नितिन गडकरी मंदी से निकालने के लिए देश को उठाने होंगे क्रांतिकारी कदम

Edited By ,Updated: 17 Sep, 2019 02:14 AM

country will have to take revolutionary steps to get gadkari out of recession

सरकार के प्रयासों के बावजूद रोजगार और आमदनी के स्रोतों में संतोषजनक प्रगति नहीं हुई है तथा रियल एस्टेट, स्टील, टैलीकॉम, ऑटोमोबाइल, पॉवर और बैंकिंग सैक्टर में सर्वाधिक आर्थिक सुस्ती व्याप्त हो गई है। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों, डालर की तुलना में रुपए...

सरकार के प्रयासों के बावजूद रोजगार और आमदनी के स्रोतों में संतोषजनक प्रगति नहीं हुई है तथा रियल एस्टेट, स्टील, टैलीकॉम, ऑटोमोबाइल, पॉवर और बैंकिंग सैक्टर में सर्वाधिक आर्थिक सुस्ती व्याप्त हो गई है। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों, डालर की तुलना में रुपए की कीमत में गिरावट से राजकोषीय घाटे में वृद्धि और आयात के मुकाबले निर्यात में कमी के चलते हमारे विदेशी मुद्रा कोष में भी भारी कमी आई है। 

ऑटो सैक्टर में भारी गिरावट के चलते पिछले 5 महीनों में वाहन एवं फुटकर पुर्जों के निर्माताओं तथा डीलरों ने 3.5 लाख से अधिक कर्मचारियों की छुट्टïी कर दी हैै। 2018-19 की चौथी तिमाही में देश की जी.डी.पी. घट कर 5.8 प्रतिशत रह गई जो पिछले 6 वर्षों का न्यूनतम स्तर है। इसके अलावा देश में बेरोजगारी की दर भी 6.1 प्रतिशत के उच्च स्तर पर रही है। हालांकि केंद्र सरकार ने हाल ही में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए निर्यात और आवास क्षेत्र के लिए 70,000 करोड़ रुपए के ‘बूस्टर डोज’ की घोषणा की है परंतु इसे भी अपर्याप्त माना जा रहा है। 

इसी संदर्भ में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 15 सितम्बर को ‘विदर्भ उद्योग संघ’ के स्थापना दिवस समारोह में बोलते हुए स्वीकार किया कि  ‘‘देश की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है। उद्योग मुश्किल में हैं। हाल ही में मैंने ऑटो मोबाइल निर्माताओं से मुलाकात की थी। वे काफी निराश और चिंतित थे।’’ अनेक अर्थशास्त्रियों के साथ-साथ भारत सरकार की आर्थिक नीतियों की प्राय: आलोचना करने वाले भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने अपनी पुस्तक ‘रिसेट : रिगेनिंग इंडियाज इकोनामिक लिगैसी’ में लिखा है कि ‘‘सरकार को आज संकट प्रबंधन के लिए अनुभवी राजनेताओं और वृहत अर्थशास्त्र की अच्छी समझ रखने वाले पेशेवर अर्थशास्त्रियों की जरूरत है।’’ 

‘‘आज अर्थव्यवस्था की जिम्मेदारी जिन्हें दी गई है उन्हें वास्तविकता का पता नहीं है और वे मीडिया को साधने तथा बातों में घुमाने में लगे हैं। अर्थव्यवस्था में अनेक गंभीर बुनियादी कमियां हैं और इसीलिए हमारी अर्थव्यवस्था ऐसी नर्मी में पड़ी है जो 1947 के बाद कभी नहीं दिखी।’’ जहां नितिन गडकरी ने देश में मंदी की लहर को दुखद बताया है वहीं श्री सुब्रह्मïण्यम स्वामी ने इससे मुक्ति पाने के लिए भारतीय अर्थतंत्र में जिन अनुभवी पेशेवर अर्थशास्त्रियों की सेवाएं लेने का सुझाव दिया है उस पर अमल करने तथा अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए क्रांतिकारी सुधारात्मक कदम उठाने की तुरंत आवश्यकता है।—विजय कुमार 

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