देश को झुलसा रही है साम्प्रदायिकता की यह आग

Edited By ,Updated: 27 Oct, 2015 02:10 AM

country is the scorching fire of communalism

एक ओर जहां नेताओं द्वारा लोगों को शांति और सहनशीलता के उपदेश दिए जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर देश असहनशीलता और राष्ट विरोधी गतिविधियों की आग में जल रहा है।

एक ओर जहां नेताओं द्वारा लोगों को शांति और सहनशीलता के उपदेश दिए जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर देश असहनशीलता और राष्ट विरोधी गतिविधियों की आग में जल रहा है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखंड,  जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़ आदि में गत एक सप्ताह में ही लगभग आधा दर्जन से अधिक हिंसक घटनाओं से वातावरण तनावपूर्ण बना हुआ है :

* 21 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश में बागपत के काठा गांव में दबंगों ने दलित परिवार पर धावा बोल कर 2 भाइयों को घायल कर दिया।
 
* 22 अक्तूबर को मध्य प्रदेश के खरगौन में साम्प्रदायिक हिंसा भड़कने पर उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए गए। इसी दिन शहर में 5 स्थानों पर पथराव व आगजनी के बाद कफ्र्यू लगाना पड़ा। स्थिति पर काबू पाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लिया।
 
* इसी दिन उत्तर प्रदेश के कन्नौज में मूर्ति विसर्जन के दौरान गोलीकांड में एक युवक की मृत्यु के अगले दिन 23 अक्तूबर को शहर के इतिहास में पहली बार भड़के साम्प्रदायिक उपद्रव के दृष्टिगत कफ्र्यू लगा दिया गया। फतेहपुर और बांदा के अलावा अनेक स्थानों पर भी साम्प्रदायिक उपद्रव हुए।
 
* अतर्रा गांव में मूर्ति विसर्जन के दौरान भीड़ नियंत्रित कर रहे एक सिपाही की लाठी से एक मूर्ति टूट जाने पर उग्र भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। इस कारण अन्यों के अलावा कुछ पुलिस कर्मचारी घायल हो गए। पुलिस को स्थिति संभालने के लिए गोली चलानी पड़ी। 
 
* 23 अक्तूबर को ही राजस्थान के श्री डूंगरगढ़ में एक धार्मिक जलूस के दौरान दो समुदायों के बीच झड़प और पथराव से पुलिस कर्मियों सहित अनेक लोगों के घायल हो जाने के बाद कफ्र्यू लगा दिया गया।
 
* 23 अक्तूबर को ही बांदीपुरा के हाजिन इलाके में समाज विरोधी तत्वों ने पाकिस्तानी झंडे फहरा दिए। जब सुरक्षाबलों के सदस्य उन्हें हटाने लगे तो युवकों ने पथराव करके उन्हें (सुरक्षा बलों के सदस्यों को) खदेड़ दिया। 
 
* इसी दिन जम्मू के भद्रवाह में एक धार्मिक ग्रंथ के अनादर को लेकर तनाव पैदा हो जाने से नगर में ‘बंद’ करवा दिया गया और विभिन्न स्थानों पर पुलिस व अद्र्धसैनिक बल तैनात करने पड़े। श्रीनगर के अनेक भागों में 23 से 25 अक्तूबर तक लगातार कफ्र्यू जैसे हालात रहे।   
 
* 24 अक्तूबर को मध्य प्रदेश में जबलपुर के निकट सिहोरा-गोहालपुर इलाके में एक धार्मिक आयोजन में शामिल 7 लोगों की सड़क दुर्घटना में मृत्यु के विरुद्ध आक्रोशित भीड़ ने अनेक पुलिस वाहनों और दुकानों आदि को आग लगा दी। ग्वालियर में भी एक जलूस के मार्ग को लेकर हुए विवाद में पथराव के चलते प्रशासन को कफ्र्यू लगाना पड़ा। 
 
* 24 अक्तूबर रात को बिहार में वैशाली जिले के सहारपुर गांव में अज्ञात लोगों ने महादलित परिवारों के 4 मकानों को आग लगा दी।
 
* कानपुर में एक धार्मिक पोस्टर फाडऩे की घटना को लेकर हुए बवाल के चलते उपद्रवियों ने विभिन्न स्थानों पर पथराव किया, देसी बम फोड़े और जब पुलिस ने उन्हें भगाने की कोशिश की तो उन्होंने पुलिस पर गोली चला दी। 
 
* 24 अक्तूबर को झारखंड के हजारीबाग में एक धार्मिक जलूस में 2 समुदायों के बीच तनाव और पथराव के बाद ङ्क्षहसा पर उतारू उपद्रवियों ने आधा दर्जन वाहनों को आग लगा दी। स्थिति पर काबू पाने के लिए पुलिस को हवा में 70 राऊंड गोली चलानी पड़ी। इसी दिन बिहार के मधुबनी में एक धार्मिक जलूस पर पत्थर फैंके जाने की घटना के बाद कफ्र्यू लगाना पड़ा। 
 
पिछले एक सप्ताह के दौरान हुई घटनाओं में से उक्त घटनाएं तो उदाहरण मात्र हैं जबकि अन्य चंद राज्यों में भी साम्प्रदायिक असंतोष का लावा उबल रहा है जो किसी भी समय गम्भीर रूप धारण कर सकता है।
 
जितनी बड़ी संख्या में ऐसी घटनाएं अब हो रही हैं, इससे पहले शायद नहीं हुई थीं। जहां ये प्रशासन की नाकामी की द्योतक हैं वहीं एक चेतावनी भी हैं कि स्थिति हमारे नेताओं के काबू से बाहर हो रही है। अत: गम्भीरता से ङ्क्षचतन करने की जरूरत है कि आखिर इनके पीछे कौन से कारण हैं?     

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