मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई द्वारा जजों को कार्य दिवस पर छुट्टी न लेने का निर्देश

Edited By Pardeep,Updated: 14 Oct, 2018 12:35 AM

chief justice ranjan gogoi directed the judges not to leave on work day

सुप्रीमकोर्ट में लगभग 55,000, देश के 24 हाईकोर्टों में 32.4 लाख और निचली अदालतों में 2.77 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं तथा छोटी-बड़ी सभी अदालतों में लम्बे समय से चली आ रही जजों की भारी कमी व न्याय प्रक्रिया की धीमी गति के चलते न्यायपालिका लगातार...

सुप्रीमकोर्ट में लगभग 55,000, देश के 24 हाईकोर्टों में 32.4 लाख और निचली अदालतों में 2.77 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं तथा छोटी-बड़ी सभी अदालतों में लम्बे समय से चली आ रही जजों की भारी कमी व न्याय प्रक्रिया की धीमी गति के चलते न्यायपालिका लगातार बढ़ रहे मुकद्दमों के बोझ तले दबी जा रही है। 

इसे देखते हुए 3 अक्तूबर को न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने देश के नए मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभालने के शीघ्र बाद 6 अक्तूबर को इस पर चिंता जताते हुए कहा कि अदालतों में आने वाले केसों की संख्या काफी अधिक और जजों की संख्या काफी कम है। उन्होंने जजों की कमी पूरी करने के लिए वकीलों की जज के रूप में नियुक्ति करने पर बल दिया। कार्यकाल शुरू होने के एक सप्ताह के भीतर ही उन्होंने प्रत्येक हाईकोर्ट के कालेजियम सदस्यों से चर्चा करके बाहरी दबाव से प्रभावित हुए बिना जजों का चुनाव करने, सर्वश्रेष्ठï संभावित नामों को चुनने और अनियमित जजों को न्यायिक कार्य से हटाने को कहा तथा अनुशासन की अवहेलना करने वाले जजों की जानकारी भी मांगी है। 

अब 12 अक्तूबर को श्री गोगोई ने हाईकोर्ट के वरिष्ठï जजों को लंबित मामले निपटाने का निर्देश देते हुए कहा कि सिवाय एमरजैंसी के वे कार्य दिवस में छुट्टी न लें और न ही काम के घंटों के दौरान अदालत से गैरहाजिर हों। उन्होंने कार्य दिवस के दौरान जजों के एल.टी.सी. (लीव ट्रैवल कंसैशन) लेने पर भी रोक लगाते हुए 5 वर्ष या उससे अधिक समय से लंबित मामलों को सुनवाई के लिए तुरंत ‘लिस्ट’ करने का आदेश भी दिया। 

आज जबकि अदालतों में लंबित मामलों की बहुसंख्या के कारण कई मामलों में तो केस पीड़ित पक्षकार के मरने के बाद भी चलते रहते हैं, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने उक्त निर्णय लेकर सराहनीय कार्य किया है जिसके लिए वह साधुवाद के पात्र हैं। उक्त ‘आदेश’ लंबित मुकद्दमों को घटाने और न्याय प्रक्रिया कुछ तेज करने में सहायक बन सकता है। इसके साथ ही अदालतों में रिक्त पड़े जजों के स्थानों को भी तुरंत भरने की प्रक्रिया तेज करने की जरूरत है जिससे पीड़ितों को शीघ्र न्याय मिल सकेगा और देश में अपराधों में कमी आएगी।—विजय कुमार  

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