ममता बनर्जी द्वारा कांग्रेस नीत यू.पी.ए. को ‘अछूत’ मानना अनुचित

Edited By ,Updated: 05 Dec, 2021 03:43 AM

congress led upa by mamata banerjee unfair to consider untouchable

तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी ममता बनर्जी इन दिनों भाजपा के विरुद्ध विरोधी दलों का मोर्चा बनाने के लिए प्रयत्नशील हैं। उनकी योजना 2024 के आम चुनाव में विपक्ष को एकजुट करके भाजपा के समक्ष चुनौती पेश करने की है। इसी शृंखला में

तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी ममता बनर्जी इन दिनों भाजपा के विरुद्ध विरोधी दलों का मोर्चा बनाने के लिए प्रयत्नशील हैं। उनकी योजना 2024 के आम चुनाव में विपक्ष को एकजुट करके भाजपा के समक्ष चुनौती पेश करने की है। इसी शृंखला में पिछले 4 महीनों के दौरान उन्होंने 2 बार दिल्ली, 1 बार गोवा और 1 बार मुम्बई का दौरा किया है। 

हाल ही में वह 3 दिन की मुम्बई यात्रा पर गईं, जहां उन्होंने शिवसेना तथा राकांपा नेताओं से विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के अलावा एक कार्यक्रम को भी संबोधित किया, जिसमें कई राजनेता व जाने-माने लोग शामिल हुए। इसमें ममता ने भाजपा को ‘क्रूर’ व ‘अलोकतांत्रिक’ पार्टी बताते हुए विरोधी दलों की एकता की जरूरत पर जोर दिया व कहा, ‘‘यदि हमें जीतना है तो लड़ना व आवाज उठानी होगी। यदि हम साथ हैं तो जीतेंगे।’’ इसके अगले दिन 2 दिसम्बर को ममता की राकांपा सुप्रीमो शरद पवार से भेंट के बाद जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या शरद पवार को यू.पी.ए. का नेतृत्व करना चाहिए तो ममता ने यू.पी.ए. पर ही सवाल उठा दिए। 

ममता ने यह कह कर एक नई बहस को जन्म दे दिया कि ‘‘कांग्रेस के नेतृत्व वाला यू.पी.ए. समाप्त हो चुका है तथा अब यू.पी.ए. कोई गठबंधन नहीं है।’’  यही नहीं, उन्होंने परोक्ष रूप से राहुल गांधी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि ‘‘राजनीति में निरंतर प्रयास जरूरी है। कोई कुछ करता नहीं है, विदेश में रहता है तो कैसे चलेगा?’’ भाजपा विरोधी फ्रंट बनाने की इच्छुक ममता बनर्जी का कांग्रेस और यू.पी.ए. को अछूत मान लेना ठीक नहीं, जिसका वह स्वयं भी कभी हिस्सा रही हैं और जहां से उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था। 

यही कारण है कि ममता बनर्जी द्वारा यू.पी.ए. को समाप्त बताने पर उनकी आलोचना शुरू हो गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि ‘‘ममता बनर्जी ने नया पागलपन शुरू कर दिया है।’’ इसी प्रकार शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राऊत ने भी कहा कि ‘‘कांग्रेस के बगैर कोई फ्रंट नहीं बन सकता। यह सही नहीं है। कांग्रेस को दूर रख कर कोई फ्रंट बनने पर भाजपा को लाभ होगा। हम सब यदि कांग्रेस के साथ मिल कर काम करें तो अच्छा फ्रंट बनेगा।’’राजनीतिक विश्लेषक ममता के यू.पी.ए. के बगैर भाजपा के विरुद्ध विपक्षी एकता के प्रयास को अव्यावहारिक मानते हैं क्योंकि कांग्रेस नीत यू.पी.ए. में शमिल 14 दलों के बगैर ममता बनर्जी के विपक्षी एकता के प्रयास अधूरे ही माने जाएंगे।—विजय कुमार 

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