‘कोरोना संकट के बीच’ एक और महा आपदा ‘अम्फान की दस्तक’

Edited By ,Updated: 20 May, 2020 11:44 AM

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कुछ वर्षों से देश में जिस तरह के हालात बने  हुए हैं, उन्हें देखते हुए अनेक लोगों का यह कहना ठीक ही लगता है कि शनिदेव इस समय भारत से रुष्टï हैं और लगातार प्राकृतिक एवं मानव निर्मित आपदाओं से हो रही भारी प्राण हानि से देश ‘साढ़ेसाती’ के प्रभाव में आया...

कुछ वर्षों से देश में जिस तरह के हालात बने  हुए हैं, उन्हें देखते हुए अनेक लोगों का यह कहना ठीक ही लगता है कि शनिदेव इस समय भारत से रुष्टï हैं और लगातार प्राकृतिक एवं मानव निर्मित आपदाओं से हो रही भारी प्राण हानि से देश ‘साढ़ेसाती’ के प्रभाव में आया हुआ है। जहां ‘कोरोना’ प्रकोप से भारत में बड़ी संख्या में मौते हो रही हैं, वहीं मानवीय लापरवाही और प्रकृति के प्रकोप से भी लगातार मौतें और विनाश हो रहा है जिसके चंद ताजा उदाहरण निम्र हैं :

  • * 04 अप्रैल को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के ‘पांडरपाणी’ गांव में बिजली गिरने से एक लड़की की मृत्यु तथा 2 अन्य घायल हो गए। 
  • * 08 अप्रैल को मध्य प्रदेश के सतना जिले के ‘सेवरी’ गांव में बिजली गिरने से एक व्यक्ति मारा गया। 
  • * 10 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के नारायणगढ़ जिले के गांव भरंडा में बिजली गिरने से 6 मवेशी मारे गए। 
  • * 10 अप्रैल को ही आंध्र प्रदेश के 3 जिलों अमरावती, नेल्लोर और प्रकासम में बिजली गिरने से 10 लोग मारे गए।
  • * 12 अप्रैल को नासिक की किनवट तहसील के पाटौदा गांव में बिजली गिरने से 1 युवक की मृत्यु हो गई। 
  • * 07 मई को विशाखापट्टनम की एक कम्पनी में जहरीली गैस के रिसाव के परिणामस्वरूप 11 लोगों की मौत हो गई।
  • * 14 मई को जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली में तेज आंधी के साथ भारी वर्षा हुई जिससे अनाज मंडियों में रखा अनाज भीगने के अलावा सब्जियों की कम से कम 15 प्रतिशत फसल को नुक्सान पहुंचा। 
  • * 15 मई को दिल्ली में 5 दिन के भीतर दूसरी बार भूकंप आया। पिछले एक महीने में दिल्ली एन.सी.आर. में भूकम्प के 5 झटके महसूस किए गए हैं।
  • * 16 मई को सुल्तानपुर में ‘कुछमुछ’ गांव की निषाद बस्ती में आग लगने से 4 मकान जल कर राख और एक व्यक्ति की मौत हो गई। 
  • * 18 मई को ग्वालियर में एक भवन में आग लग जाने से 7 लोगों की दम घुटने से मृत्यु हो गई जबकि 3 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।

 

 और अब 20 मई को भयानक चक्रवतीय तूफान ‘अम्फान’ के बंगाल के तट से टकरा कर उसके भयंकर रूप ले लेने की आशंका जताते हुए गृह मंत्रालय ने चेतावनी जारी की है। इसकी भयावहता और इससे भारी क्षति का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी और नजदीकी क्षेत्र से  6 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उत्तर-पश्चिमी दिशा में बढऩे वाले इस तूफान की गति बंगाल और ओडिशा में पहुंचते-पहुंचते 185 कि.मी. प्रति घंटा या उससे भी अधिक 240 से 250 कि.मी. हो जाने की आशंका है।  

18 मई की सुबह 2.30 बजे ‘अम्फान’ तूफान में बदल गया जिससे ओडिशा, कर्नाटक, बंगाल, आंध्र प्रदेश और केरल सहित 9 तटवर्ती राज्यों में भारी वर्षा शुरू हो जाने से भारी क्षति होने के समाचार हैं। 19 मई को बाद दोपहर यह तूफान अत्यंत भीषण चक्रवातीय तूफान का रूप लेकर बंगाल और बंगलादेश के तटों से टकराने लगा। इसके परिणामस्वरूप समुद्र तटों से 4 से 6 मीटर तक ऊंची लहरें उठेंगी और 20 मई को भारी तबाही के बाद 21 मई को इसके धीमा पडऩे की संभावना है जब इसकी गति 90 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है। 

जहां इस महा आपदा से प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को बचाने के प्रयास में लाखों लोगों को प्रभावित क्षेत्रों से हटाया गया है वहीं इस संकट में राहत कार्यों के लिए एन.डी.आर.एफ.  (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल) ने हर तरह के उपकरणों और सामान से लैस कुल 37 टीमें तैनात कर दी हैं और प्रत्येक टीम में 45 कर्मचारी हैं। 

मौसम विभाग ने प्रभावित क्षेत्रों के लिए अलर्ट जारी करते हुए आगाह किया है कि इससे प्रभावित क्षात्रों में भारी नुक्सान हो सकता है। कई स्थानों पर रेल व सड़क मार्ग बाधित हो सकता है, बिजली व संचार के खम्भे उखड़  सकते हैं और अन्य सम्पत्ति को भारी नुक्सान हो सकता है। बीच-बीच में इसकी गति घटती-बढ़ती रहेगी और अनेक स्थानों पर भारी वर्षा होगी।

कोरोना संक्रमण और इसके चलते अपने घरों को पैदल, साइकिलों और ट्रकों, बसों आदि से अपने राज्यों को जाने के लिए बेरोजगार प्रवासी मजदूरों की सड़क दुर्घटनाओं जबकि सड़कों पर अधिक ट्रैफिक भी नहीं है, दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में लगातार आ रहे भूकंप, अग्रिकांड, बिजली गिरने, गैस रिसाव से होने वाली मौतों के बाद अब ‘अम्फान चक्रवातीय तूफान’ से विनाश की दस्तक शनि की ‘साढ़ेसाती’ और प्रकोप की ओर ही इशारा करती है। लिहाजा  आवश्यकता इस बात की है कि देश में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए कठोर आपदा प्रबंधन रणनीति तैयार की जाए ताकि इनसे होने वाली हानि को रोका जा सके।                      
—विजय कुमार

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