‘नेताओं के बेहूदा व अशोभनीय बयान’ यह क्या हो रहा है, ये क्या कर रहे हो

Edited By Pardeep,Updated: 27 Nov, 2018 03:48 AM

dull and indecent statement of leaders what is happening what are they doing

राजनीतिज्ञों से आशा की जाती है कि वे कोई भी ऐसा कार्य नहीं करेंगे जिससे विवाद पैदा हों परंतु आज यही लोग अपने विषैले बयानों व कृत्यों से देश का वातावरण बिगाड़ रहे हैं। इनमें अन्य दलों के नेताओं के अलावा देश की दोनों बड़ी पार्टियों भाजपा और कांग्रेस...

राजनीतिज्ञों से आशा की जाती है कि वे कोई भी ऐसा कार्य नहीं करेंगे जिससे विवाद पैदा हों परंतु आज यही लोग अपने विषैले बयानों व कृत्यों से देश का वातावरण बिगाड़ रहे हैं। इनमें अन्य दलों के नेताओं के अलावा देश की दोनों बड़ी पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के नेता भी शामिल हैं जो परिणामों की ङ्क्षचता किए बिना अपने विवादास्पद बयानों से अपने प्रतिद्वंद्वियों की भावनाओं को आहत करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। 

21 नवम्बर को मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने अभद्र टिप्पणी करते हुए महिलाओं पर चुनावों में पैसे लेने का आरोप लगाया। एक वीडियो में वह यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि ‘‘महिलाएं चुनावों में 200-500 रुपए लेती हैं और उन्हें अपने ब्लाऊज में छिपाती हैं।’’ 23 नवम्बर को कांग्रेस के वरिष्ठï नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सी.पी. जोशी ने राजस्थान में एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उमा भारती और साध्वी ऋतम्भरा की जाति-धर्म पर सवाल उठाते हुए कहा :

‘‘उमा भारती लोधी समाज की हैं तो वह हिन्दू धर्म की बात क्यों कर रही हैं? इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इन्हें हिन्दू धर्म के बारे में बोलने का क्या अधिकार है? हिन्दू धर्म के बारे में बोलने का अधिकार सिर्फ ब्राह्मïणों को है।’’ 23 नवम्बर को भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने उन्नाव में कहा, ‘‘काशी, मथुरा, अयोध्या छोड़ो, दिल्ली की जामा मस्जिद तोड़ो, अगर सीढिय़ों से मूर्तियां न निकलें तो मुझे फांसी पर लटका देना।’’ 24 नवम्बर को भाजपाध्यक्ष अमित शाह ने मुरैना में राहुल गांधी की नानी पर हमला बोल दिया। बंगलादेशी घुसपैठियों के लिए तैयार किए जा रहे नैशनल रजिस्टर आफ सिटीजनशिप पर बोलते हुए अमित शाह ने कहा, ‘‘राहुल गांधी इस मामले में ऐसे रो रहे हैं जैसे उनकी नानी मर गई हो।’’ 

24 नवम्बर को कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री विलास मुत्तमवार ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री बनने से पहले आपको (मोदी) जानता कौन था? अब भी आपके पिता का नाम कोई नहीं जानता लेकिन हर कोई कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पिता का नाम जानता है। दुनिया राहुल गांधी की पिछली पीढिय़ों को जानती है पर कोई नहीं जानता कि मोदी के पिता कौन थे।’’ 25 नवम्बर को पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा, ‘‘हर अमित शाह पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 10 अमित शाह पर्दे के पीछे रह कर धु्रवीकरण के काम में लगे हुए हैं। तानाशाही का नया नाम अमित शाह है।’’ 

25 नवम्बर को महाराष्टï्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस ने मध्य प्रदेश के सिवनी में कहा, ‘‘राहुल गांधी पार्ट टाइम नेता हैं जबकि प्रधानमंत्री मोदी जी 24 घंटे गरीबों की चिंता करते हैं। राहुल गांधी विदेश से लौट कर आते हैं तो 2-4 सभाएं भी कर लेते हैं परंतु उनको पता नहीं रहता। मध्य प्रदेश की बातें छत्तीसगढ़ में और छत्तीसगढ़ की बातें मध्य प्रदेश में करते हैं। 26 नवम्बर को जद (यू) नेता व जद (यू) अल्पसंख्यक कमेटी के अध्यक्ष एवं विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी ने भाजपा सांसद साक्षी महाराज के बारे में कहा, ‘‘साक्षी महाराज के डी.एन.ए. का टैस्ट करवाया जाएगा तो वह मुगल राजा के किसी मंत्री के डी.एन.ए. से मिल जाएगा।’’ अयोध्या में उद्धव ठाकरे के जाने पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जितने भी लोग सड़क पर हंगामा कर रहे हैं, किसी में रामभक्ति नहीं है। यह सब सत्ता भक्ति, स्वार्थ भक्ति और परिवार भक्ति है।’’ 

26 नवम्बर को केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, ‘‘धर्मनिरपेक्षता का चोला व साम्प्रदायिकता का झोला ही ग्रैंड ओल्ड कांग्रेस पार्टी की ब्रांड न्यू पहचान बन गई है। रूम में टोपी, रोड पर तिलक के जरिए सैक्यूलर सियासत पर कम्युनल तड़का लगाने का (इसका) इतिहास रहा है और आज भी वह इसी राह पर है।’’ उपरोक्त बयानों से स्पष्टï है कि हमारे नेतागण किस प्रकार निजी और व्यावसायिक मर्यादाओं की सारी सीमाएं लांघ कर विषैले बयानों से वातावरण दूषित कर रहे हैं। 

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का यह कहना बिल्कुल सही है कि, ‘‘जिस देश ने दुनिया को वसुधैव कुटुंबकम और सहिष्णुता का सभ्यतामूलक लोकाचार, स्वीकार्यता और क्षमा की अवधारणा प्रदान की वहां अब बढ़ती असहिष्णुता, गुस्सा और मानवाधिकारों के अतिक्रमण की खबरें आ रही हैं।’’ निश्चय ही देश में तेजी से बढ़ रहा यह रुझान सौहार्द और सद्भावना के वातावरण को ठेस पहुंचा रहा है जिस पर रोक लगाने के संबंध में हमारे नेताओं को विचार करना चाहिए।—विजय कुमार 

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