भारतीय जनता पार्टी के ‘संकटमोचक’ श्री अरुण जेतली का निधन

Edited By ,Updated: 25 Aug, 2019 01:43 AM

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पिछला एक वर्ष भारतीय जनता पार्टी और देश के लिए अत्यंत दुखद रहा है जब पार्टी के अनेक वरिष्ठï नेता एक-एक करके इस संसार से विदा हो गए और इसी शृंखला में 24 अगस्त को भाजपा को एक और आघात लगा जब इसके एक और वरिष्ठï नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री श्री अरुण...

पिछला एक वर्ष भारतीय जनता पार्टी और देश के लिए अत्यंत दुखद रहा है जब पार्टी के अनेक वरिष्ठï नेता एक-एक करके इस संसार से विदा हो गए और इसी शृंखला में 24 अगस्त को भाजपा को एक और आघात लगा जब इसके एक और वरिष्ठï नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री श्री अरुण जेतली का नई दिल्ली में 66 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 

‘साफ्ट टिशू सरकोमा’ नामक एक प्रकार के कैंसर से पीड़ित श्री जेतली इलाज के लिए अमरीका भी गए। वह डायबिटीज से भी पीड़ित थे। उनका किडनी ट्रांसप्लांट भी हो चुका था और उन्होंने मोटापे से छुटकारा पाने के लिए ‘बैरिएट्रिक सर्जरी’ भी करवाई थी। लम्बे समय से बीमार चल रहे श्री जेतली स्वास्थ्य संबंधी कारणों से ही मोदी-2 सरकार में शामिल नहीं हुए और 9 अगस्त को उन्हें विभिन्न तकलीफों के कारण एम्स में भर्ती करवाया गया था। श्री जेतली ने एमरजैंसी के दौरान जेल यात्रा भी की। उनकी राजनीतिक पारी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से शुरू हुई और वह 1977 में 22  वर्ष की आयु में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। 

उसी वर्ष वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सचिव बनाए गए और 1980 में उन्हें भाजपा के युवा विंग का प्रभार सौंपा गया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और उनकी राजनीतिक पारी मोदी-1 सरकार में वित्त मंत्री पद तक पहुंच कर समाप्त हुई। श्री जेतली में दूसरे लोगों को अपनी बात का कायल कर देने की अद्भुत क्षमता थी। भाजपा के अच्छे-बुरे हर दौर के साथी और मिलनसार स्वभाव वाले एक राजनेता के रूप में उन्होंने न सिर्फ अधिकारियों और राजनीतिज्ञों के साथ बेहतर तालमेल और समन्वय बनाकर रखा बल्कि 2014 में जब वह केंद्र सरकार में वित्त मंत्री बने तो किसी के साथ भी अपने संबंधों में कटुता नहीं आने दी। देश के बेहतरीन वकीलों में गिने जाने वाले श्री जेतली ने 80 के दशक में सुप्रीमकोर्ट और देश के कई हाईकोर्ट में महत्वपूर्ण केस लड़ कर जीते तथा अपना नाम देश के अग्रणी न्यायवेत्ताओं में दर्ज करवाया। 

मात्र एक वर्ष में भारतीय जनता पार्टी को लगने वाला यह सातवां आघात है। इससे पूर्व गत वर्ष 14 अगस्त को पंजाब के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तथा छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल श्री बलरामजी दास टंडन,16 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी, 27 अक्तूबर को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना और 12 नवम्बर को केंद्रीय रसायन तथा उर्वरक मंत्री एच.एन. अनंत कुमार की मृत्यु हुई। यही नहीं, इस वर्ष 17 मार्च को पूर्व केंद्रीय रक्षा मंत्री तथा गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर तथा 6 अगस्त, 2019 को भाजपा की एक अन्य वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की भी मृत्यु हो गई। श्री अरुण जेतली के साथ हमारे 25 वर्षों से व्यक्तिगत संबंध थे और उनकी मृत्यु से देश ने एक योग्य प्रशासक, न्यायविद्, बेदाग राजनीतिज्ञ, यारों का यार और दिलदार खो दिया है।—विजय कुमार 

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