‘आतंकवादियों द्वारा’ कश्मीर घाटी में ‘लोकतांत्रिक प्रक्रिया अवरुद्ध करने के षड्यंत्र’

Edited By ,Updated: 08 Aug, 2020 02:04 AM

conspiracy to block democratic process in kashmir valley by terrorists

जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के पाले हुए आतंकवादियों द्वारा सभी स्तरों पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अवरुद्ध करने के षड्यंत्र लगातार जारी हैं और पंचायतें भी उनके हमलों से अछूती नहीं हैं और यहां 2011 के बाद कम से कम 20 पंचायत सदस्यों को शहीद किया

जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के पाले हुए आतंकवादियों द्वारा सभी स्तरों पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अवरुद्ध करने के षड्यंत्र लगातार जारी हैं और पंचायतें भी उनके हमलों से अछूती नहीं हैं और यहां 2011 के बाद कम से कम 20 पंचायत सदस्यों को शहीद किया जा चुका है : 

* 8 जून को अनंतनाग के लरकीपोरा में आतंकवादियों ने सरपंच अजय पंडिता (कांग्रेस) की उनके घर के बाहर गोली मार कर हत्या कर दी। 
* 8 जुलाई को बांदीपोरा में भाजपा नेता वसीम बारी, उनके पिता तथा भाई की हत्या कर दी गई। 
* 15 जुलाई को आतंकवादियों ने उत्तरी कश्मीर में भाजपा नेता मेहराजदीन मल्लाह का अपहरण कर लिया जिसे बाद में पुलिस ने छुड़वा लिया था। 
* 04 अगस्त को कुलगाम के आखरन में पीर आरिफ अहमद शाह (भाजपा) नामक एक पंच को गोली मार कर गंभीर घायल कर दिया गया। 
* और अब 6 अगस्त को दक्षिण कश्मीर में कुलगाम भाजपा के उपाध्यक्ष तथा जिले के काजीगुंड इलाके के गांव ‘वेसु’ के सरपंच सज्जाद अहमद खांडे की आतंकवादियों ने गोली मार कर हत्या कर दी। 

इन घटनाओं से पहले ही समाचार आ रहे थे कि पंचायत सदस्यों को निशाना बनाया जा सकता है जिसके कारण ‘खांडे’ को कश्मीरी पंडितों के लिए बनाई गई ट्रांजिट कालोनी में अनेक पंचायत और निकाय प्रतिनिधियों के साथ पुलिस सुरक्षा में रहने के लिए आवासीय सुविधा प्रदान की गई थी। 

यहां से वह पुलिस को सूचित किए बिना अपने घर जा रहे थे कि घर के निकट ही 2 आतंकवादियों ने गोलियां मार कर उनकी हत्या कर दी। भाजपा द्वारा जम्मू-कश्मीर में धारा-370 की समाप्ति की वर्षगांठ (5 अगस्त) तथा नए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के शपथ ग्रहण के अवसर पर 2 पंचायत सदस्यों पीर आरिफ अहमद तथा सज्जाद अहमद खांडे पर हमला करके आतंकवादियों ने अपने कुत्सित इरादे जाहिर कर दिए। 

इससे घाटी के गांवों के पंचों-सरपंचों में भय की लहर दौड़ गई है और  उक्त घटनाओं के चलते प्रदेश में पंचायत सदस्यों द्वारा त्यागपत्रों का सिलसिला चल पड़ा है। अत: ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए जहां स्थानीय निकायों से जुड़े अधिकारियों की सुरक्षा के अचूक प्रबंध करने और उन्हें सुरक्षा देने की आवश्यकता है वहीं आतंकवादियों का तेजी से सफाया करना भी जरूरी है क्योंकि जब तक घाटी में एक भी आतंकवादी बचा रहेगा यहां की धरती निर्दोषों के खून से लाल होती ही रहेगी।—विजय कुमार

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