने चाहिएं ताकि देश का वातावरण खराब न हो और पारस्परिक कटुता न पैदा हो।—विजय कुमार