Edited By ,Updated: 23 Feb, 2021 01:33 AM
12 जून, 1932 को केरल के ‘पल्लकाड’ में जन्मे और ‘मैट्रो मैन’ के नाम से मशहूर श्री ई. श्रीधरन ने एक इंजीनियर के रूप में देश में रेलवे और मैट्रो का चेहरा बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दिल्ली मैट्रो के अलावा भारत की पहली सर्वाधिक आधुनिक ‘कोंकण...
12 जून, 1932 को केरल के ‘पल्लकाड’ में जन्मे और ‘मैट्रो मैन’ के नाम से मशहूर श्री ई. श्रीधरन ने एक इंजीनियर के रूप में देश में रेलवे और मैट्रो का चेहरा बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दिल्ली मैट्रो के अलावा भारत की पहली सर्वाधिक आधुनिक ‘कोंकण रेल सेवा’ और कई शहरों में मैट्रो रेल नैटवर्क का खाका उन्होंने ही तैयार किया तथा 31 दिसम्बर, 2011 को रिटायरमैंट के बाद भी इन परियोजनाओं के साथ बतौर सलाहकार जुड़े रहे।
निश्चित समय सीमा के भीतर काम करने और अपने काम में राजनीतिक हस्तक्षेप कतई पसंद न करने वाले ई. श्रीधरन ने बहुत कम समय में दिल्ली मैट्रो का काम अत्यंत कुशलता व गुणवत्ता के साथ पूरा कर दिखाया। 2001 में पद्मश्री और 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित 89 वर्षीय श्री श्रीधरन को 2013 में जापान के राष्ट्रीय पुरस्कार ‘आर्डर आफ द राइजिंग सन गोल्ड एंड सिल्वर स्टार्स’ से भी सम्मानित किया जा चुका है। अंतर्राष्ट्रीय ‘टाइम’ पत्रिका ने 2003 में उन्हें ‘एशिया का हीरो’ करार दिया था। दिल्ली मैट्रो परियोजना सम्पन्न करने और रिटायरमैंट के बाद से वह अपने गृह राज्य केरल में शांत जीवन बिता रहे थे तभी अचानक 18 फरवरी को एक नाटकीय घटनाक्रम में केरल भाजपा अध्यक्ष के. सुरेंद्रन का यह बयान आ गया कि श्री श्रीधरन जल्द ही भाजपा में शामिल हो रहे हैं।
इसकी पुष्टि करते हुए श्रीधरन ने कहा कि यदि केरल (जहां अगले कुछ ही महीनों में चुनाव होने वाले हैं) में भाजपा की सरकार बनती है तो राज्य का मुख्यमंत्री बनने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा कि वह केरल में तीन मुख्य बातों इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास, बड़े उद्योगों की स्थापना और राज्य की आॢथक स्थिति सुधारने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहेंगे। उनके अनुसार राज्य को मौजूदा आॢथक संकट से निकालने के लिए एक वित्तीय आयोग बनाने की जरूरत है क्योंकि केरल इस हद तक कर्ज के जाल में फंसा हुआ है कि हर केरल वासी पर 1.2 लाख रुपए का कर्ज है। राज्य की वित्तीय स्थिति को सुधारने की जरूरत है और मुख्यमंत्री बनने पर मैं ये लक्ष्य प्राप्त करने का प्रयास करूंगा।
श्री श्रीधरन के भाजपा से जुडऩे के फैसले को केरल भाजपा के लिए बड़ा बदलाव माना जा रहा है जहां अभी तक ‘लैफ्ट डैमोक्रेटिक फ्रंट’ (एल.डी.एफ.) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले ‘यूनाइटेड डैमोक्रेटिक फ्रंट’ (यू.डी.एफ.) की सरकारें ही बनती रही हैं। भाजपा का वहां कोई वजूद नहीं है और 140 सीटों वाले सदन में इस समय उसका एक ही सदस्य है।यही कारण है कि मैट्रो मैन श्रीधरन की भाजपा में संभावित एंट्री की चर्चा से बहुत लोग चौंके हैं क्योंकि मौजूदा संकेतों के अनुसार आगामी चुनावों में वहां भाजपा को बहुमत मिलने की कोई संभावना दिखाई नहीं देती। यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि भाजपा की वर्तमान नीति के अनुसार 75 वर्ष से अधिक आयु वाले नेताओं को पार्टी के मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया जाता है। अत: प्रश्न पैदा होता है कि क्या पार्टी केरल में पैर जमाने के लिए अपने इस स्थापित सिद्धांत को तिलांजलि दे देगी?
वैसे भी राज्य में ओपिनियन पोल इस बार भी सत्ताधारी ‘लैफ्ट डैमोक्रेटिक फ्रंट’ (एल.डी.एफ.) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले ‘यूनाइटेड डैमोक्रेटिक फ्रंट’ (यू.डी.एफ.) के बीच ही मुकाबला बता रहे हैं। हालांकि राज्य में अभी तक भाजपा के संबंध में कोई उत्साह नजर नहीं आता परंतु भाजपा को आशा है कि श्रीधरन जैसे दिग्गज के पार्टी के साथ जुडऩे से यहां बड़ी संख्या में युवा और ऊर्जावान नेता इसके साथ जुड़ेंगे। आम राय यही है कि श्रीधरन के भाजपा से जुडऩे से केरल में भाजपा की चुनाव संभावनाओं पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर के अनुसार, ‘‘चूंकि श्री श्रीधरन की कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि और अनुभव नहीं है इसलिए मुझे लगता है कि उनका प्रभाव न्यूनतम होगा।’’ डेढ़ वर्ष पूर्व श्री श्रीधरन ने कहा था कि ‘‘राजनीति मेरे वश की बात नहीं है।’’ अत: अब उनके नजरिए में अचानक आए बदलाव से हर कोई हैरान है। भाजपा के एक नेता के अनुसार, ‘‘इतने दशकों तक अपनी अलग छवि बनाने के बाद श्रीधरन को अब राजनीति में नहीं आना चाहिए था।’’ श्री श्रीधरन का अभी तक का करियर बेदाग रहा है जबकि राजनीति में अनेक नेताओं पर तरह-तरह के आरोप लगते रहते हैं। यह भी सच है कि राजनीति से हट कर अपने करियर में बड़ी चर्चा प्राप्त करने वाले लोग आमतौर पर राजनीति में अनाड़ी ही सिद्ध होते हैं। फिर भी यह प्रयोग करना बुरा नहीं है क्योंकि भाजपा को श्री श्रीधरन के माध्यम से राज्य के लोगों के बीच अपनी पहचान बनाने का एक मौका जरूर मिल सकता है।—विजय कुमार