‘महामारी संकट’ प्रबंधन के आपातकालीन उपाय लाएगी

Edited By ,Updated: 13 Jul, 2020 01:53 AM

epidemic crisis will bring emergency measures of management

यह बहुत हद तक निश्चित है कि जिस तरह कोरोना वायरस महामारी ने जीवन, बाजारों को अस्त-व्यस्त कर दिया है और सरकारों की क्षमता (या उनकी त्रुटियों) को उजागर किया है, यह राजनीतिक और आर्थिक तौर पर स्थायी बदलाव लाएगा।  हार्वर्ड विश्वविद्यालय

यह बहुत हद तक निश्चित है कि जिस तरह कोरोना वायरस महामारी ने जीवन, बाजारों को अस्त-व्यस्त कर दिया है और सरकारों की क्षमता (या उनकी त्रुटियों) को उजागर किया है, यह राजनीतिक और आर्थिक तौर पर स्थायी बदलाव लाएगा।हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के प्रोफैसर स्टीफन एम. वॉल्ट, के अनुसार,‘‘महामारी राज्य और राष्ट्रवाद को मजबूत करेगी। सभी प्रकार की सरकारें संकट के प्रबंधन के लिए आपातकालीन उपाय अपनाएंगी और संकट खत्म होने पर इन नई शक्तियों को त्यागने के लिए मुश्किल से तैयार नहीं होंगी।’’ उनका कहना है कि विशेष रूप से उन देशों में, जो अधिनायकवादी हैं और धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं या एक धर्म की अवधारणा पर आधारित हैं, यह अधिक स्पष्ट होगा। 

इसका एक उदाहरण एर्दोगन के नेतृत्व वाली वर्तमान तुर्की सरकार है, जिन्होंने कोरोना विपत्ति के दौरान सेहिर जैसे पुराने उदारवादी विश्वविद्यालय को बंद करने, या सीरिया का एक अदद हिस्सा पाने की कोशिश करने जैसे कई उपाय,  पुन: लोकप्रियता पाने की कोशिश में किए हैं। लेकिन उनका एक नया ऐतिहासिक कदम जो उन्हें सफलता दिला सकता है, कि वह तुर्की को फिर से मुस्लिम राष्ट्र बनाने जा रहे हैं। यह सब आकस्मिक नहीं है। एर्दोगन की सत्तारूढ़ पार्टी की लोकप्रियता दो साल में सबसे निचलेस्तर पर है। एक गिरती अर्थव्यवस्था के बीच एर्दोगन खुद को मुसलमानों के सच्चे रक्षक के रूप में तुर्की में और उससे भी आगे ले जाने की उम्मीद करते हैं! 

हागिया सोफिया एक पांचवीं शताब्दी का चर्च है, जिसे रोमन साम्राज्य के सम्राट जस्टिन ने बनाया था। यह कैथेड्रल चर्च एक सहस्राब्दी तक पूर्वी रूढि़वादी चर्च के नेता, पारिस्थितिकी संरक्षक की सीट था। कुस्तुन्तुनिया(कोन्स्तान्तिनोपाल) (या जिसे अब इस्तांबुल कहते हैं) की विजय के बाद ओट्टोमन सुल्तान मेहम द्वारा 1453 में इसे मस्जिद बना दिया गया था पर इसका एक भी ईसाई हिस्सा, कलाकृति, भीतरी चित्र नष्ट या परिवर्तित नहीं किया गया। तुर्की के पहले राष्ट्रपति कमाल अतातुर्क ने इमारत को धर्मनिरपेक्ष बनाया और 1935 में इसे एक संग्रहालय के रूप में फिर से खोल दिया ताकि आधुनिक तुर्की बनाने में मदद मिल सके और ग्रीस के साथ बेहतर संबंधों सहित अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रेरणा चिन्ह स्थापित किया जा सके। 

अतातुर्क जानते थे कि हागिया सोफिया रूढि़वादी ईसाइयों के लिए कितना महत्वपूर्ण है और तब से अब तक केवल नमाज के समय लोगों को अंदर आने से रोक दिया जाता था परन्तु शेष समय यह संग्रहालय के रूप में हजारों पर्यटकों के लिए खुला रहता है। रूसी रूढि़वादी चर्च ने पहले ही अपनी चिंताएं व्यक्त करते हुए कहा कि चर्च को मस्जिद में परिवर्तित करने के किसी भी प्रयास से ‘नाजुक पारस्परिक-विश्वास संतुलन’ को नुक्सान होगा और यूनानी संस्कृति मंत्री ने हागिया सोफिया के ‘सार्वभौमिक चरित्र’ की रक्षा करने में मदद करने के लिए यूनेस्को से चिंता जताई है। 

एर्दोगन के लिए यह उनके धार्मिक राष्ट्रवाद को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा प्रतीकात्मक कदम होगा लेकिन कई अन्य लोगों के लिए, जिनमें तुर्की के छोटे ईसाई अल्पसंख्यक और दुनिया भर के लाखों अन्य ईसाई शामिल हैं, यह मध्य युग की विजय की एक गूंज होगी। आधुनिक दुनिया में ज्यादातर लोग शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की आशा करते हैं। 

ऐसा नहीं कि इस्तांबुल में महत्वपूर्ण और प्राचीन कोई अन्य मस्जिद न हो, ‘हागिया सोफिया’ के बिल्कुल सामने नीली मस्जिद है या जिसे सुल्तान अहमद मस्जिद भी कहते हैं, जो उतनी ही सुन्दर और 600 साल पुरानी है परंतु एर्दोगन के लिए इस्लामीकरण की इससे अधिक शक्तिशाली छवि की कल्पना करना कठिन है क्योंकि उन्हें एक रूढि़वादी चर्च से मस्जिद में परिवर्तित एक इमारत में अग्रणी पंक्ति में खड़े होकर प्रार्थना करते हुए दिखाई देना इस्लामिक जनता के लिए एक शक्तिशाली संदेश है जिससे तुर्की इस्लामिक देशों में एक मिसाल बन कर खड़ा होगा। 

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