रैन बसेरों में मूलभूत सुविधाएं तक नहीं

Edited By ,Updated: 11 Nov, 2019 12:04 AM

basic facilities not available in night shelters

सुप्रीम कोर्ट ने भले ही फुटपाथ पर खुले आसमान के नीचे रात गुजारने वाले गरीबों को रैन बसेरे की सुविधा देने का आदेश दिया हुआ हो लेकिन सही ढंग से यह सुविधा उपलब्ध करवाने को लेकर प्रशासन अभी भी पूरी तरह गम्भीर प्रतीत नहीं ...

सुप्रीम कोर्ट ने भले ही फुटपाथ पर खुले आसमान के नीचे रात गुजारने वाले गरीबों को रैन बसेरे की सुविधा देने का आदेश दिया हुआ हो लेकिन सही ढंग से यह सुविधा उपलब्ध करवाने को लेकर प्रशासन अभी भी पूरी तरह गम्भीर प्रतीत नहीं होता।

देश के अधिकतर शहरों में रैन बसेरों में सुविधाओं की कमी है। सभी में अव्यवस्था का बोलबाला है। कई रैन बसेरे तो ऐसे हैं कि वहां मूलभूत सुविधाओं तक का अभाव है। कहीं बदबूदार शौचालय, कहीं रोशनी नहीं है तो कहीं पेयजल का इंतजाम नहीं है। इस पर बेपरवाह केयरटेकरों के भरोसे छोड़ दिया जाता है। 

बेघरों के मुद्दों को उठाने वाले सुनील एलेडिया के अनुसार गर्मियों में रैन बसेरों के अनुकूल न होने की वजह से कितने ही बेघर सड़क किनारे सोने को मजबूर होते हैं जहां अनेक दुर्घटनाएं होती हैं। उनके अनुसार अकेले दिल्ली में हर महीने लगभग 22 से 25 बेघरों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत होती है। 

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त राज्य स्तरीय शैल्टर मॉनिटरिंग कमेटी  ने 21 शैल्टरों के अपने दौरे में भी पाया कि उनमें से कुछ में तो अभी भी मूलभूत सुविधाओं की कमी है।

आश्रय लेने वालों की संख्या सॢदयों में बढ़ जाती है जब तापमान बहुत कम हो जाता है। बेशक गत कुछ सालों के दौरान दिल्ली जैसे शहर के रैन बसेरों की हालत में सुधार आया है परंतु इतना तो साफ है कि अभी भी धरातल पर हालात को सुधारने के लिए काफी कुछ करना बाकी है।

यदि दूसरे देशों से इसकी तुलना करें तो हम पाएंगे कि जहां विकसित देशों में बेघरों के लिए खाने-रहने की सुविधाएं होती हैं वहीं उनका विस्तृत रिकार्ड भी रखा जाता है। इस क्षेत्र में यदि सभी प्रदेश सरकारें प्रोफैशनल तरीके से काम करें तो हालात में काफी सुधार लाया जा सकता है। — विजय कुमार

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