चंद और अच्छी यादें श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की

Edited By Yaspal,Updated: 23 Aug, 2018 01:12 AM

chand and good memories of shri atal bihari vajpayee ji

श्री अटल बिहारी वाजपेयी का देहावसान हुए आज 7 दिन हो चुके हैं और देश की नदियों में उनकी अस्थियों का विसर्जन जारी है। संभवत: वह देश के एकमात्र राजनेता हैं....

श्री अटल बिहारी वाजपेयी का देहावसान हुए आज 7 दिन हो चुके हैं और देश की नदियों में उनकी अस्थियों का विसर्जन जारी है। संभवत: वह देश के एकमात्र राजनेता हैं जिनसे जुड़ी यादों को लोगों ने इस कदर संजो कर रखा है जो उमड़-उमड़ कर आ रही हैं। उनकी कुछ और यादें निम्र में पेश हैंः

1940 के दशक में जब अटल जी कानपुर के डी.ए.वी. कालेज में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे थे, उन्हें पता चला कि उनके माता-पिता उनकी शादी की योजना बना रहे हैं। यह सुनते ही वह कानपुर से ‘गायब’ हो गए और अपने मित्र स्व. गोरे लाल त्रिपाठी के गांव रायपुर जा पहुंचे। जब गोरे लाल ने उनसे पूछा कि वह विवाह से क्यों भाग रहे हैं तो अटल जी ने कहा कि वह अपना सारा जीवन राष्ट्र सेवा को समर्पित करना चाहते हैं और विवाह कर लेने से उसमें बाधा आएगी।

  • 1953 में जब अटल जी राजनीति की शुरूआत कर रहे थे। उन्हें मुम्बई के कालबा देवी में जनसंघ की एक सभा को संबोधित करना था। जब वह सभा के लिए तैयार हुए तो देखा कि उनका पहना हुआ कुर्ता आस्तीन के पास से फटा हुआ था। उन्होंने अपना दूसरा कुर्ता निकाला तो वह भी गले के पास फटा हुआ निकला। अटल जी दो ही कुर्ते लेकर मुम्बई आए थे। अत: उन्होंने फटे हुए कुर्ते के ऊपर जैकेट पहन ली और सभा में चले गए।1995 में पुणे में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होने वाली थी। वहां के श्रेयास होटल के मालिक ने भाजपा नेताओं से अनुरोध किया कि वे कम से कम एक समय का भोजन उनके होटल में अवश्य करें। वह 7 नवम्बर का दिन था और 8 नवम्बर को श्री लाल कृष्ण अडवानी का जन्मदिन था।
  • योजना के अनुसार अटल जी ने आधी रात के 12 बजते ही श्री अडवानी का अभिनंदन करना था। लिहाजा इसके लिए स्टेज बनाकर वहां दो कुर्सियां रखी गईं। भोजन के बाद सब लोग स्टेज पर आ गए और हर कोई उम्मीद कर रहा था कि अब अडवानी जी और अटल जी उन कुर्सियों पर बैठेंगे।
  • लेकिन अटल जी ने अडवानी जी के बगल में बैठने से इंकार करके सबको चौंका दिया। हर किसी के चेहरे पर हैरानी के भाव देखकर वह बोले, ‘‘आज यह कुर्सी कमला जी (अडवानी जी की पत्नी) के लिए है।’’ उन्होंने कमला जी को अडवानी जी के बगल में बिठवाया और उसके बाद ही कार्यक्रम शुरू हुआ।
  • अटल जी प्रधानमंत्री के रूप में 1999 में अपने पैतृक गांव बटेश्वर आए थे। वह यहां के मंदिर में गए और यमुना में स्नान किया। जब गांव वालों ने उनसे पूछा कि उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भी बटेश्वर का विकास क्यों नहीं हुआ तो उन्होंने विनम्रतापूर्वक  कहा कि सारा भारत ही उनका गांव है और उनका अपना गांव बटेश्वर उनकी प्राथमिकताओं में सबसे अंत में है।
  • 2001 में मुम्बई में अटल जी के घुटनों का आप्रेशन करने वाले डाक्टरों का कहना है कि वह अपना आप्रेशन भारत में ही करवाना चाहते थे क्योंकि उन्हें भारतीय डाक्टरों पर विश्वास था। एक डाक्टर के अनुसार अटल जी ने साफ कह दिया था कि वह आप्रेशन करवाने अमरीका नहीं जाएंगे।
  • 2001 में राजधानी में आयोजित एक समारोह में चिन्ना पिल्लै नामक महिला को महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए सम्मानित किया गया। चिन्ना पिल्लै जब मंच पर आई तो उम्र में उससे काफी बड़े होने के बावजूद अटल जी ने उसके पैर छुए तो वहां उपस्थित सभी लोग भावुक हो गए। मदुरै में 16 अगस्त को जब चिन्ना पिल्लै को अटल जी के देहावसान का पता चला तो वह फूट-फूट कर रोने लगी।
  • अटल जी ने अपना पहला लोकसभा चुनाव 1952 में लखनऊ से लड़ा था और अंतिम लोकसभा चुनाव भी 2004 में लखनऊ से लड़ा। 2006 में उन्होंने लखनऊ में अपनी अंतिम सभा की थी जिसमें उन्होंने लोगों से मेयर के चुनाव में वर्तमान उप-मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा को वोट देने की अपील अपने विशेष अंदाज में करते हुए कहा, ‘‘यदि मैं केवल कुर्ता पहनूं तो कैसा लगेगा?’’ लोगों ने उत्तर दिया कि अच्छा नहीं लगेगा।
  • इस पर अटल जी ने कहा, ‘‘सांसद बनाकर आप लोगों ने मुझे कुर्ता तो पहना दिया अब पायजामा नगर निगम का है। दिनेश शर्मा को मेयर बनाकर मुझे पायजामा भी पहना दें।’’  दिनेश शर्मा का कहना है कि अटल जी के इसी एक वाक्य से वह चुनाव जीत गए थे।
  • विभिन्न लोगों की यादों के झरोखे से छन कर आईं उपरोक्त चंद प्रेरक यादें महान नेता को श्रद्धांजलि स्वरूप हमने प्रस्तुत की हैं जो रोचक होने के साथ-साथ प्रेरणास्रोत भी हैं।                           

—विजय कुमार

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