ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टैरेसा मे की महत्वाकांक्षी भारत यात्रा

Edited By ,Updated: 07 Nov, 2016 01:33 AM

britain prime minister teresa in india ambitious

‘स्मॉग’ से ग्रस्त राजधानी दिल्ली के 6 से 8 नवम्बर तक दौरे पर आने से पूर्व इंगलैंड की प्रधानमंत्री टैरेसा...

‘स्मॉग’ से ग्रस्त राजधानी दिल्ली के 6 से 8 नवम्बर तक दौरे पर आने से पूर्व इंगलैंड की प्रधानमंत्री टैरेसा मे ने जहां 3 नवम्बर को फोन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बातचीत की और दोनों नेता एक-दूसरे को दीवाली की शुभकामनाएं देने के साथ-साथ रक्षा एवं सुरक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग मजबूत करने पर सहमत हुए, वहीं इसके  अलावा भी श्रीमती मे ने भारत के संबंध में प्रत्येक दृष्टि से अच्छे बयान दिए हैं। 

भारत के साथ ब्रिटेन के रिश्ते के नए धरातल तलाशने के लिए प्रयत्नशील श्रीमती टैरेसा मे ने स्पष्टï रूप से कहा है कि ‘‘प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी बातचीत के जरिए मैं दोनों देशों के लाभ, नौकरी और धन सृजन तथा रक्षा एवं सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग स्थापितकरने के लक्ष्य के साथ हमारे रिश्ते का निर्माण करना चाहती हूं।’’ 

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि ‘‘कश्मीर के संबंध में ब्रिटेन का स्टैंड स्पष्ट है कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है जिसे इन दोनों देशों को ही सुलझाना है।’’

यह मुद्दा इंगलैंड के हाऊस ऑफ कॉमन्स में पाकिस्तान में जन्मे लेबर पार्टी के सांसद यास्मीन कुरैशी ने उठाते हुए पूछा था कि क्या प्रधानमंत्री टैेरेसा मे की भारत यात्रा के दौरान कश्मीर मुद्दे पर भी चर्चा की जाएगी। उल्लेखनीय है कि श्री कुरैशी उत्तर पश्चिमी इंगलैंड के प्रबल मुस्लिम बहुल क्षेत्र बोल्टन का प्रतिनिधित्व करते हैं।

चूंकि यूरोप के बाहर वह किसी देश की अपनी पहली यात्रा पर जा रही हैं, इस लिहाज से इंगलैंड की नई प्रधानमंत्री के लिए यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण भारत यात्रा है और इसीलिए उनके साथ इस यात्रा में कूटनयिकों, सलाहकारों, व्यापारियों और मीडिया से जुड़े लोगों का एक अच्छा-खासा काफिला भी आ रहा है।

ब्रैग्जिट से अलग होने, अर्थात यूरोपीय संघ का साथ छोडऩे के बाद इंगलैंड की भूमिका के संबंध में विश्व को बताने के लिए बढ़ाया गया यह श्रीमती टैरेसा मे का पहला कदम है जिसके दौरान ब्रैग्जिट के बाद भारत इंगलैंड में सामरिक भागीदारी से जुड़े सभी पहलुओं की समीक्षा करेंगी। इन हालात में दोनों देशों के बीच चले आ रहे पुराने संबंधों और इनकी विशेष आपसी भागीदारी के विषय में भी उत्साहजनक बातें कही जाएंगी। 

इसके बावजूद सबसे बड़ा प्रश्र यह है कि इंगलैंड भारत को सही अर्थों में क्या पेशकश कर सकता है। यूरोपीय संघ के नियमों के अंतर्गत यूरोप को छोडऩे तक इंगलैंड कोई वास्तविक अनुबंध नहीं कर सकता लेकिन ब्रैग्जिट को अभी शुरूआत करनी है। यह प्रक्रिया पूरी होने में लगभग 2 वर्ष लग जाएंगे और जब तक यह लागू नहीं होता इंगलैंड इस मामले में बहुत कुछ नहीं कह सकता। 

नि:स्संदेह भारत विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है जिसके धनाढ्य खपतकारों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है परन्तु भारत में व्यापार करना अभी भी यूरोपीय मापदंडों के अनुरूप नहीं है। 2007 में भारत के साथ वार्ता के 16 चरण चलाने वाले यूरोप के तत्कालीन व्यापार आयुक्त पीटर मेंडलसन का कहना है कि उस वार्ता का कोई खास परिणाम नहीं निकला था और अभी भी भारत एकाऊंटिंग, बीमा, बैंकिंग तथा कानूनी सेवाओं जैसी व्यावसायिक सेवाओं पर से प्रतिबंध नहीं हटाएगा जबकि यही इंगलैंड के मजबूत क्षेत्र हैं।

दूसरी ओर भारत वीजा पर अंकुश के कारण ब्रिटेन में भारतीय छात्रों को पेश आ रही समस्याओं पर ङ्क्षचतित है। भारत चाहता है कि ब्रिटेन सरकार भारत के प्रति अपनी आव्रजन नीति में बदलाव करके व्यावसायिक वर्करों के लिए अधिक वीजा प्रदान करे। इस हालत में श्रीमती टैरेसा मे की सरकार द्वारा भारत सरकार के प्रति कोई अधिक उत्साहजनक पहल किए जाने की उम्मीद नहीं है क्योंकि इंगलैंड अपने देश में आव्रजन घटाने के लिए विदेशी वर्करों और छात्रों पर नए अंकुश लगाने की नई नीति पर विचार कर रहा है। 

 हालांकि टैरेसा मे की इस भारत यात्रा के मौके वार्ता के दौरान काफी समझौते किए जाएंगे और वह नरेन्द्र मोदी के साथ भारत-ब्रिटेन प्रौद्योगिकी  सम्मेलन का उद्घाटन भी करेंगी, परंतु इंगलैंड सरकार द्वारा अपने देश में भारतीयों के आव्रजन नियमों में ढील दिए जाने की सम्भावना क्षीण होने के परिप्रेक्ष्य में भारत द्वारा भी इंगलैंड के लिए भारत मेें व्यापार के दरवाजे खोलने की सम्भावना कम ही है। 

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