संघ प्रमुख श्री मोहन भागवत की भाजपा-शिवसेना को नसीहत ‘आपस में लड़ने से दोनों को हानि होगी’

Edited By ,Updated: 21 Nov, 2019 01:05 AM

bhagwats advice to bjp shiv sena both will harmed by fighting amongst themselves

हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव नतीजे घोषित हुए एक महीना होने को आया है। इस बीच हरियाणा में तो किसी तरह धुरविरोधी जजपा के समर्थन से भाजपा की सरकार बन गई पर महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा द्वारा सत्ता के बंटवारे पर सहमति न होने से सरकार के गठन पर पेंच...

हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव नतीजे घोषित हुए एक महीना होने को आया है। इस बीच हरियाणा में तो किसी तरह धुरविरोधी जजपा के समर्थन से भाजपा की सरकार बन गई पर महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा द्वारा सत्ता के बंटवारे पर सहमति न होने से सरकार के गठन पर पेंच फंसा हुआ है। इस कारण न सिर्फ भाजपा और शिवसेना का तीस वर्ष पुराना गठबंधन टूट गया है बल्कि किसी भी दल द्वारा सरकार बनाने में विफल रहने पर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। 

इस बीच एक ओर शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस में एक समान सांझा कार्यक्रम बना कर सरकार गठन के लिए माथापच्ची जारी है तो दूसरी ओर शिवसेना नेताओं के भाजपा नेताओं के प्रति तीखे तेवरों और बयानों से दोनों दलों में कटुता बढ़ती जा रही है जो हाल ही में शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित विभिन्न सम्पादकीय लेखों से स्पष्टï है : ‘‘हम महाराष्ट्र के मालिक हैं और देश के बाप हैं ऐसा किसी को लगता होगा तो वे इस मानसिकता से बाहर आएं। यह मनोदशा 105 वालों (भाजपा) के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। ऐसी स्थिति अधिक समय रही तो मानसिक संतुलन बिगड़ जाएगा और पागलपन की ओर यात्रा शुरू हो जाएगी।’’

‘‘हमें एन.डी.ए. से निकालने वाले तुम कौन? भाजपा के बगल में भी कोई खड़ा नहीं होना चाहता था तब जनसंघ के दीए में शिवसेना ने तेल डाला। जिसने एन.डी.ए. की स्थापना की उसे ही बाहर निकालने की नीच कोशिश की गई। छत्रपति शिवाजी महाराज के महाराष्ट्र से लिया गया पंगा तुम्हारा तम्बू उखाड़ कर रहेगा।’’एक अन्य सम्पादकीय में शिवसेना ने भाजपा को 13वीं शताब्दी के मुसलमान हमलावर मोहम्मद गौरी जैसा विश्वासघाती बताया जिसने पृथ्वीराज चौहान की हत्या कर दी थी जबकि पृथ्वीराज चौहान ने कई बार उसकी जान बख्श दी थी। सम्पादकीय में लिखा है,‘‘महाराष्ट्र में भी शिवसेना ऐसे विश्वासघातियों को कई बार माफ कर चुकी है लेकिन अब वे हमारी पीठ में छुरा घोंपना चाहते हैं।’’ ऊपर दिए गए बयानों से स्पष्ट है कि भाजपा और शिवसेना के बिगड़ रहे संबंधों के पीछे दोनों ही दलों के नेतृत्व की कुछ न कुछ कमजोरी अवश्य है जिस कारण यह मामला सुलझने की बजाय उलझता ही चला गया। 

अब जबकि बहुत देर हो चुकी है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख श्री मोहन भागवत ने इशारों ही इशारों में भाजपा और शिवसेना दोनों के नेताओं को नसीहत देते हुए एक गोष्ठी में कहा कि : ‘‘आपस में लडऩे से दोनों को हानि होगी। स्वार्थ बहुत खराब चीज है परंतु लोग इसे छोड़ते नहीं हैं। बात चाहे देश की हो या व्यक्तिगत हो, आपस में झगड़े से सिर्फ नुक्सान होता है। यह जानने के बावजूद कुछ लोग झगड़ा करते हैं। आप चाहे लोगों का उदाहरण लें या देशों का।’’ यह बात सर्वविदित है कि भाजपा के लगभग सभी वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ही उपज हैं और पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता मार्गदर्शन के लिए संघ मुख्यालय पर ही आते-जाते हैं। अत: यदि भाजपा और शिवसेना के नेता अपने आपसी विवाद को सार्वजनिक न करते और श्री भागवत संबंधित भाजपा नेताओं को बुला कर उन्हें उचित मार्गदर्शन देते तो शायद यह समस्या खड़ी न होती। 

इसी बीच शिवसेना नेता संजय राऊत ने राज्यसभा में अपनी सीट बदलने पर नाराजगी जताते हुए यह कह कर भाजपा-शिवसेना संबंधों को लेकर असमंजस बढ़ा दिया है कि जब अभी तक राजग से अलग होने को लेकर कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है तो उन (संजय राऊत) की सीट क्यों बदली गई? दूसरी ओर यह संकेत भी मिल रहे हैं कि 20 नवम्बर को शरद पवार की सोनिया गांधी से भेंट के बाद सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिवसेना के साथ गठबंधन पर हामी भर दी है। लिहाजा भविष्य में घटनाक्रम क्या रूप लेता है यह देखना दिलचस्प होगा।—विजय कुमार 

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