नागालैंड के स्कूलों में ‘नकली टीचर पकड़े’ बिहार में रिश्वतखोर ‘पुलिस कर्मी निलंबित’

Edited By ,Updated: 15 Nov, 2019 12:14 AM

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स्वतंत्रता के 72 वर्ष बाद भी देश के सरकारी विभागों में कुव्यवस्था का बोलबाला है जिसे रोकने के लिए कहीं-कहीं छापे मारे जा रहे हैं। इसी के अंतर्गत नागालैंड के शिक्षा मंत्रालय ने जहां प्रॉक्सी (नकली) अध्यापकों को पकडऩे के लिए अभियान शुरू किया है और...

स्वतंत्रता के 72 वर्ष बाद भी देश के सरकारी विभागों में कुव्यवस्था का बोलबाला है जिसे रोकने के लिए कहीं-कहीं छापे मारे जा रहे हैं। इसी के अंतर्गत नागालैंड के शिक्षा मंत्रालय ने जहां प्रॉक्सी (नकली) अध्यापकों को पकडऩे के लिए अभियान शुरू किया है और अध्यापकों को रोज ड्यटी पर पहुंच कर अपने फोटो भेजने का आदेश दिया है वहीं बिहार सरकार ने रिश्वत लेने के आरोप में एकमुश्त 45 पुलिस कर्मचारियों को निलंबित किया है। 

अक्सर सुनने में आता है कि सरकारी स्कूलों के अध्यापक अधिकारियों से सांठगांठ करके अपने स्कूल में पढ़ाने के लिए जाने की बजाय दूसरे जरूरतमंद लोगों को कम तनख्वाह पर ‘नौकर’ रख कर अपनी जगह स्कूलों में पढ़ाने के लिए भेज देते हैं और खुद दूसरे काम धंधे करते रहते हैं। अभी कुछ ही समय पूर्व उत्तर प्रदेश में बाराबंकी के सिधौर कस्बे के बेंदिया मऊ गांव के माध्यमिक विद्यालय का मामला सामने आया जहां तैनात प्रधान अध्यापक स्कूल में बच्चों को पढ़ाने की बजाय अपने प्राइवेट क्लीनिक में बैठ कर मरीजों का इलाज किया करता था और उसकी जगह कोई अल्प प्रशिक्षित व्यक्ति स्कूल में काम करता था। 

इसी प्रकार का एक मामला हाल ही में नागालैंड में पकड़ा गया है। म्यांमार के साथ लगते किफिरे जिले में विभिन्न सरकारी स्कूलों के निरीक्षण के दौरान 16 नियमित अध्यापकों के स्थान पर उनके द्वारा पढ़ाने के लिए कम वेतन पर रखे हुए 16  ‘प्रॉक्सी अध्यापक’ पकड़े गए। इसके बाद ऐसे अध्यापकों को पकडऩे के लिए एक अभियान शुरू किया गया है। इसके तहत सबसे पहले तो राज्य के शिक्षा निदेशालय ने उक्त 16 अध्यापकों को अपनी तैनाती वाले स्कूलों में हाजिर होने का आदेश दिया है। 

इतना ही नहीं, ये अध्यापक विभाग को चकमा न दे सकें यह सुनिश्चित बनाने के लिए शिक्षा निदेशालय ने उन्हें आदेश दिया है कि वे प्रतिदिन अपनी तैनाती वाले स्कूलों की इमारत के सामने खड़े होकर और कक्षाओं में पढ़ाते हुए अपने दो फोटो खिंचवा कर विभाग को ई-मेल करें। इस आदेश का पालन उन्हें शिक्षा सत्र की समाप्ति तक करना होगा। 

राज्य के शिक्षा विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, हमारे पास ऐसी जानकारी नहीं है कि राज्य में कितने प्रॉक्सी अध्यापक हैं लेकिन स्थिति गंभीर होने के कारण हमने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र में स्कूलों का निरीक्षण करके उन्हें प्रॉक्सी अध्यापकों को पकडऩे और दोषी अध्यापकों के विरुद्ध कार्रवाई करने का आदेश दिया है। इस बारे विभिन्न एन.जी.ओ. की पड़ताल से पता चला है कि सरकारी स्कूलों के नियमित अध्यापक अपने भारी-भरकम वेतन से बहुत कम नाममात्र वेतन पर जरूरतमंद युवक-युवतियों को पढ़ाने के लिए रख लेते हैं जो पूरी तरह प्रशिक्षित भी नहीं होते और स्वयं अपने घरों में बैठ कर अपने दूसरे कारोबार चलाते हैं। 

जहां नागालैंड में सरकारी स्कूलों के बोगस अध्यापकों के विरुद्ध अभियान छेड़ा गया है वहीं बिहार में रेत (बालू) माफियाओं से मिलीभगत से ट्रैफिक पुलिस द्वारा उगाही का बड़ा मामला सामने आने पर 45 पुलिस कर्मचारियों को निलंबित किया गया है। आरोप है कि ये सभी पुलिस कर्मचारी प्रतिबंध के बावजूद पटना को उत्तरी बिहार से जोडऩे वाले और गंगा नदी पर निर्मित खस्ताहाल ‘महात्मा गांधी सेतु’ के ऊपर से बालू-गिट्टïी से लदे भारी वाहनों को गुजरने देते थे जिसके लिए वे हर ट्रक से 1000 और ट्रैक्टर से 500 रुपए वसूल करते थे। यह भारत में तीसरा सबसे बड़ा पुल है जिसका इन दिनों जीर्णोद्धार किया जा रहा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस पुल के ऊपर से प्रतिदिन 100-150 भारी वाहन और ओवरलोड ट्रक गुजरते हैं। 

इस सेतु पर 7 वर्ष से 10 टायरों वाले और 2 साल से बालू लदे वाहनों के प्रवेश पर रोक लगी हुई है परंतु रिश्वत लेकर यहां से वाहनों को गुजारने का खेल लम्बे समय से ही चल रहा है। सरकारी स्कूलों में नियमित अध्यापकों द्वारा प्रॉक्सी अध्यापकों का इस्तेमाल रोकने के लिए प्रतिदिन फोटो भेजने और बिहार सरकार द्वारा रिश्वतखोर पुलिस कर्मियों को निलंबित करने के आदेश सही हैं तथा इन्हें अन्य राज्यों को भी अपनाना चाहिए जैसे कि उत्तर प्रदेश में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने कुछ अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की है। वैसे यदि बिहार सरकार रिश्वतखोर अधिकारियों को निलंबित करने की बजाय बर्खास्त करती तो ज्यादा अच्छा होता क्योंकि निलंबित सरकारी कर्मचारियों के बाद में बहाल होने की संभावना बनी रहती है जो नहीं होना चाहिए।—विजय कुमार 

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