भर्ती परीक्षाओं में नकल और रिश्वत का बोलबाला

Edited By ,Updated: 19 May, 2022 04:23 AM

cheating and bribery prevail in recruitment examinations

परीक्षाओं में नकल और प्रश्रपत्र लीक होने का रोग पुराना है। अब तो इस बीमारी ने स्कूली परीक्षाओं से भी आगे बढ़कर राज्य सरकारों द्वारा कर्मचारियों की भर्ती के लिए ली जाने वाली परीक्षाओं

परीक्षाओं में नकल और प्रश्रपत्र लीक होने का रोग पुराना है। अब तो इस बीमारी ने स्कूली परीक्षाओं से भी आगे बढ़कर राज्य सरकारों द्वारा कर्मचारियों की भर्ती के लिए ली जाने वाली परीक्षाओं को भी जकड़ लिया है तथा विभिन्न राज्यों की भर्ती परीक्षाएं प्रश्नों के घेरे में आई हुई हैं। 

* हाल ही में गुजरात के मेहसाणा में फारैस्ट गार्ड की भर्ती परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक हो गया, जबकि इससे पहले गत वर्ष दिसम्बर में हैडक्लर्क भर्ती परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक हो जाने के कारण लगभग 88000 उम्मीदवारों को दोबारा परीक्षा देनी पड़ी थी। 

* कुछ समय पूर्व हिमाचल प्रदेश की पुलिस कांस्टेबल भर्ती की लिखित परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने के मामले की जांच सी.बी.आई. से करवाने की हिमाचल के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने सिफारिश भी की है। इस घोटाले के तार हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और बिहार से जुड़े बताए जाते हैं। इसमें 100 करोड़ रुपए से अधिक का सौदा हुआ और दलालों ने प्रत्येक उम्मीदवार से 4 से 10 लाख रुपए तक वसूल किए।  

* इसी प्रकार गत 15 मई को बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने के सिलसिले में राज्य की आर्थिक अपराध इकाई (ई.ओ.यू.) के एक कर्मचारी सहित 4 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। 
बताया जाता है कि इस परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक करवाने वाले गिरोह ने पटना में एक कंट्रोल रूम बना रखा था जो प्रश्नपत्र लीक करके उसका सही उत्तर उपलब्ध करवाने के बदले में लाखों रुपए वसूल करता था। 

* यही नहीं, उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड द्वारा गत वर्ष नवम्बर-दिसम्बर में 9524 सब-इंस्पैक्टरों की भर्ती के लिए ली गई ऑनलाइन लिखित परीक्षा में हेराफेरी के शिकार उम्मीदवार उक्त परीक्षा में धांधली और भ्रष्टाचार में शामिल लोगों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने की मांग पर बल देने के लिए इन दिनों लखनऊ के ईको गार्डन में लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। 

इनका कहना है कि इस घोटाले में ग्वालियर और देहरादून की कम्पनियां शामिल हैं जिन्होंने सैटिंग करके परीक्षा भवन में गए बिना ही अनेक उम्मीदवारों के परीक्षा भवन के कम्प्यूटर को लैपटाप के साथ कनैक्ट करके बाहर से परीक्षा दिलवा कर उनको पास करवा दिया और इसके बदले में 15-15 लाख रुपए तक वसूल किए। इनमें से कई उम्मीदवार ऐसे भी हैं जो अपने हस्ताक्षर भी कठिनाई से कर पाते हैं। 

प्रदर्शनकारी उम्मीदवारों का आरोप है कि नकल माफिया की मदद से एक उम्मीदवार के 160 में से 158 प्रश्रों के उत्तर सही करार दिए गए। अधिकांश उम्मीदवारों ने सफल होने के लिए ‘साल्वर गैंग’ (प्रश्रपत्र हल करवाने वाले गिरोह) तथा परीक्षा केंद्रों के मालिकों की मदद से ‘एनीडैस्क’ सॉफ्टवेयर का सहारा लिया। कई उम्मीदवारों द्वारा परीक्षा के लिए निर्धारित 2 घंटों के अंतिम 15 से 20 मिनट में पूरा प्रश्रपत्र हल कर लेने पर घपलेबाजी का संदेह पैदा हुआ। 

उत्तर पुस्तिकाओं की गहन जांच से पता चला कि उम्मीदवारों द्वारा इतनी तेजी से प्रश्रों के उत्तर देना किसी बाहरी मदद के बिना संभव नहीं था। कुछ उम्मीदवारों ने तो अंतिम समय पर अपने गलत उत्तरों को सुधारा। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि इन परीक्षाओं को रद्द करके नए सिरे से परीक्षा ली जाए क्योंकि यदि इन उम्मीदवारों को ट्रेनिंग के लिए भेज दिया गया तो इनका चयन हो जाएगा और उसके बाद इस निर्णय को पलटना कठिन होगा। 

6 मई को 6 लोगों की गिरफ्तारी से सामने आए इस स्कैंडल में अनुचित साधनों का प्रयोग करने के आरोप में अभी तक 57 उम्मीदवारों को गिरफ्तार करके भर्ती प्रक्रिया से बाहर किया जा चुका है और उन्होंने साल्वर गैंग की मदद लेने की बात स्वीकार की है। जांच से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार, उम्मीदवारों द्वारा परीक्षा केंद्रों के मालिकों को इसके लिए भारी-भरकम रकम देने के अलावा मैरिट में अपना नाम शामिल करवाने के लिए भी रिश्वत देने की बात सामने आ रही है तथा उक्त उदाहरणों से देश की भर्ती परीक्षाएं भी प्रश्रों के घेरे में आ गई हैं। हालांकि सरकारी कर्मचारियों से जनता की सेवा करने की उम्मीद की जाती है, लेकिन यदि वही भारी-भरकम रिश्वतें देकर नौकरियां हासिल करेंगे तो वे भी दूसरों से रिश्वतें लेकर ही उनका काम करेंगे। 

अत: उनसे जनता की निस्वार्थ भाव से सेवा करने की क्या आशा की जा सकती है। यदि गलत तरीकों तथा भ्रष्टाचार के बल पर पुलिस तथा अन्य विभागों में अयोग्य लोग भर्ती होने लगेंगे तब तो इस देश का भगवान ही रखवाला है। इस प्रकार की धांधली से जहां अपना छिना हुआ अधिकार प्राप्त करने के लिए मेधावी छात्रों को आंदोलन तक करना पड़ता है, वहीं नए सिरे से परीक्षा देने के कारण उनका मूल्यवान समय नष्ट भी होता है और इस चक्कर में कई बार नौकरी प्राप्त करने की आयु सीमा भी गुजर जाती है।—विजय कुमार

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