भाजपा हिमाचल व गुजरात में चुनाव जीती कांग्रेस को आगे बढ़ने के लिए विपक्ष को साथ लेना होगा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Dec, 2017 03:26 AM

bjp will win the election congress will have to take the opposition together

हालांकि हिमाचल और गुजरात के वास्तविक चुनाव परिणाम तो 18 दिसम्बर को आएंगे परंतु गुजरात चुनावों का दूसरा चरण सम्पन्न होते ही एग्जिट पोल के नतीजों के अनुसार दोनों ही राज्यों हिमाचल व गुजरात में भाजपा के भारी बहुमत से सत्ता में आने का अनुमान व्यक्त किया...

हालांकि हिमाचल और गुजरात के वास्तविक चुनाव परिणाम तो 18 दिसम्बर को आएंगे परंतु गुजरात चुनावों का दूसरा चरण सम्पन्न होते ही एग्जिट पोल के नतीजों के अनुसार दोनों ही राज्यों हिमाचल व गुजरात में भाजपा के भारी बहुमत से सत्ता में आने का अनुमान व्यक्त किया गया है। 

एग्जिट पोल के नतीजों तथा वास्तविक नतीजों में कभी-कभी अंतर आता है पर लगता है कि इस बार परिणाम इसके आसपास ही आएगा क्योंकि सभी एग्जिट पोल का आकलन इसके निकट ही है। हिमाचल में बदल-बदल कर सरकारें आने का रिकार्ड रहा है। जहां तक वहां कांग्रेस की हार का संबंध है, मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का प्रचार में अलग-थलग पडऩा, प्रत्याशियों के चयन को अंतिम समय तक लंबित रखना, होशियार सिंह हत्याकांड, गुडिय़ा प्रकरण आदि को लेकर कानून व्यवस्था की स्थिति पर सरकार की घेराबंदी, टिकट आबंटन में परिवारवाद, सत्ता और संगठन में तालमेल की कमी, मंत्रियों की गुटबाजी तथा बागियों का मैदान में उतरना आदि मुख्य कारण रहे। 

भाजपा की सफलता के पीछे पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा प्रो. प्रेम कुमार धूमल को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजैक्ट करना, मोदी लहर, नरेंद्र मोदी और अमित शाह सहित अधिकांश मंत्रियों का प्रचार में कूदना, टिकट आबंटन के बाद भाजपा की डैमेज कंट्रोल में सफलता आदि मुख्य कारण रहे। यदि गुजरात की बात की जाए तो वहां 22 वर्षों के अंतराल के बाद कांग्रेस सरकार बनने की प्रबल संभावना व्यक्त की जा रही थी जिसमें राहुल गांधी ने अपनी पूरी ताकत झोंकी थी परंतु शंकर सिंह वघेला द्वारा कांग्रेस से इस्तीफे से पार्टी को पहला झटका लगा। पिछली बार के चुनावों में पाटीदार वोटों की प्रमुख लाभार्थी भाजपा थी मगर इस बार इसने कांग्रेस से हाथ मिला लिया और ‘पास’ नेता हार्दिक पटेल ने राहुल से समझौता भी किया। 

अंतिम समय पर होने वाले समझौते परिणाम मूलक नहीं हुआ करते। गुजरात में कांग्रेस और पाटीदारों के साथ ऐसा ही हुआ। पाटीदारों में भी फूट पड़ गई जोकि प्रदेश की जनसंख्या का 15 प्रतिशत हैं। रही-सही कसर मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘नीच’ कह कर पूरी कर दी। हालांकि राहुल गांधी की गुजरात रैलियों में भारी भीड़ जुटी, वह मंदिरों में भी गए परंतु नरेंद्र मोदी और अमित शाह के अनथक और धुआंधार प्रचार तथा धन बल के प्रयोग के आगे कांग्रेस पिछड़ गई। अमित शाह का बूथ प्रबंधन प्रशंसनीय था, भाजपा ने हर 30 वोटरों के पीछे एक कार्यकत्र्ता लगाया, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने डट कर काम किया। हालांकि जी.एस.टी. और नोटबंदी के कारण व्यापारी वर्ग नाराज था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भावनात्मक तौर पर गुजरातियों को अपने साथ जोड़ लिया और कांग्रेस की गलतियों का फायदा उठाया। 

चुनावों में गुजरात में विकास न होने का मुद्दा भी उठाया गया तथा चुनावों ने केंद्र सरकार की दौड़ लगा दी। इन चुनावों का सबसे बड़ा फायदा जी.एस.टी. में संशोधनों और रियायतों के मामले में होगा जिसका गुजरात के चुनाव के दौरान ही वित्त मंत्री जेतली ने संकेत भी दिया था और अब व्यापारी वर्ग को इसमें और रियायतें मिलना तय है। इन चुनावों के दौरान ही राहुल गांधी की कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी हो गई और कांग्रेस को कुछ अच्छे प्रवक्ता भी मिल गए जिसका आने वाले समय में कांगे्रस को लाभ होगा। 

जहां तक इन चुनावों के सबक का संबंध है अब भाजपा सतर्क होकर सरकार चलाएगी, लोगों को जी.एस.टी. में अधिक रियायतें और सुविधाएं मिलेंगी, फिजूल की बयानबाजी कम होगी और विकास भी शुरू होगा। अब हार के पश्चात राहुल गांधी को नाराज विपक्षी दलों को अपने साथ जोड़ कर स्वयं को एक मजबूत विपक्ष की भूमिका में लाना चाहिए। कांग्रेस को नतीजों से धक्का तो लगेगा परंतु इससे पार्टी में मेहनत का जज्बा पैदा होगा।—विजय कुमार 

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