‘चीन विरोधी प्रदर्शनों से’‘हांगकांग की अर्थव्यवस्था ठप्प होने का खतरा’

Edited By ,Updated: 20 Nov, 2019 12:08 AM

chinese protests threaten to stall hong kong economy

विश्व के अग्रणी शहरों में से एक हांगकांग को इंगलैंड ने 1997 में स्वायत्तता की शर्त के साथ चीन को सौंपा था तथा चीन ने ‘एक देश दो व्यवस्था’ की अïवधारणा के अंतर्गत अगले 50 वर्ष तक इसे अपनी स्वतंत्रता तथा सामाजिक, कानूनी और राजनीतिक व्यवस्था बनाए रखने...

विश्व के अग्रणी शहरों में से एक हांगकांग को इंगलैंड ने 1997 में स्वायत्तता की शर्त के साथ चीन को सौंपा था तथा चीन ने ‘एक देश दो व्यवस्था’ की अïवधारणा के अंतर्गत अगले 50 वर्ष तक इसे अपनी स्वतंत्रता तथा सामाजिक, कानूनी और राजनीतिक व्यवस्था बनाए रखने की गारंटी दी थी।

इसी कारण हांगकांग में रहने वाले लोग अभी भी स्वयं को चीन का हिस्सा नहीं मानते तथा उनका कहना है कि चीन लगातार उनसे उनका अधिकार और उनकी स्वतंत्रता छीन रहा है। वे खुलेआम सरकार की आलोचना तो पहले ही करते थे,लेकिन लगभग 6 महीने पहले चीन द्वारा लाए गए नए प्रत्यर्पण बिल ने उनकी चिंताओं को और भी बढ़ा दिया है क्योंकि उन्हें डर है कि इस बिल में किए गए संशोधन हांगकांगकी स्वायत्तता को प्रभावित करेंगे। 

इसीलिए उक्त बिल वापस लेने की मांग पर बल देने के लिए वे 6 महीनों से आंदोलन कर रहे हैं जिसे ‘अम्ब्रेला आंदोलन’ कहा जाता है। शुरू में तो यह आंदोलन शांतिपूर्ण रहा परंतु बाद में हिंसक हो गया और लगातार उग्र होता जा रहा है। हजारों हांगकांग वासी जिनमें बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं शामिल हैं, चीन सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे हैं जिन्हें दबाने के लिए चीन की पुलिस उनकी पिटाई, उनके विरुद्ध आंसू गैस और गोलियों के इस्तेमाल और अन्य तमाम हथकंडे अपना रही है। 

इनमें महिलाओं से बलात्कार भी शामिल है, परंतु यह आंदोलन काबू नहीं आ रहा। अभी तक वहां 4500 से अधिक आंदोलनकारी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। पिछले एक सप्ताह से हांगकांग के ‘कावलून पॉलीटैक्निक विश्वविद्यालय’ पर प्रदर्शनकारियों ने कब्जा जमा रखा है। इसके पास ही स्थित सुरंग ‘क्रॉस टनल हार्बर’, जिसे फिलहाल बंद कर दिया गया है, पुलिस एवं प्रदर्शनकारियों के बीच मुख्य युद्ध भूमि बनी हुई है जिस पर अपना कब्जा बनाए रखने के लिए हांगकांग पुलिस एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। 

बीती रात यहां पुलिस के आंसू गैस छोड़ने और रबड़ की गोलियां दागने से कम से कम 116 लोग घायल हो गए जबकि अनेक प्रदर्शनकारी रस्सी के सहारे परिसर से उतर कर फरार हो गए। इसी बीच लगभग 600 प्रदर्शनकारियों ने बीती रात अधिकारियों के समक्ष प्रदर्शन किया। इससे पहले 17 नवम्बर को तीर-धनुष, पैट्रोल बम और पत्थरों से लैस विश्वविद्यालय परिसर में तैयार बैठे प्रदर्शनकारी छात्रों और पुलिस के बीच जमकर लड़ाई हुई जिसमें 38 से अधिक छात्र घायल और 154 छात्रों को गिरफ्तार किया गया। 

प्रदर्शनकारी छात्रों द्वारा पुलिस पर पैट्रोल बम फैंकने से विश्वविद्यालय परिसर में आग लग गई। उन्होंने पुलिस को विश्वविद्यालय में घुसने से रोकने के लिए उसके मुख्य द्वार पर भी आग लगा दी और पुलिस के कई वाहन फूंक दिए। इसे देखते हुए पुलिस ने चेतावनी दी कि यदि पैट्रोल बमों और तीर-धनुषों से हमले बंद नहीं किए गए तो पुलिस उन्हें गोली मारेगी परंतु उन पर इसका कोई असर नहीं हुआ। इस बीच मास्क के कारण प्रदर्शनकारियों को पहचानने में दिक्कत आने के चलते हांगकांग हाईकोर्ट ने मास्क पहनने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। 

यह पहला मौका है जब चीन को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है और हालात उसके काबू से बाहर हैं। जहां इस आंदोलन की आंच चीन में महसूस की जा रही है वहीं यह हांगकांग तक सीमित नहीं है। पिछले दिनों हांगकांग की अत्यंत ‘अलोकप्रिय’ न्याय मंत्री ‘टेरेसा चेंग’ जब लंदन पहुंचीं तो नकाबपोश प्रदर्शनकारियों ने उनके साथ धक्का-मुक्की की।

यही नहीं, अमरीका समेत कुछ अन्य देशों ने हांगकांग के मुद्दे पर चीन को नसीहत दी है जिससे वह भड़क उठा है। इस घटनाक्रम के चलते हांगकांग में मैट्रो, हवाई सेवा, शॉपिंग मॉल, सिनेमा आदि सब पूरी तरह ठप्प हो गए हैं जिसका सीधा प्रभाव यहां की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। पिछले 10 वर्षों में पहली बार इस वर्ष की तीसरी तिमाही में हांगकांग का जी.डी.पी. घट कर 3.2 प्रतिशत पर पहुंच गया है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार यदि चीन ने इस समस्या का हल नहीं निकाला तो चीन की अर्थव्यवस्था को लगने वाले आघात की क्षतिपूर्ति करना इसके लिए कठिन होगा। 

हांगकांग में सरकार विरोधी प्रदर्शन बढऩे और इससे रोजमर्रा की जिंदगी अस्त-व्यस्त होने के चलते अक्तूबर महीने के मुकाबले इस महीने यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में 15 प्रतिशत  कमी आ गई है तथा इंडोनेशिया, भारत, मलेशिया, द. कोरिया व फिलीपींस आदि की अनेक विमान सेवाओं ने आगामी सप्ताहों के लिए यहां के लिए अपनी उड़ानें घटा दी हैं। एक ओर जहां चीन हांगकांग के स्थानीय लोगों की स्वायत्तता और अधिकारों का हनन कर रहा है तो दूसरी ओर उसने अपने शिनजियांग प्रांत में कई लाख मुसलमानों को बंदी बनाकर रखा हुआ है। कुल मिलाकर आज जहां चीनी शासक प्रत्यर्पण कानून में संशोधन द्वारा हांगकांग के स्थानीय निवासियों का दमन करके अपने ही हाथों से अपनी अर्थव्यवस्था को क्षति पहुंचा रहे हैं तो दूसरी ओर मुसलमानों का दमन करके बदनाम भी हो रहे हैं।—विजय कुमार

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