हिंसक होते जा रहे आवारा पशु बढ़ती जा रही दिनों-दिन समस्या

Edited By ,Updated: 17 Jan, 2019 03:52 AM

day to day problems of horse animals being violent

देश के अधिकांश भागों में आवारा जानवरों ने भारी उत्पात मचा रखा है। दिल्ली और इसके आसपास, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल, राजस्थान और पंजाब आदि में आवारा जानवरों ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। उत्तर प्रदेश में तो आवारा मवेशियों द्वारा फसल बर्बाद...

देश के अधिकांश भागों में आवारा जानवरों ने भारी उत्पात मचा रखा है। दिल्ली और इसके आसपास, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल, राजस्थान और पंजाब आदि में आवारा जानवरों ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। उत्तर प्रदेश में तो आवारा मवेशियों द्वारा फसल बर्बाद करने से गुस्साए किसानों की ओर से इन्हें सरकारी स्कूलों तथा नगर-निगमों आदि के परिसरों में बंद करने तक के समाचार मिल रहे हैं। इनके कारण न सिर्फ सड़क दुर्घटनाएं बल्कि आपस में मारपीट तक हो रही है जिसके जनवरी माह के ही चंद उदाहरण निम्न में दर्ज हैं : 

01 जनवरी को जयपुर के निकट कंवरपुर गांव में आवारा सांड द्वारा बाइक सवार को टक्कर मार देने से उसकी मृत्यु हो गई। 04 जनवरी को फर्रुखाबाद के निकट सड़क पर अचानक आए आवारा मवेशी से एक बाइक के टकरा जाने से एक व्यक्ति की मृत्यु और उसका साथी घायल हो गया। 09 जनवरी को मथुरा में आवारा सांड ने एक 15 वर्षीय किशोर को पटक-पटक कर मार डाला। हिंसक हुए सांड ने किशोर को बचाने गए ग्रामीणों पर भी हमला करके उन्हें घायल कर दिया। 

10 जनवरी को फिरोजाबाद के फरीहा गांव में खेतों की रखवाली कर रहे किसान को उसके खेत में घुस गए आवारा सांड ने हमला करके मार डाला। 10 जनवरी को अबोहर की नई अनाज मंडी के निकट एक सांड ने एक रिक्शा चालक को टक्कर मार कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। 11 जनवरी को उत्तर प्रदेश में बदायूं जिले के बिल्सी गांव में गायों के लिए बनाई गई स्थायी गौशाला से निकल कर भागे एक सांड ने एक 12 वर्षीय बच्चे को पटक-पटक कर मार डाला। 13 जनवरी को आगरा के निकट शाहगंज में गाय के सामने आ जाने पर एक बस के बेकाबू होकर पलट जाने से बस में सवार एक महिला और उसकी दोहती की मृत्यु तथा अनेक लोग घायल हो गए। 

14 जनवरी को देर रात 11 बजे पठानकोट के निकट लड़ रहे 2 सांडों की लपेट में आकर दुर्घटनाग्रस्त हुए 2 स्कूटी सवार युवकों की मृत्यु हो गई। 14 जनवरी को ही काठगढ़ के निकट बलाचौर-रूपनगर मुख्य मार्ग पर गांव टौंसा के निकट आवारा पशु को बचाते हुए टिप्पर और ट्रक की टक्कर हो जाने से टिप्पर चालक की मृत्यु हो गई। 14 जनवरी को जालंधर के निकट सरमस्त पुर में लावारिस पशु को बचाते समय कार डिवाइडर से टकरा गई जिससे कार चालक की मृत्यु और उसकी पत्नी तथा 2 बेटियां घायल हो गईं। 14 जनवरी को गुरदासपुर के निकटवर्ती गांव फुल्लड़ा में खेतों में फसलों को नुक्सान पहुंचाने पर कुछ लोग इतने क्रोध में आ गए कि उन्होंने गाय को गाड़ी से बांध कर 7 कि.मी. तक बुरी तरह घसीटा जिससे गाय गंभीर रूप से घायल हो गई। जब एक व्यक्ति ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो गाड़ी में सवार 3 व्यक्तियों ने उस पर भी हमला कर दिया। 

आवारा जानवरों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं के ये तो चंद नमूने मात्र हैं जिनकी रिपोर्ट दर्ज हुई है। रात के समय सड़कों पर घूमने वाले काली चमड़ी के जानवरों बारे खास तौर पर वाहन चालकों को पता नहीं चल पाता जिससे दुर्घटना हो जाती है। हिंसक होते जा रहे ये आवारा जानवर लोगों द्वारा डराने पर भी भागते नहीं उलटे उन पर हमला कर देते हैं। प्रशासन द्वारा लावारिस मवेशियों को काबू में रखने के लिए ‘कैटल पाऊंड’ आदि बनाने की योजनाएं भी खटाई में ही पड़ी हुई हैं। इस समस्या से निपटने के लिए जहां आवारा पशुओं की आबादी बढऩे से रोकने के प्रयास करने की आवश्यकता है वहीं इनके लिए ‘कांजी हाऊस’ बनाने की भी जरूरत है। 

जब तक ऐसा नहीं किया जाता, सड़कों पर घूमने वाले आवारा जानवरों के शरीर और सींगों पर रिफ्लैक्टर लगाने से रात के समय इनके कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने में कुछ सहायता मिल सकती है। ऐसा न करने पर लोग घायल होते रहेंगे और मरते रहेंगे।—विजय कुमार 

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