शिलांग के पंजाबियों की समस्या केंद्र व मेघालय सरकार तुरंत सुलझाए

Edited By ,Updated: 14 Jun, 2019 11:51 PM

center and meghalaya government solve the problems of shillong punjabis

लगभग 156 वर्ष पूर्व 1863 में मेघालय की राजधानी शिलांग में अंग्रेजों ने सिखों को ले जाकर बसाया था। शिलांग के सबसे खूबसूरत इलाके में बसी इस ‘पंजाबी लेन कालोनी’ के बाशिंदों के विरुद्ध स्थानीय लोगों की नाराजगी काफी समय से चली आ...

लगभग 156 वर्ष पूर्व 1863 में मेघालय की राजधानी शिलांग में अंग्रेजों ने सिखों को ले जाकर बसाया था। शिलांग के सबसे खूबसूरत इलाके में बसी इस ‘पंजाबी लेन कालोनी’ के बाशिंदों के विरुद्ध स्थानीय लोगों की नाराजगी काफी समय से चली आ रही है। शिलांग के मुख्य व्यापारिक केंद्र पुलिस बाजार के बिल्कुल निकट होने के कारण यह इलाका अत्यंत मूल्यवान है तथा स्थानीय ‘खासी’ संगठनों ने इस बस्ती से सिखों को हटाने की मांग की है। 

यहां से उन्हें हटाने के लिए स्थानीय प्रशासन ने 1987 में पहली बार नोटिस जारी किया था। 1992 में यहां सिखों पर हमला हुआ, 1994 में इस कालोनी के बाशिंदों को उन्हें दी गई भूमि के स्वामित्व का प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए कहा गया और इन पर फिर हमला हुआ और तभी से कालोनी के बाशिंदे इस तरह की समस्याओं से गुजर रहे हैं। गत वर्ष जून में यहां दंगों के बाद हालात काफी बिगड़ गए थे और तब से अब तक यहां हालात सामान्य नहीं हुए और कारोबार लगभग ठप्प पड़ा हुआ है।
 
सिखों को उजाडऩे के लिए नवीनतम हमला मेघालय के उपमुख्यमंत्री ‘प्रेसटोन टिनसांग’ के नेतृत्व वाली उच्च अधिकार सम्पन्न समिति के निर्देश पर ‘शिलांग म्यूनिसीपल बोर्ड’ (एस.एम.बी.) ने करते हुए उन्हें 3 जुलाई तक इस भूमि के स्वामित्व का प्रमाण देने के लिए कहा है। अब इस विवाद में खासी व जयंतिया कबीलों के हितों के प्रतिनिधित्व का दावा करने वाला प्रतिबंधित आतंकी संगठन ‘हाईनीवित्रेप नैशनल लिब्रेशन कौंसिल’ (एच.एन.एल.सी.) भी कूद पड़ा है जिसने ‘पंजाबी लेन’ में रहने वाले सिखों को उक्त आदेश न मानने पर गंभीर परिणामों की धमकी भी दे दी है।

यह किसी आतंकवादी संगठन द्वारा सरकार का कोई फैसला लागू करवाने के लिए मेघालय में हस्तक्षेप के गिने-चुने मामलों में से एक है जिसे देखते हुए ‘पंजाबी लेन’ में सी.आर.पी.एफ. तैनात कर दी गई है। इस मामले में आतंकवादी संगठन के कूद पडऩे से स्थिति और भी बिगडऩे का खतरा पैदा हो गया है जिसे देखते हुए केंद्र व मेघालय सरकार और अन्य संबंधित पक्षों को इस समस्या का जल्द से जल्द निपटारा करके वहां के सिखों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। —विजय कुमार 

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