भाजपा ने जी.एस.टी. में दीं रियायतें और बढ़ाना गठबंधन सहयोगियों की ओर दोस्ती का हाथ

Edited By ,Updated: 12 Jan, 2019 11:35 AM

bjp gst increase concessions and friendship to alliance partners

केंद्र सरकार द्वारा 1 जुलाई, 2017 को लागू जी.एस.टी. ने विशेष रूप से व्यापारी वर्ग के लिए भारी समस्याएं खड़ी कर रखी हैं तथा लाखों की संख्या में छोटे-बड़े व्यापारी अपने प्रतिष्ठïानों को ताले लगाने को विवश ...

केंद्र सरकार द्वारा 1 जुलाई, 2017 को लागू जी.एस.टी. ने विशेष रूप से व्यापारी वर्ग के लिए भारी समस्याएं खड़ी कर रखी हैं तथा लाखों की संख्या में छोटे-बड़े व्यापारी अपने प्रतिष्ठानों को ताले लगाने को विवश हुए। जी.एस.टी. को लेकर जनरोष व व्यापार-उद्योग पर पडऩे वाले कुप्रभाव को देखते हुए केन्द्र सरकार ने विभिन्न चरणों में कुछ राहत दी परन्तु इसके बावजूद बड़ी संख्या में अधिक टैक्स वाली वस्तुओं पर टैक्स घटाना बाकी था। 

तभी हमने अपने 11 नवम्बर, 2017 के सम्पादकीय ‘हिमाचल-गुजरात चुनावों के कारण कई वस्तुओं पर जी.एस.टी. दर घटा कर 18 प्रतिशत की गई’ में लिखा था कि ‘‘हालांकि टैक्स स्लैब में कुछ छूट दी गई है परन्तु इतना ही काफी नहीं है तथा इस बारे में बहुत कुछ करना बाकी है।’’ इस मुद्दे पर विचार-विमर्श तथा 2019 में आने वाले चुनावों के दबाव के चलते केंद्र सरकार ने विभिन्न वस्तुओं पर जी.एस.टी. की दर घटाने की घोषणा की जो इस वर्ष 1 जनवरी से लागू हो गई है। 

अब केंद्र सरकार ने इस मामले में एक और कदम 10 जनवरी को उठाया जब छोटे कारोबारियों को राहत देते हुए जी.एस.टी. की छूट की सीमा 20 लाख रुपए से बढ़ाकर 40 लाख रुपए कर दी। इसके अलावा अब डेढ़ करोड़ रुपए तक कारोबार करने वाली इकाइयां 1 प्रतिशत दर से जी.एस.टी. भुगतान की कम्पोजिशन स्कीम का लाभ उठा सकेंगी जबकि पहले यह सुविधा एक करोड़ रुपए तक के कारोबार पर प्राप्त थी और यह व्यवस्था 1 अप्रैल से प्रभावी होगी। केंद्र सरकार द्वारा उक्त सुविधा देने के बाद भी हम समझते हैं कि अब भी विभिन्न मदों पर रियायतें देने की गुंजाइश मौजूद है लिहाजा कुछ समय बाद सरकार को इस बारे फिर जायजा लेकर जहां संभव हो वहां और रियायतें अवश्य देनी चाहिएं। 

जहां सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही केंद्रीय भाजपा सरकार ने 10 जनवरी को छोटे कारोबारियों को राहत देने की सकारात्मक घोषणा की है, वहीं इसी दिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नए गठबंधन सहयोगी बनाने और पुराने गठबंधन सहयोगियों से दोस्ती निभाने का भी उचित संकेत दिया। उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने साथ 26 दलों को जोड़ रखा था परंतु वर्तमान भाजपा नेतृत्व के लिए अपने गिने-चुने गठबंधन सहयोगियों में से ही कुछेक को संभालना मुश्किल हो रहा है जिनमें शिवसेना और अपना दल आदि शामिल हैं। 

अब विरोधी दलों द्वारा किए जाने वाले गठबंधन को देखते हुए श्री नरेंद्र मोदी ने भी स्व. वाजपेयी जी द्वारा शुरू की गई सफल गठबंधन राजनीति को याद करते हुए कहा कि ‘‘20 वर्ष पूर्व अटल जी ने जो रास्ता हमें दिखाया था भाजपा उसी का पालन कर रही है और इसके दरवाजे हमेशा खुले हैं।’’ हालांकि विरोधी दल कह रहे हैं कि भाजपा यह सब आने वाले चुनावों के कारण कर रही है परंतु श्री मोदी का उक्त बयान स्वागतयोग्य है। इससे पार्टियों में समरसता आएगी व विरोध घटेगा पर इतना ही काफी नहीं है। 

भाजपा नेतृत्व को अपने गठबंधन सहयोगियों की नाराजगी दूर करने के अलावा अपने उपेक्षित एवं नाराज बुजुर्ग नेताओं लाल कृष्ण अडवानी, अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा, मुरली मनोहर जोशी, शत्रुघ्न सिन्हा, संजय जोशी आदि को भी वापस मुख्यधारा में लाने का प्रयास करना चाहिए। इन लोगों ने पार्टी के लिए त्याग किए हैं और पार्टी को अपने जीवन का बड़ा हिस्सा दिया है। कांग्रेस ने भी इस दिशा में कुछ पहल की है जिसका प्रमाण राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में कमलनाथ और राजस्थान में अशोक गहलोत को राज्य की बागडोर सौंप कर पेश किया है। 

बहरहाल जिस प्रकार भाजपा जी.एस.टी. में आने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए रियायतें दे रही है और प्रधानमंत्री ने सहयोगी दलों के साथ समरसतापूर्ण व्यवहार रखने की बात कही है, हम आशा करते हैं कि भविष्य में भी पार्टी इस बारे जायजा लेकर और सुधार करेगी जिससे पार्टी और देश दोनों को लाभ होगा।—विजय कुमार 

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