भाजपा नेताओं की बयानबाजी व टकराव से जा रहा जनता में गलत संदेश

Edited By ,Updated: 26 Jun, 2016 01:44 AM

bjp leaders rhetoric and confrontation to be the wrong message to the public

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा भाजपा नेताओं को अपने भाषणों और बयानों में संयम बरतने की नसीहत देने के बावजूद पार्टी के ‘बिग माऊथ’ नेताओं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा भाजपा नेताओं को अपने भाषणों और बयानों में संयम बरतने की नसीहत देने के बावजूद पार्टी के ‘बिग माऊथ’ नेताओं द्वारा विवादास्पद और अवांछित बयान देने तथा टिप्पणियां करने का सिलसिला थमने में नहीं आ रहा। 

 
कुछ समय पूर्व तक कांग्रेस के विरुद्ध मोर्चा खोले रहे भाजपा के राज्यसभा सदस्य ‘सुब्रह्मण्यम स्वामी’ ने अब अपनी ही पार्टी की सरकार की अफसरशाही और नेताओं के विरुद्ध मोर्चा खोला हुआ है। 
 
सबसे पहले उन्होंने रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन को भ्रष्टाचार के संदेह के दायरे में लाने का प्रयास किया जिस पर डा. रघुराम राजन ने रिजर्व बैंक के गवर्नर का अपना कार्यकाल समाप्त होने से दो महीने पूर्व ही सेवा विस्तार न लेने और अध्यापन में लौट जाने के निर्णय की घोषणा कर दी।
 
‘सुब्रह्मण्यम स्वामी’ ने इसके बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार ‘अरविंद सुब्रह्मण्यन’ पर यह आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की मांग की कि जब वह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में कार्यरत थे तब उन्होंने भारतीय हितों के विरुद्ध काम किया था। ‘सुब्रह्मण्यम स्वामी’ ने यह भी कहा कि जी.एस.टी. पर अपनी धाराओं पर अड़ी रहने के लिए अरविंद सुब्रह्मण्यन ने ही कांग्रेस को उकसाया। 
 
इस पर वित्त मंत्री अरुण जेतली ने कहा कि उन्हें ‘अरविंद’ पर पूरा भरोसा है तथा ‘‘पार्टी के नेताओं को अनुशासन याद रखना एवं अपने दायरे को समझना चाहिए। अरविंद सरकार के महत्वपूर्ण सलाहकार हैं और सरकार उनकी सलाह का सम्मान करती है।’’ 
 
भाजपा एवं ‘संघ’ नेतृत्व द्वारा ‘सुब्रह्मण्यम स्वामी’ के बयान से असहमति जताने पर भी उनके तेवर ढीले नहीं पड़े और उन्होंने आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास पर महाबलीपुरम में बेहद महंगी जमीन हड़पने में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदम्बरम की मदद करने का आरोप लगा दिया। 
 
इसके तुरंत बाद दास के बचाव में उतरे अरुण जेतली ने एक अनुशासित अधिकारी पर हमला करना गलत बताया तो सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि ‘‘बिना मांगे मुझे अनुशासन और संयम की सलाह देने वाले यह नहीं समझते कि यदि मैंने अनुशासन तोड़ा तो खून-खराबा हो जाएगा।’’ 
 
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा को अपने मंत्रियों को विदेश यात्रा के दौरान पारम्परिक परिधान पहनने का निर्देश देना चाहिए। उन्होंने कहा कि टाई-कोट में वे वेटर नजर आते हैं।
 
स्पष्टत: स्वामी के इस बयान को श्री जेतली के चीन दौरे में  ‘बैंक आफ चाइना’ के अध्यक्ष तीआन गुओली से भेंट के अवसर पर ‘लाऊंज सूट’ पहनने से जोड़ा जा रहा है तथा इससे सरकार में नं. 2 अरुण जेतली तथा सुब्रह्मण्यम स्वामी में ‘शीत युद्ध’ भी खुल कर सामने आ गया है।
 
सुब्रह्मण्यम स्वामी द्वारा देश के महत्वपूर्ण नीति-निर्माताओं और अरुण जेतली के विरुद्ध लगातार जारी बयानबाजी से भाजपा व संघ नेतृत्व नाराज है तथा लगातार असहज महसूस कर रहा है क्योंकि ‘सुब्रह्मण्यम स्वामी’ के ऐसे आचरण से एक ओर सरकार में अनावश्यक कटुता पैदा हो रही है तो दूसरी ओर अफसरशाही में भी भय पनप रहा है। 
 
कांग्रेस ने जहां ‘सुब्रह्मïण्यम स्वामी’ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गैर- सरकारी प्रवक्ता होने का आरोप लगाया है वहीं भाजपा नेतृत्व का एक वर्ग इस दुविधा में है कि ‘सुब्रह्मण्यम स्वामी’ से किस प्रकार निपटा जाए। 
 
इस समय तो यही लगता है कि भाजपा जो कभी स्वयं को ‘ए पार्टी विद डिफरैंस’ कहा करती थी अब ‘पार्टी विद डिफरैंसिस’ बन कर रह गई है। इससे यह भी स्पष्ट है कि पार्टी के शीर्ष नेताओं द्वारा भी अपने सदस्यों को संयम बरतने की सलाह का उन पर कोई असर नहीं हो रहा। इससे जनता में गलत संदेश जा रहा है और अंतत: इससे न सिर्फ पार्टी का बल्कि देश का भी नुक्सान ही होगा।             
 
 

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