‘अविश्वास प्रस्ताव’ के कारण देश एवं पार्टियों को ‘हुआ लाभ’

Edited By Pardeep,Updated: 24 Jul, 2018 04:28 AM

due to no confidence motion gains in profit to nation and parties

अब जबकि 20 जुलाई को ‘टी.डी.पी.’ द्वारा भाजपा नीत केंद्र सरकार के विरुद्ध लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का शोर थम चुका है, लोगों में बहस छिड़ गई है कि इस कवायद का देश को क्या लाभ हुआ? इस बारे कहा जा सकता है कि एक लिहाज से इसके देश को चंद लाभ हुए हैं और...

अब जबकि 20 जुलाई को ‘टी.डी.पी.’ द्वारा भाजपा नीत केंद्र सरकार के विरुद्ध लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का शोर थम चुका है, लोगों में बहस छिड़ गई है कि इस कवायद का देश को क्या लाभ हुआ? इस बारे कहा जा सकता है कि एक लिहाज से इसके देश को चंद लाभ हुए हैं और आगामी चुनावों को देखते हुए सरकार एवं सभी दल अब सक्रिय होने लगे हैं। 

अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान जहां बीजद, शिवसेना और टी.आर.एस. के 48 सदस्य अनुपस्थित रहे तथा 35 सदस्य मतदान से दूर रहे, वहीं भाजपा, अन्नाद्रमुक, शिअद, रालोसपा, अपना दल, जद (यू), एन.पी.पी. तथा सिक्किम डैमोक्रेटिक फ्रंट के अलावा 3 निर्दलियों ने अविश्वास प्रस्ताव के विरुद्ध मतदान किया। इसी प्रकार कांग्रेस, तेदेपा, टी.एम.सी., माकपा, राकांपा, सपा, आप, राजद, ए.आई.यू. डी.एफ., लोकदल, मुस्लिम लीग, झारखंड मुक्ति मोर्चा, ए.आई.एम.आई.एम., भाकपा, जद (एस) तथा वाई.एस.आर. कांग्रेस के तीन विद्रोहियों ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट डाला। जहां तक अविश्वास प्रस्ताव के लाभों का संबंध है, इस पर मतदान के अगले ही दिन 21 जुलाई को जी.एस.टी. कौंसिल की बैठक में 100 उत्पादों पर जी.एस.टी. की दरें घटाकर लोगों को राहत देने की घोषणा कर दी। 

इसमें सैनेटरी नैपकिन व राखी को गुड्स व सर्विसिज टैक्स से बाहर करने के अलावा 28 प्रतिशत जी.एस.टी. वाले अनेक उत्पादों पर जी.एस.टी. घटा कर 28 से 18 प्रतिशत, 18 प्रतिशत वाले उत्पादों पर घटा कर12 प्रतिशत व 12 प्रतिशत वाले उत्पादों पर घटा कर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। अविश्वास प्रस्ताव के बाद सभी दल अगले चुनावों की तैयारी को लेकर सक्रिय हो गए हैं। नई दिल्ली में 22 जुलाई को हुई नवगठित कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में राहुल गांधी को राजनीतिक दलों से गठबंधन करने बारे निर्णय लेने का अधिकार देते हुए उन्हें पार्टी का चेहरा घोषित किया गया। सोनिया गांधी ने कहा कि लोकतंत्र बचाने के लिए समविचारक दलों के महागठबंधन की जरूरत है जो निजी महत्वाकांक्षाएं छोड़ कर आगे आएं। 

ममता बनर्जी ने अगले वर्ष 19 जनवरी को कोलकाता में भाजपा विरोधी रैली को सफल बनाने के लिए इस वर्ष नवम्बर और दिसम्बर में देश व्यापी दौरा करने का निर्णय लिया है। ममता बनर्जी, सोनिया गांधी, लालू और तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, मायावती और के. चंद्रशेखर राव आदि से मिल कर कोलकाता रैली में आने के लिए उन्हें निमंत्रित करेंगी। पहले जहां लोकसभा के चुनाव 2019 में निर्धारित समय से पूर्व ही करवाए जाने की चर्चा सुनाई दे रही थी, वहीं अब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव नियत समय पर 2019 में ही करवाने की बात कह दी है। दूसरी ओर भाजपा से नाराज शिव सेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने अगला चुनाव अकेले लडऩे का अपना पहला स्टैंड दोहराया है जो इस बात का संकेत है कि संभवत: उद्धव ठाकरे भाजपा से गठबंधन जारी नहीं रखेंगे। 

अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान राहुल गांधी का भाषण एक बड़ा मुद्दा बना जिसकी कुछ लोगों ने प्रशंसा तो कुछ ने आलोचना भी की है। राहुल गांधी ने सबसे बड़ा मुद्दा राफेल लड़ाकू विमान सौदे में भ्रष्टाचार का उठाया और आरोप लगाया कि राफेल विमान का यू.पी.ए. की डील में दाम 520 करोड़ रुपए प्रति विमान था जो एन.डी.ए. में 1600 करोड़ रुपए प्रति विमान हो गया। राहुल के उठाए हुए इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ दल पर इतनी तीव्र प्रतिक्रिया हुई कि उन्हें फ्रांस से इस बारे स्पष्टीकरण लेकर अपना पक्ष पेश करना पड़ा, जिससे आगे होने वाले रक्षा सौदों में पारदर्शिता आएगी। 

इस बीच महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुष्मिता देव ने यह कह कर भाजपा को फंसा दिया है कि तीन तलाक विरोधी विधेयक में महिला के लिए (पति की गिरफ्तारी की स्थिति में) गुजारा भत्ते का प्रावधान करने पर कांग्रेस इस विधेयक का समर्थन अवश्य करेगी। कुल मिलाकर अविश्वास प्रस्ताव पर बहस से यह सिद्ध हो गया है कि यदि कांग्रेस और भाजपा ने जीवित रहना है तो उन्हें छोटे दलों को साथ लेकर ही चलना होगा और छोटे दलों को भी पता चल गया है कि अब बड़े दलों से जुड़े बिना उनका कल्याण नहीं है। इसके साथ ही आने वाले दिनों में भाजपा सरकार को चल रही योजनाओं के कार्यों में तेजी लाकर उन्हें चुनावों से पूर्व पूरा करना पड़ेगा और इसके अलावा कुछ लोकप्रिय निर्णय और करने पड़ेंगे ताकि लोगों के मन में पैदा नाराजगी दूर हो सके।—विजय कुमार

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