Edited By ,Updated: 10 Jun, 2020 10:23 AM
विश्व में भूकंप की आशंका वाले क्षेत्रों को 5 सीस्मिक जोन में बांटा गया है। इसमें लगभग 573 मील के दायरे में फैले दिल्ली एन.सी.आर. के इलाके गुरुग्राम और फरीदाबाद आदि जोन 4 अर्थात रिक्टर पैमाने पर 8 तक की तीव्रता वाले भूकंप से जान-माल को संभावित तबाही...
विश्व में भूकंप की आशंका वाले क्षेत्रों को 5 सीस्मिक जोन में बांटा गया है। इसमें लगभग 573 मील के दायरे में फैले दिल्ली एन.सी.आर. के इलाके गुरुग्राम और फरीदाबाद आदि जोन 4 अर्थात रिक्टर पैमाने पर 8 तक की तीव्रता वाले भूकंप से जान-माल को संभावित तबाही के सर्वाधिक जोखिम वाले इलाकों में दूसरे स्थान पर आते हैं। दिल्ली में सर्वाधिक क्षति की आशंका वाले क्षेत्रों में यमुना तट के निकटवर्ती क्षेत्र, लक्ष्मी नगर, पूर्वी दिल्ली, मयूर विहार, शाहदरा आदि शामिल हैं जहां धरती के नीचे 3 फाल्ट लाइनें विद्यमान हैं। अत्यधिक जनसंख्या वाले इस इलाके में, जहां लाखों लोग रहते हैं, सरकारी एजैंसियों की कथित मिलीभगत से इमारतों की सुरक्षा संबंधी निर्धारित नियमों और मापदंडों का पालन किए बगैर अंधाधुंध अवैध एवं असुरक्षित निर्माण किए गए हैं और अभी भी किए जा रहे हैं।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 8 जून को एक बार फिर 2.1 तीव्रता के भूकंप का झटका महसूस किया गया जो अप्रैल से अब तक दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आने वाले रिक्टर पैमाने पर 2 से 3.5 तक की तीव्रता के मध्यम और कम तीव्रता के भूकंपों में से 16वां था। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार भूकंप का केंद्र दिल्ली-गुरुग्राम सीमा पर स्थित था और यह अपराह्नï 1 बजे धरती के 18 कि.मी. नीचे आया। इनकी तीव्रता कम होने के कारण कोई क्षति नहीं हुई परन्तु भूगर्भ वैज्ञानिकों का कहना है कि दिल्ली एन.सी.आर. में लगातार आ रहे भूकंप के हल्के झटके किसी बड़े विनाशकारी भूकंप की पूर्व चेतावनी भी हो सकते हैं।
यद्यपि इनकी तीव्रता, स्थान और समय का निश्चित रूप से अनुमान नहीं लगाया जा सकता परंतु दिल्ली की लगभग 80 प्रतिशत इमारतें असुरक्षित तथा औसत से बड़ा भूकंप का झटका झेल पाने में असमर्थ होने के कारण भारी विनाश कर सकती हंै। यह स्थिति दिल्ली में भवन निर्माण से जुड़े अधिकारियों द्वारा इस मामले में अत्यधिक सजगता बरतने और इमारतों के चल रहे निर्माण कार्यों में सुरक्षा संबंधी मापदंडों का कठोरतापूर्वक पालन सुनिश्चित करने और मौजूदा इमारतों की स्थिति की गहन पड़ताल करके उनमें यथासंभव सुधार की मांग करती है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से पैदा होने वाले खतरे में विनाश को यथासंभव टाला जा सके। —विजय कुमार