अधिक राशि के बिजली बिलों से हो रहे परेशान उपभोक्ता

Edited By ,Updated: 10 Feb, 2019 03:06 AM

disturbed consumer with excess electricity bills

हमारे सरकारी विभाग समय-समय पर ऐसे ‘कारनामे’ करते रहते हैं जिनसे आम आदमी को भारी परेशानी होती है। विभिन्न राज्यों के बिजली विभागों द्वारा उपभोक्ताओं को बिजली की वास्तविक खपत से कहीं अधिक राशि के बिल भेज कर परेशान किया जा रहा है : जून, 2018 में पानीपत...

हमारे सरकारी विभाग समय-समय पर ऐसे ‘कारनामे’ करते रहते हैं जिनसे आम आदमी को भारी परेशानी होती है। विभिन्न राज्यों के बिजली विभागों द्वारा उपभोक्ताओं को बिजली की वास्तविक खपत से कहीं अधिक राशि के बिल भेज कर परेशान किया जा रहा है : 

जून, 2018 में पानीपत के एक उपभोक्ता को 8 लाख रुपए का बिल भेजा गया। इसे ठीक करवाकर उसने 5000 रुपए जमा करवाए तो दिसम्बर में उसे 42,000 रुपए और फिर अगला बिल 45,000 रुपए का भेजा गया। कई दिन चक्कर काटकर बिल सही करवाया तो 29,000 रुपए बिल थमा दिया। 16 नवम्बर, 2018 को मुजफ्फरपुर स्थित एस.के.एम. कालेज एवं अस्पताल को 3 महीने का बिजली बिल 3 करोड़ रुपए का भेजा गया जबकि इससे पूर्व इसका बिल 5 लाख रुपए मासिक आता था। 15 दिसम्बर, 2018 को लखनऊ के आजाद नगर निवासी बिजली उपभोक्ता को 60,000 रुपए का बिजली बिल भेजा गया जबकि पहले उनका बिल प्रतिमास 800 से 1000 रुपए के बीच आता था। 

21 जनवरी, 2019 को जोधपुर डिस्कॉम ने एक किसान के घर का 21 लाख, 68 हजार 732 रुपए का बिजली बिल भेज दिया। 22 जनवरी, 2019 को भिंड में नीरपुरा गांव के 50 से अधिक किसानों ने बिना कनैक्शन दिए ही उन्हें बिल थमा देने के विरुद्ध कम्पनी कार्यालय का घेराव कर धरना-प्रदर्शन किया। 23 जनवरी, 2019 को कन्नौज जिले में अब्दुल बासित नामक उपभोक्ता को 178 यूनिट बिजली खपत का 23 करोड़,67 लाख, 71 हजार, 524 रुपए का बिल थमाया गया है। 24 जनवरी को उत्तर प्रदेश में लखीमपुर के बरसोला कलां गांव में बिजली विभाग ने बिना कनैक्शन जोड़े 13,185 रुपए का बिल भेज दिया। 

31 जनवरी को हिसार के आर्य नगर में अधिकारियों द्वारा आयोजित खुले दरबार में सबसे ज्यादा शिकायतें गलत बिजली बिलों से परेशान लोगों की ओर से आईं जिन्होंने कहा कि पहले तो विभाग गलत बिल भेजता है और फिर इनको सही करवाने के नाम पर उन्हें परेशान किया जाता है। 31 जनवरी को सोनीपत में गलत बिल भेजे जाने के विरोध में कई लोगों ने इंडस्ट्रीयल एरिया सब डिवीजन कार्यालय में पहुंचकर रोष जताया। 2 फरवरी को बिहार के सहरसा में एक महिला ने रोते हुए बताया कि उन्हें डेढ़ लाख रुपए का बिजली बिल भेजा गया और विभाग के अधिकारियों ने बिल की अदायगी न होने पर उसके पति को जेल भिजवा दिया जिसे जमानत पर रिहा करवाने के लिए उसे ब्याज पर पैसे लेने पड़े। 

5 फरवरी, 2019 को मुरादाबाद के एक व्यक्ति को 79,953 रुपए बिजली बिल जमा कराने को कहा गया जबकि वह 14 सितम्बर, 2011 को अपना कनैक्शन कटवा चुका था। 8 फरवरी को पंजाब में संगरूर जिले के घराचों गांव में ‘आम आदमी पार्टी’ द्वारा शुरू किए गए ‘बिजली आंदोलन’ के अवसर पर आयोजित सभा में बोलते हुए एक किसान ने कहा कि उसके घर में मात्र एक बल्ब और एक पंखा है जिसका उसे 59,752 रुपए का बिल भेजा गया है। इसी सभा में एक अन्य किसान ने कहा कि उसके घर में 2 पंखे और 3 बल्ब हैं जिनकी खपत का 41,240 रुपए का बिल इस वर्ष 4 फरवरी को भेजा गया है जबकि सॢदयां होने के कारण वे पंखे का इस्तेमाल भी नहीं कर रहे। 

विभिन्न राज्यों के बिजली विभागों द्वारा वास्तविक खपत से अधिक राशि के बिल भेजकर उपभोक्ताओं को परेशान करने के ये तो चंद नमूने मात्र हैं। इनके अलावा भी इसी अवधि में न जाने कितने ऐसे मामले हुए होंगे। लोगों का आरोप है कि रीङ्क्षडग लेने के बाद भी बिजली विभागों वाले मनमर्जी के बिल बनाकर घरों में भेज रहे हैं। लोगों को जुर्माने से बचने के लिए पहले तो ज्यादा बिल भरना पड़ता है और फिर उसे ठीक करवाने के लिए संंबंधित कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते हैं। बिजली बिलों का कम्प्यूटरीकरण शुरू होने के बाद से यह शिकायत बहुत अधिक बढ़ गई है। 

एक शिकायत यह भी है कि अनेक मामलों में पीड़ितों द्वारा बिजली कार्यालयों के चक्कर लगाने के बावजूद उनके बिल जल्दी ठीक नहीं किए जाते जिससे उनकी परेशानी और भी बढ़ जाती है। इसे दूर करने के लिए उपभोक्ताओं को बिल देने से पूर्व उनके सही होने की अच्छी तरह पड़ताल कर लेना आवश्यक है। फिर भी यदि ऐसी गलती होती है तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध यथायोग्य कार्रवाई की जानी चाहिए।—विजय कुमार

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