‘कांग्रेस चोर और भाजपा महाचोर’ हार्दिक पटेल का हास्यास्पद बयान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Oct, 2017 01:42 AM

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हार्दिक पटेल गुजरात में पटेल समुदाय द्वारा ओ.बी.सी. दर्जे की मांग को लेकर चलाए जाने वाले आरक्षण आंदोलन के युवा नेता हैं। वह ओ.बी.सी. दर्जे में पटेल समुदाय को जोड़कर सरकारी नौकरियों और शिक्षा आदि में आरक्षण चाहते हैं।  वर्ष 2012 में हार्दिक पटेल...

हार्दिक पटेल गुजरात में पटेल समुदाय द्वारा ओ.बी.सी. दर्जे की मांग को लेकर चलाए जाने वाले आरक्षण आंदोलन के युवा नेता हैं। वह ओ.बी.सी. दर्जे में पटेल समुदाय को जोड़कर सरकारी नौकरियों और शिक्षा आदि में आरक्षण चाहते हैं। 

वर्ष 2012 में हार्दिक पटेल ‘सरदार पटेल समूह’ (एस.पी.जी.) से जुड़े थे और जुलाई 2015 में  जब इनकी बहन मोनिका राज्य सरकार की छात्रवृत्ति प्राप्त करने में विफल रही तो हार्दिक ने एक ‘पाटीदार अनामत आंदोलन समिति’ (पास) का निर्माण किया जिसका लक्ष्य पाटीदार या पटेल समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने के लिए आंदोलन चलाना था। आज हार्दिक द्वारा पाटीदार समुदाय के लिए ओ.बी.सी. कोटे की मांग में उसके साथ पाटीदार समुदाय खड़ा है। इन दिनों जबकि गुजरात में चुनाव की तिथियां घोषित कर दी गई हैं, जहां कांग्रेस ने भाजपा का 22 वर्ष पुराना शासन उखाड़ फैंकने के लिए पूरा जोर लगा रखा है, वहीं भाजपा भी सत्ता अपने कब्जे में रखने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। 

इसीलिए भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों द्वारा पाटीदार पटेल समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए भारी कोशिशें की जा रही हैं। इसी सिलसिले में वहां भाजपा सरकार ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन से जुड़े 109 और मुकद्दमे वापस ले लिए हैं। दूसरी ओर कांग्रेस भी हार्दिक पटेल और उनके साथियों को पार्टी में शामिल करने के लिए प्रयत्नशील है क्योंकि गुजरात में अभी तक पाटीदार समुदाय भाजपा के साथ ही रहा है तथा वहां कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे में पटेलों का प्रतिनिधित्व काफी कम है। गुजरात सरकार द्वारा मुकद्दमे वापस लेने से अप्रभावित हार्दिक पटेल कांग्रेस को मुद्दों के आधार पर समर्थन देने को तैयार हो गए हैं तथा ओ.बी.सी. एकता मंच के नेता अल्पेश ठाकुर ने तो 23 अक्तूबर को कांग्रेस का हाथ थाम भी लिया है। 

इसी दौरान गुजरात में भाजपा को 2 और झटके लगे जब कुछ सप्ताह पूर्व भाजपा में शामिल हुए ‘पास’ के सूरत कन्वीनर निखिल सवानी ने भाजपा पर पाटीदारों को वोट बैंक समझने का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी तथा दूसरे नरेन्द्र पटेल ने एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि पार्टी में शामिल होने के लिए उन्हें 1 करोड़ रुपए का ऑफर दिया गया था और 10 लाख रुपए पेशगी भी दी गई थी। उधर गुजरात के उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने हार्दिक पटेल पर यह आरोप लगाया है कि ‘‘वह सरदार पटेल का निरादर करने वाली कांग्रेस के एजैंट बन गए हैं तथा हार्दिक को बताना चाहिए कि कांग्रेस ने उन्हें ऐसा क्या दे दिया है कि वह उसकी गोद में जाकर बैठ गए हैं।’’ इसी बीच तेजी से बदलते हालात में हार्दिक ने 24 अक्तूबर को कहा कि ‘महाचोर’ भाजपा को हराने के लिए वह ‘चोर’ कांग्रेस का साथ देंगे। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि उसने विधानसभा चुनाव से पहले ‘पास’ के कार्यकत्र्ताओं को खरीदने के लिए 500 करोड़ रुपए का बजट तय किया है।

इसके साथ ही हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को समर्थन देने के बदले कांग्रेस के सामने अनेक मांगें रख दी हैं जिनमें पाटीदारों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में आरक्षण का भरोसा देना, पाटीदारों के प्रभाव वाली सीटों पर अधिक उम्मीदवारों को टिकट देना आदि शामिल हैं। पाटीदार समुदाय के नेता उन्हें दिए जाने वाले आरक्षण के प्रावधान को संवैधानिक सुरक्षा दिए जाने की मांग भी कर रहे हैं ताकि उसकी न्यायिक समीक्षा न हो सके। गुजरात में जातीय समीकरण के हिसाब से ओ.बी.सी. का वोट प्रतिशत 40 प्रतिशत है। यही कारण है कि भाजपा हो या कांग्रेस दोनों की नजर ओ.बी.सी. वोट बैंक पर हमेशा रहती है। 

इन हालात में प्रेक्षकों का कहना है कि यदि कांग्रेस हार्दिक पटेल को अपने साथ लाने में सफल हो जाती है तो कांग्रेस के लिए भाजपा से गुजरात को छीनने की संभावनाएं कुछ बढ़ जाएंगी परन्तु हार्दिक पटेल द्वारा यह कहने का कतई कोई औचित्य नहीं है कि ‘महाचोर’ भाजपा को हराने के लिए वह ‘चोर’ कांग्रेस का साथ देंगे। ऐसा कह कर उन्होंने अपनी गरिमा ही घटाई है और इसका असर चुनावों पर भी पड़ सकता है।—विजय कुमार

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