नहीं थम रहीं  ‘नेताओं की दबंगई’ की घटनाएं

Edited By ,Updated: 12 Jun, 2019 01:02 AM

do not stop incitement of leaders

नेता जनता के प्रतिनिधि होते हैं। उन्हें शक्ति और कुछ विशेष अधिकार प्राप्त होते हैं ताकि वे अपने क्षेत्र की जनता की मुश्किलों को दूर करें परंतु ऐसे नेताओं की भी कमी नहीं है जो अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए अपनी ताकत के इस्तेमाल से झिझकते नहीं हैं। इसके...

नेता जनता के प्रतिनिधि होते हैं। उन्हें शक्ति और कुछ विशेष अधिकार प्राप्त होते हैं ताकि वे अपने क्षेत्र की जनता की मुश्किलों को दूर करें परंतु ऐसे नेताओं की भी कमी नहीं है जो अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए अपनी ताकत के इस्तेमाल से झिझकते नहीं हैं। इसके कुछ ताजा उदाहरण निम्न में दर्ज हैं : 

  • 03 जून को बिहार के बेतिया में भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेणु देवी के भाई पिनू ने एक मैडीकल स्टोर वाले की इसलिए पिटाई कर दी क्योंकि उस दुकानदार ने उसके आने पर खड़ा होकर उसे सम्मान नहीं दिया।
  • 04 जून को अपनी बस से नोएडा आ रहे गढ़मुक्तेश्वर के भाजपा विधायक कमल सिंह ने टोल मांगने पर साथियों के साथ टोल प्लाजा कर्मचारियों से मारपीट की और जबरन बिना टोल दिए बस को ले गए। 
  • 06 जून को ओडिशा के पटनागढ़ में बी.जे.डी. विधायक सरोज कुमार मेहर ने सबके सामने पी.डब्ल्यू.डी. के जूनियर इंजीनियर से 100 उठक-बैठक लगवाई। मामले में जूनियर इंजीनियर की पत्नी ने विधायक के विरुद्ध पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है।
  • 07 जून को उत्तर प्रदेश के एटा में दबंग भाजपा नेता और ग्राम प्रधान सुशील वर्मा ने दर्जन भर साथियों के साथ एक मिठाई की दुकान में सामान को लेकर हुए मामूली विवाद में लोहे की रॉडों से दुकान के मालिक, उसके भाई और बेटे को बुरी तरह पीटा। 
  • 08 जून को मध्य प्रदेश के भिंड जिले में एक जैन स्तम्भ पर शिला पट्टिïका लगाने का विरोध करने पर भाजपा के पूर्व विधायक नरेन्द्र सिंह कुशवाह ने सी.एम.ओ. सुरेन्द्र शर्मा के साथ मारपीट की। 
  • 10 जून को बिहार के बेतिया में जे.डी.यू. सांसद वैद्यनाथ प्रसाद महतो के बेटे ने नया टोला स्थित अपने आवास से सटे पैट्रोल पम्प पर पहुंच कर कर्मियों से गाली-गलौच कर पैट्रोल पम्प को उड़ाने की धमकी दे डाली।


उक्त घटनाओं से स्पष्ट है कि लगभग सभी दलों में ऐसे तत्व मौजूद हैं जो अपनी पोजीशन का अनुचित लाभ उठा रहे हैं। अत: सरकार को दोषियों को कड़ी सजा देनी चाहिए ताकि देश एवं समाज के लिए हानिकारक इस रुझान को और बढऩे से रोका जा सके।     —विजय कुमार  

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