‘कोरोना’ व प्राकृतिक आपदाओं के कारण ‘श्री अमरनाथ यात्रा रद्द’ का सही निर्णय

Edited By ,Updated: 23 Jul, 2020 02:03 AM

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तीर्थ यात्राएं भारत की एकता की प्रतीक हैं तथा बाबा अमरनाथ जी की यात्रा करोड़ों शिव भक्तों की आस्था का केंद्र ही नहीं, जम्मू-कश्मीर के सभी धर्मों के लोगों को एक भावात्मक बंधन में बांधने व भाईचारा मजबूत करने का माध्यम भी है जिसमें सर्दी, खराब मौसम,

तीर्थ यात्राएं भारत की एकता की प्रतीक हैं तथा बाबा अमरनाथ जी की यात्रा करोड़ों शिव भक्तों की आस्था का केंद्र ही नहीं, जम्मू-कश्मीर के सभी धर्मों के लोगों को एक भावात्मक बंधन में बांधने व भाईचारा मजबूत करने का माध्यम भी है जिसमें सर्दी, खराब मौसम, पहाड़ी मार्ग की कठिनाइयों, ऑक्सीजन की कमी, जर्जर पुलों, बरसात, फिसलन व रास्ते में रोशनी का प्रबंध न होने की परवाह न करते हुए श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस यात्रा से स्थानीय घोड़े, पिट्ठू व पालकी वाले भी कमाई करते हैं। इसी आय से क्षेत्र के लोग अपने बेटे-बेटियों की शादियां या नए मकानों का निर्माण तथा खरीदारी करते हैं। इस यात्रा से जम्मू-कश्मीर सरकार को भी भारी आय होती है। 

कोरोना महामारी के कारण देश के सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों की भांति जम्मू-कश्मीर स्टेट एग्जीक्यूटिव कमेटी द्वारा 31 जुलाई तक प्रदेश के सभी धर्मस्थलों पर लगाई गई पाबंदी के अनुरूप 21 जुलाई को उपराज्यपाल जी.सी. मुर्मू की अध्यक्षता में श्राइन बोर्ड की बैठक में इस वर्ष होने वाली अमरनाथ यात्रा को रद्द करने की घोषणा भारी मन से कर दी गई। पिछले 150 वर्षों में इस यात्रा को रद्द करने का यह पहला अवसर है। 

हालांकि देश-विदेश के श्रद्धालुओं और लंगर समितियों के प्रबंधकों में इस यात्रा के प्रति अत्यधिक उत्साह था तथा इससे पूर्व 15 जुलाई को इस यात्रा के लिए लंगर समितियों को अनुमति भी दे दी गई थी परंतु अब लंगर समितियां भी श्रद्धालुओं की सेवा से वंचित रहेंगी। यात्रा रद्द करने के बावजूद श्राइन बोर्ड ने 3 अगस्त को श्रावण पूॢणमा तक सुबह-शाम की आरती का लाइव टैलीकास्ट/ वर्चुअल दर्शन जारी रखने का फैसला लिया है तथा भक्तों को बाबा बर्फानी के दर्शन होते रहेंगे। हालांकि इस वर्ष इस महान यात्रा से जुड़े टैक्सी, टैम्पो वालों, स्थानीय दुकानदारों, पिट्ठू और घोड़ा पालकी वालों को नुक्सान होगा जिनकी आय का स्रोत कुछ हद तक यात्रा पर निर्भर रहता है। 

अभी 21 जुलाई को ही हरिद्वार में आकाशीय बिजली गिरने से हर की पैड़ी में लगभग 80 फुट लम्बी दीवार धराशायी हो गई परंतु कोरोना महामारी के चलते ‘सोमवती अमावस्या’ पर हर की पैड़ी पर स्नान पर रोक होने के कारण बड़ा हादसा होने से टल गया। वर्ना बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की जान जा सकती थी, जिस प्रकार 1996 में अमरनाथ यात्रा के दौरान गुफा के निकट ग्लेशियर फटने से असंख्य श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई थी। इन दिनों कश्मीर घाटी में प्रतिदिन आतंकवादियों के हमले भी हो रहे हैं। वैसे भी गर्मियों के दिनों में और सॢदयों से पहले इस क्षेत्र में आतंकवादियों की घुसपैठ बढ़ जाने के कारण लोगों के लिए खतरा बढ़ जाता है। 

ऐसी परिस्थितियों में इस बार अमरनाथ यात्रा स्थगित करने का प्रशासन का निर्णय उचित ही है। अत: करोड़ों शिवभक्तों की आस्था को नमन करते हुए हम आशा करते हैं कि जल्द ही हालात सामान्य होंगे। लोगों को महामारी व प्राकृतिक आपदाओं से मुक्ति मिलेगी और भोले बाबा के आशीर्वाद से शिव भक्त अगले वर्ष पहले से भी अधिक उत्साह से बाबा के दरबार में नतमस्तक होने के लिए पहुंच सकेंगे।—विजय कुमार 

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