कर्नाटक चुनाव में ‘कांग्रेस को मिली संजीवनी’ और ‘भाजपा को लगा झटका’

Edited By ,Updated: 14 May, 2023 03:11 AM

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13 मई को पूरे देश की नजरें कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणामों पर टिकी हुई थीं जिसे जीतने के लिए सभी दलों ने पूरा जोर लगा रखा था। वहां प्रचार के लिए केंद्र सरकार की पूरी कैबिनेट ने महीना भर डेरा डाले रखा जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जे.पी....

13 मई को पूरे देश की नजरें कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणामों पर टिकी हुई थीं जिसे जीतने के लिए सभी दलों ने पूरा जोर लगा रखा था। वहां प्रचार के लिए केंद्र सरकार की पूरी कैबिनेट ने महीना भर डेरा डाले रखा जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जे.पी. नड्डा, राजनाथ सिंह, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, शिवराज सिंह चौहान आदि शामिल थे। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरू में 26 किलोमीटर व 10 किलोमीटर लम्बे रोड शो भी निकाले जिन पर वहां की जनता ने और शो में शामिल लोगों ने एक-दूसरे पर पीले रंग के फूल फैंके, प्रधानमंत्री ने सुरक्षा का जोखिम लेते हुए कार से उतर कर लोगों से हाथ मिलाए। इसी प्रकार कांग्रेस ने भी भाजपा से सत्ता छीनने के लिए सोनिया, राहुल व प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, सिद्धारमैया, प्रदेश पार्टी अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार, राज बब्बर, मोहम्मद अजहरुद्दीन आदि मैदान में उतारे और रोड शो भी निकाले। 

इन चुनावों में भाजपा, कांग्रेस और जद (एस) ने वायदों की चाशनी में लिपटे हुए घोषणापत्र जारी किए व सभी दलों के नेताओं में धर्म गुरुओं के आशीर्वाद लेने की भी होड़ लगी रही। हालांकि भाजपा इस चुनाव में राज्य में पिछले 38 वर्षों से चली आ रही बारी-बारी की सरकार बनाने की परम्परा को तोड़कर अपनी विजय दोहराने के प्रति आश्वस्त थी परंतु राज्य के मतदाताओं ने भाजपा को नकार दिया। कांग्रेस को सर्वाधिक 136, भाजपा को 65 तथा जद (एस.) को 19 सीटें मिलीं जबकि पिछले चुनाव में भाजपा ने 104 सीटें जीती थीं तथा कांग्रेस को 80 सीटें ही मिली थीं। 

जहां कांग्रेस को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के अलावा पार्टी नेताओं द्वारा भाजपा सरकार के विरुद्ध महंगाई व बेरोजगारी जैसे स्थानीय मुद्दे उठाने से फायदा हुआ वहीं चुनाव प्रचार में राष्ट्रीय मुद्दों पर अधिक बल देना, क्षेत्रीय नेताओं की उपेक्षा व आपसी गुटबाजी भाजपा की हार के कारण बने। हिमाचल के बाद गत 4 महीनों में भाजपा ने यह दूसरा राज्य गंवाया है। वर्ष 2024 में होने वाले चुनावों को देखते हुए यह परिणाम कांग्रेस के लिए एक संजीवनी के समान है जबकि अपनी पराजय को देखते हुए भाजपा नेताओं को अपनी कमियों की ओर ध्यान देकर उन्हें दूर करना चाहिए।—विजय कुमार  

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