पैट्रोल-डीजल जी.एस.टी. दायरे में न लाने से अधिकांश देशवासियों को निराशा

Edited By ,Updated: 26 Sep, 2021 04:50 AM

disappointment of the countrymen due to not bringing petrol diesel under gst

1 जुलाई, 2017 को केंद्र सरकार द्वारा देश में गुड्स एंड सॢवस टैक्स अर्थात जी.एस.टी. लागू करने से आम जनता को आशा बंधी थी कि पैट्रोल और डीजल भी इसके दायरे में आ जाएंगे और सारे देश में एक जैसी टैक्स व्यवस्था होने से लोगों को पैट्रोल-डीजल की महंगाई से...

1 जुलाई, 2017 को केंद्र सरकार द्वारा देश में गुड्स एंड सॢवस टैक्स अर्थात जी.एस.टी. लागू करने से आम जनता को आशा बंधी थी कि पैट्रोल और डीजल भी इसके दायरे में आ जाएंगे और सारे देश में एक जैसी टैक्स व्यवस्था होने से लोगों को पैट्रोल-डीजल की महंगाई से मुक्ति मिलेगी। परंतु जी.एस.टी. लागू होने के 4 वर्ष बाद भी पैट्रोल व डीजल को जी.एस.टी. के दायरे में नहीं लाया जा सका तथा विभिन्न राज्यों में इन पर अलग-अलग टैक्स व्यवस्था होने से लोग महंगाई से त्रस्त हैं। 

पैट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में वृद्धि से ढुलाई की लागत बढऩे के कारण महंगाई भी बढ़ती जा रही है। पैट्रोल-डीजल पर भारी-भरकम टैक्स केंद्र और राज्य सरकारों के लिए आय का साधन बना हुआ है और इसी कारण राज्यों और केंद्र सरकार में इन्हें जी.एस.टी. के अंतर्गत लाने में सहमति नहीं बन पाई। 

इस समय जबकि देश में वाहन र्ईंधन के दाम रिकार्ड ऊंचाई पर हैं, केरल हाईकोर्ट ने जून में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान जी.एस.टी. कौंसिल से पैट्रोल और डीजल को जी.एस.टी. के अंतर्गत लाने पर विचार करने और अपनी अगली बैठक में इस पर फैसला करने को कहा था। इससे आशा बंधी थी कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में लखनऊ में जी.एस.टी. कौंसिल की 45वीं बैठक में पैट्रोल-डीजल को इसके तहत लाने का फैसला हो जाएगा और इनकी कीमतों में कुछ कमी आएगी परंतु इस प्रस्ताव को राज्यों ने रद्द कर दिया। 

जहां 23 सितम्बर को केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने इसके लिए राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि पैट्रोल-डीजल पर भारी टैक्स वसूलने के कारण वे इन्हें जी.एस.टी. के अंतर्गत नहीं लाना चाहतीं, वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 24 सितम्बर को कहा कि 6 राज्य अभी इसके लिए तैयार नहीं हैं, जिस पर उनके साथ सहमति बनाने का प्रयास किया जा रहा है। कोरोना संक्रमणकाल में लॉकडाऊन के चलते बड़ी संख्या में व्यापार तथा उद्योग आॢथक मंदी के शिकार हो जाने से नौकरियां चली जाने के कारण लोगों पर पहले ही भारी आॢथक बोझ बढ़ा हुआ है, अत: राज्य सरकारों को पैट्रोल-डीजल को जल्दी से जल्दी जी.एस.टी. के दायरे में लाना चाहिए ताकि समाज के सभी वर्गों के लोगों को कुछ राहत मिले।—विजय कुमार 

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