अस्पतालों में बढ़ रहे महिलाओं के विरुद्ध अपराध और बलात्कार

Edited By ,Updated: 12 Jan, 2017 12:25 AM

crimes against women are on the rise in hospitals and rape

अस्पतालों में लोग स्वस्थ होने के लिए जाते हैं परंतु कहीं-कहीं इसके सर्वथा विपरीत हो रहा है और इलाज के लिए केवल वहां जाने वाली महिलाएं ही नहीं बल्कि...

अस्पतालों में लोग स्वस्थ होने के लिए जाते हैं परंतु कहीं-कहीं इसके सर्वथा विपरीत हो रहा है और इलाज के लिए केवल वहां जाने वाली महिलाएं ही नहीं बल्कि उनके साथ आए परिजन तक यौन अपराधों के शिकार हो रहे हैं जिसके चंद उदाहरण निम्र में दर्ज हैं

19 जून, 2016 को जयपुर के एक सरकारी अस्पताल से एक 3 वर्षीय बच्ची का अपहरण कर लिया गया और कुछ ही देर बाद वह यौन आक्रमण के चलते लहूलुहान हालत में अस्पताल के गेट के बाहर पड़ी मिली।

30 जुलाई, 2016 को हरियाणा के एक प्रसिद्ध अस्पताल की ड्यूटी अटैंडैंट महिला से अस्पताल के ही 2 सुपरवाइजरों ने अस्पताल के अंदर  बलात्कार किया और किसी को बताने पर गंभीर परिणामों की धमकी दी।

09 सितम्बर, 2016 को गुजरात के एक प्राइवेट अस्पताल में एक डाक्टर और स्वीपर ने एक 19 वर्षीय युवती से बलात्कार किया।10 सितम्बर को गांधी नगर स्थित एक प्रसिद्ध अस्पताल में कार्यरत और लम्बी अवधि के वीजा पर भारत आए पाकिस्तानी डा. राजेश चौहान व वार्ड ब्वाय चंद्रकांत वानकर को आई.सी.यू. में उपचाराधीन एक 21 वर्षीय डेंगू पीड़िता से 2 दिन बारी-बारी बलात्कार करने पर गिरफ्तार किया गया।

07 दिसम्बर को नई दिल्ली में ‘चरक पालिका अस्पताल’ की पूर्व इंटर्न ने इसी अस्पताल के 1 डाक्टर, 2 लैबोरेटरी टैक्नीशियनों व 1 माली पर अस्पताल की एक्स-रे लैबोरेटरी में तथा अन्य स्थानों पर ले जाकर उससे सामूहिक बलात्कार करने तथा 25,000 रुपए ऐंठ लेने का आरोप लगाया।

16 दिसम्बर, 2016 को मुम्बई के नानावती अस्पताल के ‘डॉ. कायन सिओदिया’ को एक 26 वर्षीय महिला पर यौन आक्रमण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। महिला के अनुसार 5 जून को जब वह अस्पताल में इलाज के लिए आई.सी.यू. में भर्ती थी, उक्त डाक्टर ने उसे भारी मात्रा में नींद की गोलियां खिला कर जांच के बहाने उसके गुप्तांग में उंगली डाल दी।

महिला ने शिकायत में यह भी लिखा कि बाद में भी जब उक्त डाक्टर ने फोन करके उस पर शारीरिक संबंध बनाने के लिए जोर डालना जारी रखा तो मजबूरन उसने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाने का फैसला किया।

02 जनवरी 2017 को दक्षिण मुम्बई के सेंट जार्ज अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती एक महिला के साथ आई उसकी 5 वर्षीय बेटी को चाकलेट दिलवाने के बहाने बहला-फुसला कर अस्पताल के ही एक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी का 25 वर्षीय बेटा बाहर ले गया और उससे बलात्कार कर डाला। हालांकि अभियुक्त को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है परंतु अब अभियुक्त के परिवार द्वारा उन पर यह मामला वापस लेने के लिए दबाव डाला जा रहा है और ऐसा न करने पर गंभीर परिणामों की धमकियां दी जा रही हैं।

07 जनवरी को बिहार में ‘दरभंगा मैडीकल कालेज व अस्पताल’ में अपने बेटे का इलाज करवाने आई महिला को अस्पताल के एक कर्मचारी विपन कुमार ने अस्पताल में अपने  कमरे में ले जा कर उससे बलात्कार कर डाला।इसी दिन बिहार की राजधानी पटना स्थित ‘पटना मैडीकल कालेज तथा अस्पताल’ के शौचालय में एक युवक ने अस्पताल में इलाज के लिए दाखिल एक महिला की बेटी से बलात्कार करने की कोशिश की।

उक्त उदाहरणों से स्पष्टï है कि सरकारी और प्राइवेट दोनों ही तरह के अस्पतालों में इलाज के सिलसिले में आने वाली महिलाओं और उनके परिजनों तक पर यौनिक हमले आम होते जा रहे हैं। यहां तक कि अस्पतालों में काम करने वाली महिलाएं भी सुरक्षित नहीं हैं।

हालांकि अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होने की उम्मीद की जाती है पर ऐसा है नहीं। यौन अपराधों को रोकने के लिए वहां हर जगह सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाना और संवेदनशील स्थानों पर स्टाफ तैनात करना आवश्यक है ताकि जरूरत के समय वे तुरंत मदद के लिए उपलब्ध हो सकें। यदि ऐसा नहीं किया जाएगा तो इससे सम्बन्धित अस्पतालों की बदनामी होगी तथा महिलाएं वहां अपना इलाज करवाने के लिए जाने से ही संकोच करने लगेंगी।                                              —विजय कुमार  

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