Edited By ,Updated: 10 May, 2019 12:35 AM
मुसलमानों में रमजान के महीने को अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस महीने में मुस्लिम भाईचारे के सदस्य रोजे रखने के अलावा इबादत करते हैं तथा मित्रों, सगे-संबंधियों से मिल कर प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं। जहां तक पवित्र रमजान के महीने में मुसलमान...
मुसलमानों में रमजान के महीने को अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस महीने में मुस्लिम भाईचारे के सदस्य रोजे रखने के अलावा इबादत करते हैं तथा मित्रों, सगे-संबंधियों से मिल कर प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं। जहां तक पवित्र रमजान के महीने में मुसलमान भाइयों द्वारा रोजे रखने का संबंध है, भाईचारे की मिसाल पेश करते हुए अनेक हिन्दू भी इस नेक रस्म में अपने मुसलमान भाइयों का साथ दे रहे हैं। उदाहरण के रूप में :
- उज्जैन में एक हिन्दू परिवार ने पहला रोजा रखा। शाम को इफ्तारी के समय परिवार के सभी रोजेदार जमीन पर बैठे और उनके मुसलमान पड़ोसी ने पहला निवाला उन्हें देकर रोजा खुलवाया।
- मुजफ्फरपुर की ‘शहीद खुदी राम बोस केंद्रीय जेल’ में 237 मुसलमान कैदियों के साथ 23 हिन्दू कैदियों ने भी रोजा रखा है।
- अमरोहा में उपदेश कुमार नामक निजी स्कूल के अध्यापक ने पहला रोजा रख कर भाईचारे की भावना दर्शाई जिस पर पूरे गांव ने खुशी मनाई।
- बिहार में पूॢणया की केंद्रीय जेल में 285 मुस्लिम बंदियों के साथ-साथ उम्रकैद की सजा काट रही हिन्दू महिला कैदी मूॢत देवी पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी रोजे रख रही है।
- दिल्ली की जेलों में कुल 2658 कैदी रोजा रख रहे हैं जिनमें 31 महिलाओं सहित 110 हिन्दू हैं। देशभर में ऐसे न जाने कितने ही हिन्दू तथा अन्य धर्मों से संबंधित लोग अपने मुसलमान भाइयों के साथ रोजा रख कर ‘सर्वधर्म सम भाव’ का प्रमाण पेश कर रहे हैं।
इस समय जबकि पाकिस्तानी सेना व जम्मू-कश्मीर में सक्रिय उसके पाले हुए आतंकवादी रमजान के पवित्र महीने में भी रक्तपात करके मानवता को लज्जित कर रहे हैं, भाईचारे के उक्त उदाहरण अकाट्य प्रमाण हैं कि समाज को धर्म के आधार पर बांटने की स्वार्थी तत्वों की कोशिशें कभी सफल नहीं हो सकतीं।
—विजय कुमार